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    Delhi Liquor Scam: केजरीवाल और सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई आज, ट्रायल कोर्ट के फैसले को दी है चुनौती

    Updated: Mon, 05 May 2025 07:33 AM (IST)

    दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने निचली अदालत के आरोप पत्र पर संज्ञान लेने के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। अदालत याचिकाओं पर आज सुनवाई करेगी। केजरीवाल और सिसोदिया ने मुकदमे को रद करने की मांग की है। अदालत ने ईडी को नोटिस जारी किया है।

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    आप संयोजक अरविंद केजरीवाल और साथ में मनीष सिसोदिया की फाइल फोटो।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। आबकारी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी के आरोप पत्र का संज्ञान लेने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) की अपील याचिका पर सोमवार (5 मई) को दिल्ली हाई कोर्ट सुनवाई करेगा।

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    याचिकाओं पर न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा की पीठ सुनवाई करेगी। केजरीवाल ने अपील याचिका दायर कर कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दायर आरोप पत्र पर बिना किसी मंजूरी के संज्ञान लिया गया।

    'मुकदमा चलाने के लिए थी मंजूरी की जरूरत'

    वहीं, सिसोदिया ने याचिका में कहा कि चूंकि उनके खिलाफ आरोप एक लोक सेवक के रूप में उनके द्वारा किए गए आधिकारिक कार्यों से संबंधित हैं, इसलिए मुकदमा चलाने के लिए पूर्व मंजूरी की जरूरत थी।

    दोनों ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को खारिज करने की मांग के साथ मामले से जुड़ी सभी कार्यवाही को रद करने की भी मांग की है। अरविंद केजरीवाल की याचिका पर 21 नवंबर 2024 को ईडी को नोटिस जारी कर ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। वहीं, मनीष सिसोदिया की याचिका पर ईडी को उसे दिसंबर 2024 को नोटिस जारी किया गया था।

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    जमानत पर हैं दोनों नेता

    उल्लेखनीय है कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल को 12 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी, जबकि सीबीआई मामले में 13 सितंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत पर रिहा किया था। वहीं, सिसोदिया को ईडी और सीबीआई द्वारा दर्ज मामलों में 9 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी थी।

    जांच एजेंसी सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति में संशोधन करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नीति लागू की और भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 तक इसे खत्म कर दिया।