दिल्ली में 70 प्रतिशत तक महंगी होने जा रही बिजली! सुप्रीम कोर्ट ने दिया है रेगुलेटरी एसेट के भुगतान का आदेश
दिल्ली के बिजली उपभोक्ताओं को झटका लग सकता है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने बिजली कंपनियों को विनियामक परिसंपत्ति का भुगतान करने का आदेश दिया है जिससे बिजली 70% तक महंगी हो सकती है। उपभोक्ताओं पर बोझ कम करने के लिए डीईआरसी ने भुगतान अवधि बढ़ाने की मांग की है। विनियामक परिसंपत्ति को लेकर पहले से ही विवाद चल रहा है और अब उपभोक्ताओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में बिजली उपभोक्ताओं पर बड़ा आर्थिक बोझ पड़ने वाला है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले माह बिजली वितरण कंपनियों (डिस्काॅम) की बकाया विनियामक परिसंपत्ति (Regulatory Assets) के भुगतान का आदेश दिया था।
चार वर्षों में बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड (बीवाईपीएल), राजधानी पावर लिमिटेड (बीआरपीएल) और टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीएल) को 31,502 करोड़ रुपये की विनियामक परिसंपत्ति का भुगतान दिया जाना है।
यह राशि बिजली उपभोक्ताओं से ही वसूली की जानी है। इससे दिल्ली में बिजली 70 प्रतिशत तक महंगी हो सकती है। उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ को कम करने के लिए दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग ( DERC) ने सुप्रीम कोर्ट से विनियामक परिसंपत्ति चार वर्ष की जगह सात वर्षों में वसूले जाने की अनुमति देने की अपील की है।
बिजली नेटवर्क पर होने वाले खर्च को डिस्काॅम विनियामक परिसंपत्ति के रूप में दावा करती है। इसी तरह से महंगी बिजली खरीदकर उपभोक्ताओं को कम मूल्य पर उपलब्ध कराने से होने वाले घाटे को भी इस मद में शामिल कर लिया जाता है। इसे लेकर वर्षों से विवाद चल रहा है।
बिजली उपभोक्ता इसका विरोध करते रहे हैं। भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पहले डिस्काॅम की विनियामक परिसंपत्ति बढ़ने के लिए तत्कालीन आम आदमी पार्टी सरकार को जिम्मेदार ठहराया था।
भाजपा नेताओं का कहना था कि प्राकृतिक आपदा या अन्य अपरिहार्य स्थिति को छोड़कर डिस्काॅम विनियामक परिसंपत्ति का दावा नहीं कर सकती है। दिल्ली में ऐसी स्थिति नहीं है, इसके बाद भी डिस्काॅम की विनियामक परिसंपत्ति बढ़ने दी गई।
बिजली उपभोक्ताओं के हित में काम करने वाली संस्थाएं और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्य भी इसका विरोध कर रहे थे। वह डिस्काॅम के खाते का ऑडिट कराने की मांग करते रहे हैं। वहीं, डिस्काॅम विनियामक परिसंपत्तियों के भुगतान के लिए सुप्रीम कोर्ट चली गई थी।
छह अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने उनके हक में निर्णय सुनाया था। एक अप्रैल, 2024 से चार वर्षों के अंदर बकाया विनियामक परिसंपत्ति का भुगतान करने का आदेश दिया था। डीईआरसी को भुगतान का रोड मैप देने को कहा गया था।
डीईआरसी ने उपभोक्ताओं के हित में सुप्रीम कोर्ट से अपने निर्णय में संशोधन की मांग की है। उसने भुगतान की अवधि चार वर्ष से बढ़ाकर सात वर्ष और इसकी गणना एक अप्रैल, 2024 की जगह छह अगस्त, 2025 से करने की मांग की है।
बिजली अधिकारियों का कहना है कि यदि डीईआरसी की अपील के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में बदलाव हुआ तो उपभोक्ताओं को 30 प्रतिशत तक अधिक बिल चुकाना होगा।
यदि सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय नहीं बदला तो उपभोक्ताओं के बिजली बिल में 70 प्रतिशत से भी अधिक वृद्धि हो सकती है। क्योंकि, भुगतान के लिए दिए गए चार वर्षों में से लगभग डेढ़ वर्ष निकल गए हैं। अब लगभग ढाई वर्ष में उपभोक्ताओं से पूरी बकाया राशि वसूली जाएगी।
जानकारी अनुसार 19 जुलाई, 2024 को डीईआरसी ने 26,885 करोड़ रुपये विनियामक परिसंपत्ति के भुगतान की अनुमति दे दी थी। लेकिन, टैरिफ नहीं आने के कारण इस पर अमल नहीं हो सका। अब यह राशि बढ़कर 31 हजार करोड़ से अधिक हो गई है।
बिजली वितरण कंपनियों का बकाया विनियामक परिसंपत्तिः-
- बीआरपीएल - 15,512 करोड़ रुपये
- बीवाईपीएल - 10,338 करोड़ रुपये
- टीपीडीडीएल - 5,652 करोड़ रुपये
- कुल - 31,502 करोड़ रुपये
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