राजनीतिक लड़ाई में टूटा गरीबों के आवास का सपना, 10 वर्षों से तैयार फ्लैटों का नहीं हो पाया आवंटन
दिल्ली में गरीबों के आवास का सपना अधूरा रह गया है क्योंकि 10 वर्षों से तैयार फ्लैटों का आवंटन नहीं हो पाया है। केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को 1080 करोड़ रुपये दिए थे पर फ्लैट अभी तक आवंटित नहीं हुए। आप सरकार ने योजना में बदलाव किया जिससे आवंटन अटक गया। मामला उच्च न्यायालय तक पहुंचा जहां फ्लैटों की मरम्मत की बात कही गई।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। पूर्व की आम आदमी पार्टी की सरकार और केंद्र सरकार के बीच विवाद से दिल्ली का विकास बाधित होने के साथ ही गरीबों के आवास का सपना पूरा नहीं हो सका। राजधानी में अलग-अलग स्थानों पर पिछले लगभग 10 वर्षों से अधिक समय से तैयार फ्लैट आवंटित नहीं किए जाने से बर्बाद हो रहे हैं। कई लोगों से पैसे लेने के बाद भी फ्लैट आवंटित नहीं हुए।
गरीबों को पक्का मकान उपलब्ध कराने और दिल्ली को झुग्गीमुक्त करने के उद्देश्य से जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन (जेएनआरयूएम) के अंतर्गत वर्ष 2008 में नरेला, बापरोला सहित 14 स्थानों पर 52,344 फ्लैट बनाने की योजना तैयार की गई। इनमें से मात्र 10 प्रतिशत ही आवंटित हुए हैं।
झुग्गीवासियों ने आवेदन के साथ निर्धारित राशि का भुगतान भी किया
इस योजना के अंतर्गत गरीबों को मात्र 1.32 लाख रुपये में फ्लैट उपलब्ध कराया जाना है। फ्लैट की लागत का अन्य खर्च सरकार उठा रही है। इसके लिए केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को 1080 करोड़ रुपये दिए थे। बड़ी संख्या में झुग्गीवासियों ने आवेदन के साथ निर्धारित राशि का भुगतान भी किया है, लेकिन उन्हें आज तक आवास नहीं मिला।
दिल्ली में आप की सरकार बनने के बाद ही इस योजना को लेकर केंद्र सरकार के साथ विवाद शुरू हो गया था। केंद्र सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत इसे लाना चाहती थी। इसे लेकर आप सरकार तैयार नहीं हुई। उसने योजना में भी बदलाव कर दिया। जब यह योजना तैयार की गई थी तब ओनर बेसिस पर फ्लैट आवंटित किए जाने थे।
7.5 लाख से 11.3 लाख रुपये तक का भुगतान
आप सरकार 2015 में दिल्ली स्लम एंड जेजे रिहैबिलिटेशन एंड रीलोकेशन पॉलिसी लेकर आ गई। इसके अनुसार जमीन के मालिकाना हक वाली एजेंसी झुग्गियों में रहने वालों के पुनर्वास पर निर्माण, भूमि और प्रक्रिया की लागत को पूरा करने के लिए दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डूसिब) को प्रति फ्लैट 7.5 लाख से 11.3 लाख रुपये तक का भुगतान करना होगा। इस बदलाव से फ्लैटों का आवंटन बीच में ही लटक गया।
फ्टैल आवंटन में विलंब होने का मामला दिल्ली हाई कोर्ट भी पहुंचा। वहां केंद्र सरकार ने कहा कि उसने अपने हिस्से का फंड राज्य सरकार को दे दिया है। इसके बावजूद मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण फ्लैट रहने लायक नहीं हैं। आवंटित नहीं होने से फ्लैटों की स्थिति भी दयनीय हो गई है। डूसिब ने कोर्ट में नौ हजार से अधिक फ्लैटों की मरम्मत की बात कही थी। लेकिन दिल्ली सरकार से फंड नहीं मिलने के कारण वह भी नहीं हो सका।
फ्लैट आवंटित नहीं होने से इसमें से सात सौ करोड़ से अधिक की राशि केंद्र सरकार को वापस किया जाना था। रेखा गुप्ता सरकार ने इस राशि से जर्जर हो रहे फ्लैट की मरम्मत कर झुग्गीवािसयों को आवंटित करने का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार से उन्हें इसकी अनुमति मिल गई है।
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