'पतंजलि ने च्यवनप्राश बनाने वालों को कर दिया है बदनाम...', हाई कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ दी सख्त चेतावनी
दिल्ली उच्च न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद की डाबर के च्यवनप्राश विज्ञापन विवाद पर सख्त टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि तथ्यहीन अपील होने पर जुर्माना लगाया जाएगा। न्यायाधीशों ने पतंजलि के वकील से पूछा कि एकल पीठ के फैसले के खिलाफ अपील क्यों की गई यह कहते हुए कि कंपनी ने च्यवनप्राश निर्माताओं को बदनाम किया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि आधारहीन अपीलें अब स्वीकार नहीं की जाएंगी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। डाबर के च्यवनप्राश में सारी सामग्री नहीं होने की बात करने वाले विज्ञापन चलाने पर अंतरिम रोक लगाने के एकल पीठ के निर्णय को पतंजलि आयुर्वेद ने चुनौती दी है।
पतंजलि की अपील याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सी हरिशंकर व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने टिप्पणी की कि अगर अपील तथ्यहीन लगती है, तो पतंजलि आयुर्वेद पर जुर्माना लगाया जाएगा।
अदालत ने कहा कि पतंजलि ने च्यवनप्राश बनाने वाले सभी लोगों को यह कहकर बदनाम कर दिया है कि उन्हें इसे बनाना नहीं आता और यह एक सामान्य अपमान का मामला है।
अंतरिम आदेश पूरी तरह से विवेकाधीन है। पीठ ने पूछा कि हमें अपील में हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए? सिद्धांतों को सही ढंग से लागू किया गया है। अदालत ने यह भी कहा कि उक्त आदेश से पतंजलि को अपूरणीय क्षति कहां है? कुछ भी नहीं।
पीठ ने यहां तक कहा कि अदालत बेवजह की गई अपील की अनुमति नहीं देगी। अदालत के सख्त रुख को देखते हुए जयंत मेहता ने इस मुद्दे पर प्रतिपक्ष के साथ बैठकर अदालत में वापस आने के लिए कुछ देने का अनुरोध किया।
इस पर पीठ ने मामले की सुनवाई 23 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी। तीन जुलाई को एकल पीठ ने पतंजलि द्वारा चलाए जा रहे विज्ञापनों के खिलाफ डाबर इंडिया लिमिटेड द्वारा दायर अंतरिम आवेदनों को स्वीकार कर लिया था।
साथ ही विज्ञापन पर अंतरिम रोक लगा दी थी। अदालत ने कहा कि पतंजलि के टीवी विज्ञापन में यह दर्शाया गया था कि बाजार में उपलब्ध च्यवनप्राश साधारण हैं और उपभोक्ताओं को साधारण उत्पादों से संतुष्ट नहीं होना चाहिए, जो आयुर्वेदिक ज्ञान के अनुसार तैयार नहीं किए जाते।
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