DU Mughal Garden: राष्ट्रपति भवन के पार्क के बाद डीयू के मुगल गार्डन का भी बदला नाम, कुलपति ने दी मंजूरी
मोदी सरकार ने राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान करने का फैसला किया था। अब दिल्ली विश्वविद्यालय में स्थित मुगल गार्डन का नाम बदल दिया गया है। यह गार्डन कुलपति कार्यालय के ठीक सामने स्थित है।
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क। राजधानी में राष्ट्रपति भवन स्थित मुगल उद्यान का नाम बदलने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के उत्तरी परिसर स्थित मुगल उद्यान का नाम भी बदल दिया गया है। इसका नाम बदलकर गौतम बुद्ध शताब्दी उद्यान कर दिया गया है।
यह उद्यान कुलपति कार्यालय वाइस रीगल लाज के सामने स्थित है। विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उद्यान के नाम बदलने के समय के बारे में कहा कि विश्वविद्यालय मार्च में एक फ्लावर शो की मेजबानी करने जा रहा है। फ्लावर शो के लिए ब्रोशर और पैम्फलेट तैयार कराने से पहले ही नाम बदलने पर विचार किया गया।
15 साल से लगी है गौतम बुद्ध की प्रतिमा
इस उद्यान को न तो मुगलों ने बनाया था और न ही इसमें कोई मुगल डिजाइन है। जबकि गौतम बुद्ध की प्रतिमा पिछले 15 साल से लगी है। इसलिए उद्यान समिति ने 12 जनवरी के आसपास कुलपति को उद्यान का नाम बदलने की सिफारिश की थी। उद्यान समिति के साथ लंबी चर्चा के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने उद्यान का नाम बदलने को 27 जनवरी को मंजूरी दे दी।
मंजूरी मिलने के बाद डीयू कुलसचिव डा. विकास गुप्ता ने इससे संबंधित अधिसूचना भी जारी कर दी है। एक अधिकारी ने बताया कि यह महज संयोग है कि जब राष्ट्रपति भवन स्थित उद्यान का नाम बदला गया तभी डीयू के उद्यान का भी नाम बदला गया है। उल्लेखनीय है कि बीते शनिवार को ही राष्ट्रपति भवन स्थित मुगल उद्यान का नाम बदलकर अमृत उद्यान किया गया है।
मुगल उद्यान में होती हैं ये खासियतें
उद्यान समिति के एक अधिकारी ने बताया कि मुगल उद्यान फारसी वास्तुशिल्प डिजाइन पर आधारित होता है। जिसमें नहरों और पुलों के साथ-साथ फव्वारे और झरने भी होते हैं। मुगल उद्यानों में एक तालाब, बहता पानी व दोनों ओर फव्वारे के दो शंकु के साथ विशिष्ट डिजाइन भी होते हैं। फल और फूलों के पेड़ भी होते हैं। ताजमहल और अन्य स्थानों पर बने मुगल उद्यानों में ये विशेषताएं देखने को मिलती हैं। जबकि इस उद्यान में ऐसा कुछ भी नहीं है।
ऐतिहासिक है डीयू का कुलपति कार्यालय
डीयू के जिस कुलपति कार्यालय के सामने यह पार्क स्थित है। वह इमारत ब्रिटिश काल में भारत के वायसराय का निवास स्थान हुआ करता था। वर्ष 1933 में यह इमारत दिल्ली विश्वविद्यालय को आवंटित की गई। जिसे डीयू कुलपति का कार्यालय बनाया गया। इस इमारत को अंग्रेजों ने बनवाया था। यह उद्यान भी उसी समय अंग्रेजों द्वारा ही स्थापित किया गया था। कुलपति कार्यालय के नीचे बने एक तहखाने में भगत सिंह को भी अंग्रेजों ने कैद करके रखा था।
यह भी पढ़ें-