झुग्गीवासियों की याचिका पर अदालत ने डीडीए-डूसिब को जारी किया नोटिस, घर नहीं देने पर दिल्ली HC ने मांगा जवाब
दिल्ली हाई कोर्ट ने जंगपुरा के 43 झुग्गीवासियों को दोबारा बसाने के आदेश की अवमानना मामले में डीडीए और डूसिब से जवाब तलब किया है। अदालत ने 17 सितंबर 2024 को पुनर्वास प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया था जिसे कथित तौर पर नहीं माना गया। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि उनकी झुग्गियों को बिना नोटिस तोड़ा गया था।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जंगपुरा इलाके से 2006 में उजाड़े गए 43 झुग्गीवासियों को दोबारा बसाने के आदेश की अवमानना मामले से जुड़ी याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) व दिल्ली शहरी आश्रित सुधार बोर्ड (डूसिब)से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने डीडीए उपाध्यक्ष व डूसिब अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
हाई कोर्ट से बड़ी राहत
दक्षिण दिल्ली के जंगपुरा से 2006 में उजाड़े गए 43 झुग्गीवासियों को 18 साल के संघर्ष के बाद हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली थी। याचिका के अनुसार 17 सितंबर 2024 को दिल्ली हाई कोर्ट ने 43 याचिकाकर्ताओं को दोबारा बसाने की प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया था।
अदालत ने डीडीए की पुनर्वास नीति- 2004 के तहत फिर से बसाने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया था।
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2006 में बिना नोटिस दिए तोड़ा
अदालत ने डीडीए और डूसिब की संयुक्त बैठक में याचिकाकर्ताओं को पुर्नवास के लिए अयोग्य करार देने के 31 जनवरी 2015 के फैसले को निरस्त कर दिया था। याचिका में आरोप लगाया गया कि याचिका पर पारित आदेश की जान-बूझकर अवमानना की गई।
ऐसे में अधिकारियों के विरुद्ध अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया जाए। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उनकी झुग्गियों को बिना किसी नोटिस के तोड़ा गया था।
उन्होंने कहा कि दो दशक से भी अधिक समय से इस जगह पर रह रहे थे और इसे एमसीडी और डीडीए ने 8 नवंबर 2006 में बिना नोटिस दिए तोड़ दिया था।
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