शरजील इमाम और उमर खालिद की बेल पर बहस, साॅलिसिटर जनरल बोले- देश को बांटने की थी साजिश, जेल में ही रहें तो बेहतर
जेएनयू पूर्व छात्र शरजील इमाम व उमर खालिद सहित अन्य आरोपितों की जमानत याचिका की सुनवाई में अभियोजन पक्ष की ओर से साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि यह वैश्विक स्तर पर भारत को बदनाम करने की साजिश थी। केवल लंबी कैद जमानत का आधार नहीं हो सकती है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली दंगा से जुड़ी बड़ी साजिश मामले में आरोपित जेएनयू पूर्व छात्र शरजील इमाम व उमर खालिद सहित अन्य आरोपितों की जमानत याचिका का दिल्ली पुलिस ने बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट में पुरजोर विरोध किया।
''केवल लंबी कैद जमानत का आधार नहीं''
अभियोजन पक्ष की तरफ से पेश हुए साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि यह वैश्विक स्तर पर भारत को बदनाम करने की साजिश थी और केवल लंबी कैद जमानत का आधार नहीं हो सकती है।
उन्होंने तर्क दिया कि यदि आप अपने देश के खिलाफ कुछ भी करते हैं, तो बेहतर होगा कि आप बरी होने तक जेल में रहें।
'दंगों की योजना पहले से ही भयावह उद्देश्य से बनाई'
एसजी ने जमानत याचिकाओं का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि यह स्वतः स्फूर्त दंगों का मामला नहीं है, बल्कि ऐसा मामला है जिसमें दंगों की योजना पहले से ही भयावह उद्देश्य और सोची-समझी साजिश के साथ बनायी गयी थी।
न्यायमूर्ति नवीन चावला व न्यायमूर्ति शालिन्दर कौर की पीठ ने अभियोजन पक्ष और विभिन्न आरोपितों के तर्कों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। शरजील व उमर के साथ ही मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, अतहर खान, खालिद सैफी व गुलफिशा फातिमा ने जमानत देने से इन्कार करने के ट्रायल कोर्ट के निर्णय को चुनाैती दी थी। वहीं, आरोपित शादाब अहमद की जमानत याचिका पर गुरुवार को सुनवाई के लिए तय कर दिया।
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'एक विशेष दिन और समय को तय था लक्ष्य'
एसजी ने कहा कि दंगे पूर्व नियोजित व सुनियोजित थे और इनका उद्देश्य एक भयावह लक्ष्य को प्राप्त करना था। यह अपने आप में ऐसा उदाहरण है जो आरोपितों को जमानत की किसी भी राहत के लिए अयोग्य ठहराता है। यह आपराधिक साजिश देश की राजधानी में एक विशेष दिन और समय को लक्ष्य बनाकर बनाई गई थी।
जांच एजेंसी के दावों को भी ठुकराया
पूर्व में सुनवाई के दौरान शरजील इमाम के वकील ने पहले तर्क दिया था कि वह उमर खालिद सहित स्थान, समय और सह-आरोपितों से पूरी तरह से अलग था।
यह भी तर्क दिया था कि इमाम के भाषणों और वाट्सएप चैट में कभी भी किसी अशांति फैलाने की बात नहीं की गई थी।
वहीं, उमर खालिद ने भी मामले की जांच और सुनवाई में देरी के आधार पर जमानत की मांग की थी। उन्होंने दिल्ली दंगे की साजिश रचने के जांच एजेंसी के दावों को भी ठुकरा दिया था।
दंगे में 53 लोग गए थे मारे
दिल्ली पुलिस ने आरोपितों के विरुद्ध गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। उक्त दंगे में 53 लोग मारे गए थे, जबकि 700 से अधिक घायल हुए थे।
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