शारीरिक प्रताड़ना और घंटों पूछताछ, कालकोठरी में गुजरे तीन साल... खौफ में है पाकिस्तान से लौटा हरजिंदर सिंह
हरजिंदर सिंह ने कहा कि पाकिस्तान से लौटने के बाद उसे अब दूसरा जन्म मिला है और वह भारत सरकार और भगवान का शुक्रिया करता है। हरजिंदर के माता-पिता भी अपने बेटे को तीन साल बाद देखकर काफी खुश हैं।

गुरदासपुर, जागरण संवाददाता। भारत-पाक समझौते के तहत पाक जेलों में सजाएं पूरी कर चुके 200 भारतीय कैदी अपने वतन लौट आए हैं। इन 200 कैदियों में एक युवक सीमावर्ती जिले गुरदासपुर का भी है। गुरदासपुर के कामलपुर गांव का नौजवान हरजिंदर सिंह अभी भी खौफ में है। हरजिंदर का कहना है को वो भले ही पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर लौट आया है, लेकिन लाहौर की जेल में उसके साथ रहते 15 भारतीयों में से पांच नौजवान अपना दिमागी संतुलन खो चुके हैं और अपने वतन लौटने के लिए तड़प रहे हैं।
पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर आए हरजिंदर सिंह के पिता कश्मीर सिंह व माता कुलविंदर कौर परिवार सहित बेटे को देखकर बेहद खुश हैं। पाक की जेल से रिहाकर आए नौजवान हरजिंदर सिंह का मुरझाया चेहरा, खामोश स्वभाव, बार-बार कांपना, आंखों में आंसू आना, दिल में भरे खौफ को बयान कर रहा है। हरजिंदर सिंह ने दुख भरी दास्तां बताते हुए कहा कि वह 2020 के मई महीने नशे की हालत में राष्ट्रीय सीमा के माध्यम से गलती से पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर गया और इसी दौरान उसे पाकिस्तान के रेंजरों ने पकड़ लिया।
'जिस्मानी और मानसिक रूप से किया गया प्रताड़ित'
हरजिंदर ने बताया कि उससे कई दिनों तक पूछताछ की गई और मारपीट की गई। इसके बाद उसे सियालकोट की गोरा जेल भेज दिया गया। यहां उसे दो महीने तक जिस्मानी और मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया गया। उसने बताया कि उसे लगातार दिन-रात दस से 12 घंटे खड़ा रखा जाता था और कुछ ही देर बैठाया जाता था। दो महीने अंधेरी कोठड़ी में बंद करने के बाद उसे सूरज देखना नसीब हुआ था। इसके बाद, उसे सियालकोट से गुजरांवाला अदालत में पेश किया गया और दो-दो सप्ताह के बाद अदालत की तारीख पड़ती रही। इसके बाद अदालत ने एक महीना 25 दिन और दस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
इसके बाद, उसे लाहौर जेल में चार नंबर ब्लॉक में फेंक दिया गया। हरजिंदर सिंह ने बताया कि इस जेल में केवल 15 भारतीय ही बंद थे, जहां पर उसे सुबह चाय का कप, एक रोटी, दोपहर को दो या तीन आटे की रोटियां, रात के समय एक रोटी, दाल और आलू की सब्जी मिलती थी। जिस ब्लॉक में वह रहता था, उसमें 15 भारतीय नौजवान थे, जिनमें चार कैदी थे।
'भारतीय कैदी अपना दिमागी संतुलन खो चुके हैं'
हरजिंदर ने बताया कि लाहौर जेल में बंद भारतीय नौजवान अपना दिमागी संतुलन खो चुके हैं, उनमें रमतू कुमार (45) निवासी राजस्थान, प्रसंगजीत (25) जो अपने आपको यूपी का बताता है, का भी दिमागी संतुलन खराब हो चुका है। उसने कहा कि सोनू कुमार सहित 15 भारतीय पाकिस्तान की लाहौर जेल में बंद है, जिन्हें छुड़वाने के लिए भारत सरकार को अपना योगदान देना चाहिए। हरजिंदर ने कहा कि उसे पाकिस्तान की जेल में टीबी हो गई थी, जहां उसका डॉक्टरों ने इलाज किया।
हरजिंदर ने कहा कि पाकिस्तान से लौटने के बाद उसे अब दूसरा जन्म मिला है और वह भारत सरकार और भगवान का शुक्रिया करता है। हरजिंदर को बीते बुधवार को जेल के कर्मचारियों ने बताया कि सुबह वह वापस चला जाएगा तो उसे यकीन नहीं हो रहा था। अटारी बॉर्डर के माध्यम से उसे उसके घर तक पहुंचाया गया। वह अपने घर की गलियों और गांव का नक्शा भी भूल चुका है।
नशे की आदत पर हो रहा अफसोस
पाकिस्तान से लौटने के बाद अब हरजिंदर को अपने नशे की आदत पर अफसोस हो रहा है। हरजिंदर ने कहा कि नशा एक बड़ी बुराई है और वह भी भटक चुका था। उसने युवाओं से अपील की है कि वह अपने माता पिता का कहना माने और मतलबी दोस्तों से दूर रहें। इसी के साथ, मेहनत और अच्छे काम करके अपने माता पिता का नाम रोशन करें।
हरजिंदर के पिता कश्मीर सिंह व माता कुलविंदर कौर ने बताया कि उनका बेटा तीन साल एक महीने के बाद घर लौटा है और वह अपने बेटे की सलामती के लिए हर महीने सुखमणि साहिब का पाठ और अलग-अलग जगहों पर अरदास करते रहे थे। उन्होंने कहा, परमात्मा ने उनके बेटे को घर भेजकर उनकी अरदास को पूरा किया है। उन्होंने अपने बेटे को पाक की जेल से रिहा करवाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय में कई बार फरियाद लगाई थी।

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