दिल्ली में बारिश ने तोड़े सारे रिकॉर्ड, इस साल का कोटा सिर्फ छह दिन में पूरा; जानें अच्छी मानसून की वजह
दिल्ली में मानसून ने वर्ष 2025 का सालाना वर्षा कोटा सिर्फ छह दिनों में पूरा कर लिया है जो सामान्य से 5.6% अधिक है। मौसम विभाग ने इसका कारण उत्तर पश्चिमी भारत में सक्रिय मौसमी परिस्थितियों का संयोजन बताया है। मई में सबसे अधिक वर्षा हुई और अब थंडर क्लाउड बनने लगे हैं जो कम समय में तेज़ी से बरसते हैं।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। मानसून का बदलता पैटर्न कहें या बादलों की बदलती प्रकृति... सिर्फ छह दिनों की झमाझम वर्षा से वर्ष 2025 का सालाना कोटा पूरा कर दिया है। वर्षा का आंकड़ा अब सरप्लस हो चुका है। संभावना है कि अगस्त माह में भी और वर्षा होगी जबकि इसके बाद भी चार माह बचे हैं। मौसम विभाग ने इसका मुख्य कारण उत्तर पश्चिमी भारत में एक साथ सक्रिय कई मौसमी परिस्थितियों का संयोजन बताया है, जिसे इस बार समान रूप से सक्रिय मानसून से भी मदद मिली है।
गौरतलब है कि दिल्ली में सालाना वर्षा का आंकड़ा 774.4 मिमी है जबकि बृहस्पतिवार तक यह 818.1 मिमी यानी सामान्य से 5.6 प्रतिशत अधिक वर्षा हो चुकी है। हैरानी की बात यह कि 2025 के शुरुआती चार माह में जहां केवल 10.5 मिमी वर्षा दर्ज हुई थी वहीं मई, जून, जुलाई, अगस्त में केवल छह दिन की झमाझम वर्षा ने सालाना कोटे को पूर्णता के पार कर सरप्लस में ला दिया।
मालूम हो कि मई में दो, जून-जुलाई में एक एक दिन जबकि अगस्त में दो दिन तेज वर्षा दर्ज की गई है। यहां उल्लेखनीय यह कि पिछले साल भी 30 अगस्त तक राजधानी की वर्षा का सालाना कोटा पूरा हो गया था।
स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष महेश पलावत का कहना है कि पिछले साल ला नीना की स्थिति थी, जो मानसून को गति दे रही थी। इस बार परिस्थितियां तटस्थ हैं, लेकिन उत्तर-पश्चिमी भारत में सक्रिय कई मौसमी प्रणालियां छाई हुई हैं। इससे मैदानी इलाकों में काफी नमी बनी हुई है। लिहाजा ज्यादातर दिनों में हल्की से मध्यम और कुछ दिनों में भारी वर्षा हो रही है।
मौसम विभाग के एक विज्ञानी ने इसके लिए सक्रिय मौसम प्रणालियों, जिनमें निम्न दबाव वाले क्षेत्र और पश्चिमी विक्षोभ भी शामिल हैं, को जिम्मेदार ठहराया। अधिकारी ने कहा, "हमारे यहां प्री मानसून भी काफी सक्रिय रहा है, जो मानसून के मौसम में भी जारी रहा है।
मई रहा सर्वाधिक वर्षा वाला महीना
दिल्ली में इस साल मई अब तक का सबसे अधिक वर्षा वाला माह रहा, जिसमें 186.4 मिमी वर्षा दर्ज की गई। यह सामान्य औसत 30.7 मिमी से छह गुना अधिक है। जून में 107.1 मिमी मासिक वर्षा दर्ज की गई, जो दीर्घावधि औसत 74.1 मिमी से 45 अधिक है। जुलाई में 259.3 मिमी वर्षा हुई, जो सामान्य औसत 209.7 मिमी से 24 प्रतिशत अधिक थी। अगस्त में भी आधा माह बीता नहीं कि 254.8 मिमी वर्षा दर्ज की जा चुकी है, जो इस माह की सामान्य वर्षा 233.1 मिमी से 9.3 प्रतिशत अधिक है।
अब अल्टो स्ट्रेटस नहीं, बनते हैं थंडर क्लाउड
तकरीबन ढाई दशक पहले जो बादल बनते थे, वो अल्टो स्ट्रेटस होते थे। इनमें अपेक्षाकृत एकरूपता होती थी और वो रुक रुककर समूची दिल्ली में बरसते थे। वर्षा भी कई- कई दिनों तक चलती रहती थी। लेकिन अब थंडर क्लाउड बनने लगे हैं। इसमें समानता नहीं होती। इनमें पानी सोखने की क्षमता भी काफी कम होती है। इसीलिए ऐसे बादल एकाएक छाते हैं, गरजते हैं और फिर कुछ ही घंटों में बरस भी जाते हैं।
मई, जून, जुलाई और अगस्त में कब कब हुई तेज वर्षा
दिन | वर्षा (मिमी) |
---|---|
2 मई | 77 |
25 मई | 81.4 |
15 जून | 42 |
29 जुलाई | 129.8 |
9 अगस्त | 79 |
14 अगस्त | 79.4 |
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