26 साल से फरार अपहरण और हत्या का आरोपी दिल्ली में गिरफ्तार; बिहार, राजस्थान और पंजाब में काटता रहा फरारी
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 26 साल से फरार भगोड़े राज किशोर उर्फ बड़े लल्ला को गिरफ्तार किया है। 55 वर्षीय राज किशोर पर 1993 में एक व्यवसायी के बेटे का अपहरण और हत्या करने का आरोप है। फिरौती मिलने के बाद उसने बच्चे की गला दबाकर हत्या कर दी थी। 1996 में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई लेकिन 1999 में पैरोल पर भाग गया था।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की एंटी-रॉबरी स्क्वॉड सेल (ARSC) ने 26 साल से फरार एक भगोड़े राज किशोर उर्फ बड़े लल्ला को गिरफ्तार कर लिया है। उसकी आयु 55 वर्ष है। वह उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात का रहनेवाला है। राज किशोर पहले एक दर्जी था। फिर वह अपराध की दुनिया में आ गया और अपहरणकर्ता और हत्यारा बन गया। उस पर 1993 में एक गारमेंट व्यवसायी के 8 वर्षीय बेटे का अपहरण और उसकी हत्या करने का आरोप है।
जघन्य अपराध का विवरण
पुलिस के अनुसार, साल 1993 में राज किशोर ने अपने साथी विजय के साथ एक व्यवसायी के बेटे का अपहरण किया और 30 हजार रुपये की फिरौती मांगी। फिरौती मिलने के बाद उसने बच्चे की गला दबाकर हत्या कर दी और शव को कल्याणपुरी के पास एक नाले में फेंक दिया था।
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2014 में घोषित हुआ भगोड़ा
इस मामले में कल्याणपुरी पुलिस स्टेशन में 28 दिसंबर, 1993 को एफआईआर दर्ज की गई थी। वर्ष 1996 में कड़कड़डूमा सत्र न्यायालय ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। फिर साल 1999 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने उसे छह सप्ताह की पैरोल दी। इसका फायदा उठाकर वह फरार हो गया। 2009 में उसकी अपील खारिज हो गई और 2014 में उसे भगोड़ा अपराधी घोषित कर दिया गया था।
निरंतर पीछा और गिरफ्तारी
एचसी मिंटू यादव को मिली विश्वसनीय सूचना के आधार पर, एआरएससी ने एचसी नवीन कुमार, एचसी अमित कुमार, अभिनव त्यागी, एचसी अनुज, और इंदरजीत सिंह की एक टीम गठित की। इसके बाद पुलिस टीम ने राज किशोर को कानपुर के बाहरी इलाके में ढूंढ निकाला।
शुरुआत में पुलिस की छापेमारी की हर कार्रवाई बेकार जा रही थी क्योंकि उसे स्थानीय लोगों से छापे की जानकारी मिल जा रही थी। मगर दो महीने के ऑपरेशन के बाद अंतत: यह शातिर पुलिस के हत्थे चढ़ गया। 2 अगस्त को गाजियाबाद के खोड़ा कॉलोनी से उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
चाहता था जल्दी अमीर बनना
पूछताछ में राज किशोर ने खुलासा किया कि उसने बिहार के पटना में चार साल, राजस्थान के जयपुर में तेरह साल और पंजाब के बरनाला में तीन साल तक छिपकर समय बिताया। वह कभी-कभी कानपुर जाता था। कोविड काल में उसने कानपुर देहात में दर्जी की दुकान शुरू की।
पूछताछ में राज किशोर ने बताया कि जल्दी पैसा कमाने के लिए उसने अपराध का रास्ता चुना था। उसकी गिरफ्तारी दिल्ली पुलिस की अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। आगे की कानूनी कार्यवाही जारी है।
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