दिल्ली हाई कोर्ट ने NHAI की CLAT-PG स्कोर आधारित भर्ती पर लगाई अंतरिम रोक, चयन का आधार बताने को कहा
दिल्ली हाई कोर्ट ने एनएचएआई द्वारा क्लैट-पीजी परीक्षा के माध्यम से अधिवक्ताओं की भर्ती पर अंतरिम रोक लगा दी है। अदालत ने कहा कि इसके पीछे कोई तर्क नहीं है क्योंकि क्लैट पीजी का उद्देश्य एलएलएम के लिए है न कि कर्मचारियों की भर्ती के लिए कानूनी समझ का परीक्षण करना। अदालत ने एनएचएआई को भर्ती विज्ञापन पर आगे कोई कार्रवाई करने से रोक दिया है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। काॅमन लाॅ एडमिशन टेस्ट (क्लैट-पीजी) की परीक्षा के माध्यम से अधिवक्ताओं की भर्ती से जुड़ी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) की अधिसूचना पर बृहस्पतिवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है। अदालत ने कहा कि इसके पीछे कोई तर्क नहीं है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने एनएचएआई की उस अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
कानूनी समझ का परीक्षण
पीठ ने कहा कि क्लैट पीजी का उद्देश्य एलएलएम के लिए है। वास्तव में एनएचएआई यह नहीं परख रहा है कि वे एक अच्छा कर्मचारी होंगेया नहीं। आपके मामले में कोई तर्क नहीं है। वहीं, एनएचएआइ के वकील ने कहा कि प्राधिकरण स्कोर की जांच करके उम्मीदवार की कानूनी समझ का परीक्षण कर रहा है और एकमात्र कारण यह है कि क्लैट स्कोर समझने के लिए एक उचित मानदंड हैं।
कोई भाग भी नहीं ले सकता
हालांकि, तर्क से असहमत पीठ ने कहा कि अलग-अलग उद्देश्यों के लिए अलग-अलग कौशल की आवश्यकता होती है। पीठ ने कहा कि कोई व्यक्ति रोजगार के योग्य हो सकता है, कोई उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए बेहतर हो सकता है। पीठ ने कहा कि एनएचएआइ इसे पात्रता मानदंड कैसे बना सकते हैं, जिसके बिना कोई भाग भी नहीं ले सकता।
क्लैट पीजी का हिस्सा नहीं
पीठ ने कहा कि एनएचएआई यह मानक तय नहीं कर रहा है कि जो कोई भी क्लैट-पीजी में भाग लेगा, वह पात्र होगा। आप प्राप्त अंकों के आधार पर चयन कर रहे हैं। यह एक भर्ती मानदंड है। यह पात्रता मानदंड तक सीमित नहीं है। पीठ ने आगे बताया कि नवीनतम राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क रैंकिंग में एनएलयू दिल्ली दूसरे स्थान पर था, लेकिन यह क्लैट पीजी का हिस्सा नहीं था।
आगे कोई कार्रवाई नहीं करेगा
साथ ही, चयन का काम बार एसोसिएशन को सौंपने के पिछली पीठ के सुझाव की ओर इशारा किया। इस पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सालिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि बार एसोसिएशन को इसका जवाब देना होगा। यह रोजगार का मानक नहीं हो सकता। तर्कों को सुनने के बाद अदालत ने निर्णय सुरक्षित रख लिया और कहा कि फैसला सुनाए जाने तक एनएचएआई अपने भर्ती विज्ञापन के अनुसरण में आगे कोई कार्रवाई नहीं करेगा।
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