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    'आइडिया ऑफ पाकिस्तान' के जनक...पिता थे हिंदू, जानें इकबाल की पूरी कहानी, जिनका चैप्टर DU के सिलेबस से हटा

    By Shyamji TiwariEdited By: Shyamji Tiwari
    Updated: Wed, 07 Jun 2023 08:18 PM (IST)

    Allama Iqbal- दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद की 26 मई को हुई बैठक में मोहम्मद इकबाल से जुड़े चैप्टर को स्नातक के राजनीति विज्ञान के सिलेबस से हटा दिया गया। उन्हें आईडिया ऑफ पाकिस्तान का जनक माना जाता है।

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    जानें इकबाल की पूरी कहानी, जिनका चैप्टर DU के सिलेबस से हटा

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद की 26 मई को हुई बैठक में मोहम्मद इकबाल से जुड़े चैप्टर को स्नातक के राजनीति विज्ञान के सिलेबस से हटा दिया गया। साथ ही विनायक दामोदर सावरकर का पूरा पेपर सिलेबस में जोड़ा गया है। इसे चौथे सेमेस्टर में पढ़ाया जाएगा।

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    'आइडिया ऑफ पाकिस्तान' के जनक

    आईए जानते हैं कि आखिर कौन थे अल्लामा इकबाल, जिनसे जुड़ा चैप्टर दिल्ली विश्वविद्यालय ने स्नातक के राजनीति विज्ञान के सिलेबस से हटा दिया है। इकबाल का जन्म 9 अक्टूबर 1877 को अविभाजित पंजाब के सियालकोट में हुआ था। उन्हें 'आइडिया ऑफ पाकिस्तान' का जनक माना जाता है।

    'सारे जहां से अच्छा हिंदोसितां हमारा' के लेखक

    दुनिया भर में प्रसिद्ध 'सारे जहां से अच्‍छा हिंदोसतां हमारा' (तराना ए हिंद) को मोहम्मद इकबाल ने 1904 में लिखा था। गवर्नमेंट कॉलेज लाहौर में गदर पार्टी के संस्थापक लाला हरदयाल के कहने पर इकबाल ने पहली बार तरन्नुम में सुनाई थी। इकबाल की यह कविता 16 अगस्त 1904 को इत्तेहाद नामक पत्रिका में पहला बार प्रकाशित हुई थी। वह 20वीं सदी के बड़े कवियों में शामिल रहे। मातृभाषा पंजाब होते हुए भी इकबाल ने उर्दू और फारसी में लेखन काम किया।

    भारत विभाजन की रखी थी नींव

    बता दें कि इकबाल ने मुस्लिम लीग के अधिवेशन में भारत विभाजन की नींव ही रख दी। 29 दिसंबर 1930 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में मुस्लिम लीग के 25वें अधिवेशन में मोहम्मद इकबाल को मुस्लिम लीग का अध्यक्ष चुना गया था। अपने अध्यक्षीय भाषण में इकबाल ने कहा कि मैं पंजाब, उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत (नॉर्थ-वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस), सिंध और बलूचिस्तान को एक संयुक्त राज्य के रूप में देखना चाहता हूं।

    इकबाल के पिता जन्म से थे हिंदू

    उर्दू शायर इकबाल भले ही जन्म से मुसलमान थे, लेकिन इनके पिता हिंदू थे। इकबाल के पिता का नाम रतन लाल था, जिन्होंने बाद इस्लाम धर्म कबूल कर लिया। कहा तो यह भी जाता है कि वह बीरबल के वंशज थे। बीरबल के तीसरे बेटे कन्हैयालाल ही इकबाल के दादा थे। कन्हैयालाल के बड़े बेटे रतन लाल ने आगे चलकर इस्लाम कबूल कर अपना नाम नूर मोहम्मद रख लिया था। उन्होंने इमाम बीबी नाम की मुस्लिम महिला से शादी कर ली और इन्ही नूर और बीबी के घर में मोहम्मद इकबाल का जन्म हुआ था।