Delhi Schools: प्रधानाचार्य की नियुक्तियों में हुई धांधली, उम्मीदवार ने लगाए थे फर्जी दस्तावेज
राजधानी के सरकारी स्कूलों में 10 वर्षों बाद प्रधानाचार्यों के पदों को भरा गया है। लेकिन बड़ी संख्या में इनमें फर्जीवाड़ा और धांधली हुई है। हाल ही में शिक्षा निदेशालय ने अपने स्कूलों में 334 पदों पर प्रधानाचार्यों की नियुक्ति सीधी भर्ती के तहत की है। सीधी भर्ती के लिए उम्मीदवारों की नियुक्ति से पहले संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की तरफ से परीक्षा आयोजित की गई थी।

नई दिल्ली, रीतिका मिश्रा। राजधानी के सरकारी स्कूलों में 10 वर्षों बाद प्रधानाचार्यों के पदों को भरा गया है। लेकिन बड़ी संख्या में इसमें फर्जीवाड़ा और धांधली हुई है। हाल ही में शिक्षा निदेशालय ने अपने स्कूलों में 334 पदों पर प्रधानाचार्यों की नियुक्ति सीधी भर्ती के तहत की है। सीधी भर्ती के लिए उम्मीदवारों की नियुक्ति से पहले संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की तरफ से परीक्षा आयोजित की गई थी।
परीक्षा के बाद यूपीएससी ने उत्तीर्ण हुए सभी उम्मीदवारों के नाम शिक्षा निदेशालय को भेजे थे। यूपीएससी ने अप्रैल 2021 में उम्मीदवारों से भर्ती के आवेदन मांगे थे। यूपीएससी की तरफ से सूची जारी होने के बाद शिक्षा निदेशालय ने इन सभी उम्मीदवारों के दस्तावेज की जांच कर इनको अलग-अलग स्कूल आवंटित किए।
नियुक्त हुए प्रधानाचार्यों के दस्तावेज में तमाम गड़बड़ियां मिली हैं। प्रधानाचार्यों के पद पर नियुक्ति से पहले उम्मीदवार के पास कम से कम 10 वर्ष पढ़ाने का अनुभव होना चाहिए। लेकिन कुछ उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने साठगांठ से अपना फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र लगाया है। वहीं, कुछ ऐसे उम्मीदवार हैं जिनकी शैक्षिक योग्यता के प्रमाण पत्र, ईडब्ल्यूएस और ओबीसी के सर्टिफिकेट भी फर्जी हैं। मामले में शिक्षा मंत्री, शिक्षा निदेशक और यूपीएससी सचिव से संपर्क किया गया पर कोई जवाब नहीं मिला।
शिक्षा निदेशालय की ओर से दिल्ली के सरकारी स्कूलों में प्रधानाचार्यों के कुल 950 पद स्वीकृत है। जिनमें 475 सीधी भर्ती और 475 पदोन्नति के लिए आरक्षित हैं। हाल ही में सीधी भर्ती के 475 पदों पर 334 प्रधानाचार्यों की भर्ती की गई है।
हर विभाग ने बरती लापरवाही
प्रधानाचार्यों की नियुक्ति में हर विभाग की तरफ से लापरवाही बरती गई है। सूत्रों के मुताबिक 100 से भी अधिक ऐसे उम्मीदवारों का चयन किया गया है जिन्होंने जालसाजी की है। इन उम्मीदवारों ने विभिन्न फर्जी दस्तावेज के आधार पर चयन प्राप्त किया है। सूत्रों ने बताया कि इस धांधली में विभिन्न गुट शामिल हैं जिन्होंने फर्जीवाड़ा कर के इन प्रधानाचार्यों की नियुक्ति कराई है।
दस्तावेज के अनुसार एक उम्मीदवार ऐसा है जिसका चयन ईडब्ल्यूएस श्रेणी में किया गया है। उत्तर प्रदेश के रहने वाले इस उम्मीदवार ने 11 वर्षों का अनुभव प्रमाण पत्र लगाया है। जिस स्कूल का उसने अनुभव प्रमाण पत्र लगाया है वहां के प्रधानाचार्य ने बताया कि उसे दो वर्ष पहले ही बर्खास्त किया जा चुका है।
उम्मीदवार ने अपने ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट में भी फर्जीवाड़ा किया है। उपलब्ध दस्तावेज के मुताबिक जिस तहसीलदार के सर्टिफिकेट पर हस्ताक्षर है उसने ऐसे किसी भी सर्टिफिकेट को न जारी करने किए जाने की बात कही है।
वहीं, कुछ उम्मीदवारों के जाली प्रमाण पत्र ऐसे हैं जिनमें लगभग 15 से भी अधिक कमियां हैं लेकिन न तो यूपीएससी और न ही शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों की इस पर नजर पड़ी। उम्मीदवारों के दस्तावेज देखकर प्रतीत होता है कि उन्होंने अनुभव प्रमाण पत्र स्वयं ही बना लिए हैं और इसमें एक कदम आगे बढ़ते हुए सीबीएसई के अधिकारियों के हस्ताक्षर और मुहर भी स्वयं ही लगा ली है। कुछ उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री भी फर्जी लगाई है।
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