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    Delhi Police इंस्पेक्टर को 30 लाख की रिश्वत मांगने के मामले में मिली जमानत, ऑडियो रिकॉर्डिंग और चैट दे रहे गवाही

    Updated: Wed, 16 Jul 2025 06:33 PM (IST)

    राउज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली पुलिस इंस्पेक्टर जितेंद्र सिंह यादव को रिश्वतखोरी के मामले में सशर्त जमानत दी। उन पर एक शिकायतकर्ता से 30 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप है। अदालत ने जांच में सहयोग करने और गवाहों को प्रभावित न करने की शर्त पर जमानत दी। पुलिस के पास ऑडियो रिकॉर्डिंग और चैट के सबूत हैं।

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    दिल्ली पुलिस अधिकारी को 30 लाख रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप में मिली सशर्त जमानत

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राउज एवेन्यू स्थित विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत गिरफ्तार दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर जितेंद्र सिंह यादव को सशर्त जमानत दे दी है। विशेष न्यायाधीश दीपाली शर्मा ने आरोपित को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की एक जमानती पर जमानत दे दी। आरोपित पर शिकायतकर्ता से 30 लाख रुपये रिश्वत मांगने का आरोप है।

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    जांच में पूर्ण सहयोग देने का आदेश

    इस संबंध में अदालत ने कहा कि किसी सरकारी अधिकारी के विरुद्ध गंभीर आरोप होने के बावजूद, यदि जांच में उससे अपेक्षित सहयोग प्राप्त हो चुका है और वह न्यायिक प्रक्रिया से भागने की मंशा नहीं रखता, तो उसे अनावश्यक रूप से हिरासत में रखना उचित नहीं ठहराया जा सकता। अदालत ने सख्त शर्तों के साथ जमानत दी और स्पष्ट किया कि आरोपित किसी भी गवाह को प्रभावित न करें व जांच में पूर्ण सहयोग दें।

    पहले धमकी देते हुए मांगी थी एक करोड़ रुपये की रिश्वत

    आरोपित जिसमें जितेंद्र सिंह यादव और सह-आरोपित धरमवीर सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि जितेंद्र यादव शिकायतकर्ता पूजा अग्रवाल व उनके पति के खिलाफ दर्ज तीन मामलों में जांच अधिकारी हैं। शिकायतकर्ता के अनुसार, जितेंद्र यादव ने उनकी जमानत रद कराने की धमकी देते हुए एक करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी, जो बाद में 30 लाख रुपये पर तय हुई।

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    बातचीत के सारे सुबूत दे रहे गवाही 

    राज्य की ओर से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक ने दलील दी कि सह-आरोपित धरमवीर सिंह को एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। लोक अभियोजक ने कहा कि पुलिस के पास बातचीत की ऑडियो रिकाॅर्डिंग, वाट्सएप चैट और सीसीटीवी फुटेज हैं, जो शिकायत को पुष्ट करते हैं।

    बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि आरोपित के पास से कुछ भी बरामद नहीं हुआ है और वह जांच में सहयोग कर रहे हैं। वह 23 जून 2025 से हिरासत में हैं और अब उनकी और हिरासत की आवश्यकता नहीं है।

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