Delhi News: क्या प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस बढ़ोतरी के लिए बनेगा कानून? शिक्षा निदेशालय ने कही ये बात
दिल्ली के स्कूलों में फीस वृद्धि के खिलाफ अभिभावकों ने शिक्षा निदेशालय पर प्रदर्शन किया। सृजन अभिभावक संघ के नेतृत्व में अभिभावकों ने समय पर फीस न भरने पर छात्रों को परेशान करने और फीस वृद्धि के लिए नए कानून बनाने की मांग की। शिक्षा निदेशालय ने जल्द ही समाधान का आश्वासन दिया है। निदेशक ने कहा कि फीस वृद्धि को रोकने के लिए निदेशालय पूरी तरह से गंभीर है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राजधानी के स्कूलों में लगातार हो रही फीस बढ़ोतरी के खिलाफ अभिभावकों ने बुधवार को शिक्षा निदेशालय पर प्रदर्शन किया। सृजन अभिभावक संघ के नेतृत्व में प्रदर्शन करने पहुंचे अभिभावकों ने समय पर फीस न जमा करने पर छात्रों को परेशान करने और फीस बढ़ोतरी को लेकर नए कानून बनाने की मांग की। शिक्षा निदेशालय ने जल्द ही नए नियम लाकर इस मुद्दे का समाधान करने का आश्वासन दिया है।
बच्चों के साथ होती है ये परेशानी
प्रदर्शनकारी अभिभावकों का प्रतिनिधिमंडल शिक्षा निदेशालय की निदेशक वेदिता रेड्डी से मिला। अभिभावकों ने उन्हें बताया कि स्कूल निदेशालय के मानकों के अनुसार फीस नहीं ले रहे हैं। बढ़ी हुई फीस जमा करने के लिए छात्रों पर दबाव बनाते हैं। ऐसा न करने पर बच्चों को तरह-तरह से परेशान किया जाता है। उन्हें कक्षाओं में नहीं बैठने दिया जाता।
निदेशक ने आश्वासन दिया कि फीस वृद्धि रोकने के लिए निदेशालय गंभीर है। जल्द ही नियम बनाए जाएंगे। मंगलवार को ही क्वींस मैरी स्कूल को नोटिस जारी कर जांच के आदेश दिए गए हैं। जो मामले प्रकाश में आ रहे हैं, उन पर कार्रवाई की जा रही है।
उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे ऐसे मामले उनके संज्ञान में लाएं, कार्रवाई जरूर होगी। प्रदर्शनकारी अभिभावकों ने साफ किया कि जब तक शिक्षा विभाग कोई ठोस कार्रवाई नहीं करता, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। करीब दो घंटे तक प्रदर्शन चला।
अधिवक्ता ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
हाईकोर्ट के अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर फीस वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कानून बनाने की मांग की है। उन्होंने लिखा है कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(जी) निजी स्कूलों को व्यवसाय करने की आजादी देता है, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि इसे वैध कानून के जरिए ही नियंत्रित किया जा सकता है।
दुर्भाग्य से दिल्ली में अभी तक कोई ऐसा व्यापक कानून नहीं है जो इन स्कूलों की फीस प्रणाली को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सके। दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम, 1973 की व्याख्या दिल्ली हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने 1998 में की थी, लेकिन उसमें फीस नियंत्रण के मुद्दे को पूरी तरह से संबोधित नहीं किया गया था।
इससे पहले केजरीवाल सरकार के अनुरोध पर एक मसौदा विधेयक तैयार कर जून 2015 में पेश किया गया था। लेकिन, सरकार ने उस विधेयक को स्वीकार नहीं किया और नवंबर 2015 में एक अलग विधेयक पारित कर दिया
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