Delhi: जनकपुरी सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में डायलिसिस सेवा पर लग सकता है विराम, दो करोड़ का है बकाया
सितंबर 2018 में अतिविशिष्ट अस्पताल में पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर डायलिसिस सेवा की शुरुआत हुई थी। गुरुवार से यहां डायलिसिस सेवा बाधित हो सकती है। डायलिसिस सेवा चलाने वाली संस्था का कहना है कि बीते सात माह से अस्पताल प्रशासन ने उनको भुगतान नहीं किया है। इस कारण अब उनके पास डायलिसिस में इस्तेमाल सामान खरीदने के पैसे नहीं हैं।

पश्चिमी दिल्ली, मनीषा गर्ग। जनकपुरी स्थित अतिविशिष्ट अस्पताल में कल से डायलिसिस सेवा बाधित हो सकती है। अस्पताल में डायलिसिस सेवा चलाने वाली संस्था का कहना है कि बीते सात माह से अस्पताल प्रशासन ने उनको भुगतान नहीं किया है, जिसके कारण अब उनके पास डायलिसिस में इस्तेमाल सामान खरीदने के पैसे नहीं हैं।
जैसे-तैसे वे गुरुवार सुबह दस बजे तक लोगों का डायलिसिस कर पाएंगे, उसके बाद के स्लॉट में किसी का डायलिसिस करना उनके लिए संभव नहीं होगा। इस संदर्भ में उन्होंने करीब 25 बार अस्पताल प्रशासन को आगाह किया है और बीते एक सप्ताह से डायलिसिस वार्ड में इसको लेकर दीवारों पर नोटिस भी चिपका दिया है।
दो करोड़ रुपये है बकाया
सितंबर 2018 में अतिविशिष्ट अस्पताल में पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर डायलिसिस सेवा की शुरुआत हुई थी। एस्केग संजीवनी डायलिसिस सेंटर को पांच साल का टेंडर मिला था। जो इस वर्ष 17 सितंबर को खत्म होने जा रहा है।
सेंटर के संचालक का कहना अस्पताल प्रशासन पर उनका करीब दो करोड़ रुपये बकाया है। इस वर्ष फरवरी से अस्पताल प्रशासन ने उन्हें भुगतान नहीं किया है। हर माह डायलिसिस यूनिट को चलाने में करीब 25 लाख रुपये का खर्च आता है।
जिसमें डायलिसिस में इस्तेमाल उपकरण व दवाओं को खरीदने से लेकर कर्मचारियों का वेतन, बिजली व पानी का बिल, लॉन्ड्री आदि खर्च शामिल हैं। बकाया रकम के भुगतान के लिए अस्पताल प्रशासन, स्वास्थ्य निदेशालय समेत सभी उच्च अधिकारियों को ई-मेल किया गया है।
अस्पताल में चिकित्सा निदेशक व अधीक्षक सभी से सामने-आमने बैठक भी की गई है, पर कही से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है। सेंटर संचालक का कहना है कि आज यदि अस्पताल प्रशासन डायलिसिस के लिए सामान उपलब्ध कराता है या मरीज खुद से सामान लेकर आता है तो ही डायलिसिस की जा सकेगी, वरना मजबूरन वह डायलिसिस केंद्र को संचालित नहीं कर पाएंगे।
प्रत्येक मरीज से लेते हैं 933 रुपये
डायलिसिस सेंटर के संचालक का कहना है कि अस्पताल में हर दिन 150 लोगों का डायलिसिस होता है और यह डायलिसिस सुविधा अस्पताल में 24 घंटे उपलब्ध है। ऐसे लोग जिनकी आय 80 हजार रुपये से कम है, उनके लिए अस्पताल में डायलिसिस की सुविधा मुफ्त है। वहीं इससे अधिक आय वर्ग के लोगों से अस्पताल प्रशासन डायलिसिस के लिए 1200 रुपये का भुगतान लेता है और एस्केग संजीवनी डायलिसिस सेंटर को 933 रुपये प्रति व्यक्ति की दर से भुगतान करता है।
मंत्री ने किया दौरा, पर समस्या का नहीं लिया ब्योरा
सोमवार को स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने अस्पताल का औचक निरीक्षण किया था। पर आश्चर्य की बात यह है कि इस दौरान वे गैस्ट्रोलॉजी व नेफ्रोलॉजी विभाग में गए ही नहीं। जबकि इस विभाग में मरीज अपनी समस्याओं को लेकर मंत्री का इंतजार ही करते रह गए।
अस्पताल प्रशासन ने भी डायलिसिस सेंटर से जुड़ी समस्या का उनके समक्ष जिक्र भी नहीं किया। लोगों ने कहा कि मंत्री अस्पताल की अच्छी बातों का आंकलन करके चले गए और समस्या से वे अनभिज्ञ रह गए। यह कैसा निरीक्षण हुआ?
अस्पताल प्रशासन का पक्ष
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि सेंटर के बकाया का भुगतान दिल्ली सरकार द्वारा किया जाएगा। अभी मानसूत्र सत्र चल रहा है, ऐसे में उम्मीद है कि इस सत्र में अस्पताल के लिए भी फंड आवंटित होगा। तब तक अस्पताल में डायलिसिस सेवा जारी रहे इसके लिए संस्था से बात की जाएगी।
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