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    2000 करोड़ का घोटाला: अब नई मुसीबत में मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन, ACB ने दोनों के खिलाफ दर्ज की FIR

    एक और घोटाले में दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) और पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे सत्येंद्र जैन की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। ताजा मामले में दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने बुधवार को पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ क्लासरूम के निर्माण में कथित भ्रष्टाचार को लेकर FIR दर्ज की।

    By Jagran News Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Wed, 30 Apr 2025 12:02 PM (IST)
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    आप नेता मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन की फाइल फोटो।

     जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी पूर्ववर्ती दिल्ली की आप सरकार पर घोटाले को लेकर एक और मुकदमा दर्ज हो गया है। भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने पूर्व उपमुख्यमंत्री व शिक्ष मंत्री मनीष सिसोदिया और पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 12,748 कक्षाओं के निर्माण में करीब दो हजार करोड़ रुपये के घोटाले को लेकर केस दर्ज किया है। 

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    तीन साल तक दबाकर रखी रिपोर्ट

    आरोप है कि इन दोनों नेताओं के मंत्री रहने के दौरान कक्षाओं के निर्माण के लिए अत्यधिक बढ़ी दरों पर ठेके दिए गए थे। प्रत्येक कक्षा का निर्माण 24.86 लाख रुपये में किया गया, जो सामान्य लागत से करीब पांच गुना अधिक है।

    इनमें से अधिकतर ठेके आप से जुड़े ठेकेदारों को दिए गए थे। सक्षम प्राधिकारी से मंजूरी मिलने के बाद साजिश का पता लगाने के साथ ही मंत्रियों, ज्ञात व अज्ञात अधिकारियों व ठेकेदारों की भूमिका और दोष सिद्धि के लिए व्यापक जांच शुरू की गई है।

    भाजपा नेता ने दर्ज कराई थी शिकायत

    एसीबी के संयुक्त पुलिस आयुक्त मधुर वर्मा के अनुसार, वर्ष 2019 में दिल्ली प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता हरीश खुराना, विधायक कपिल मिश्रा और भाजपा के मीडिया कोआर्डिनेटर नीलकान्त बख्शी की ओर से सरकारी स्कूलों में 2,892 करोड़ रुपये की लागत से 12,748 कक्षाओं के निर्माण में भ्रष्टाचार संबंधी शिकायतें प्राप्त हुई थीं।

    टेंडर के अनुसार, एक क्लास रूम के निर्माण की एकमुश्त लागत करीब 24.86 लाख है, जबकि दिल्ली में ऐसे कमरे आमतौर पर लगभग पांच लाख रुपये में बनाए जा सकते हैं। इसमें अर्ध-स्थायी निर्माण किया गया, जिनकी जीवन अवधि 30 वर्ष है, लेकिन लागत आरसीसी के स्थायी निर्माण के बराबर थी, जो आमतौर पर 75 वर्षों तक चलते हैं।

    लागत अधिक होने के बावजूद एक भी काम निर्धारित समय पर पूरा नहीं हुआ। आरोप है कि पूरा निर्माण कार्य 34 ठेकेदारों को दिया गया था, जिनमें से अधिकांश आप से जुड़े हैं। इसके लिए सलाहकार और आर्किटेक्ट भी उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना नियुक्त किए गए और उनके माध्यम से लागत में वृद्धि की गई।

    संयुक्त पुलिस आयुक्त मधुर वर्मा के अनुसार, सत्यापन के दौरान पता चला कि वित्त वर्ष 2015-16 के लिए व्यय वित्त समिति की बैठकों में यह निर्णय लिया गया था कि इस परियोजना को स्वीकृत लागत पर जून 2016 तक पूरा किया जाएगा। इससे भविष्य में लागत वृद्धि की कोई गुंजाइश नहीं होगी। लेकिन निर्धारित समयावधि में एक भी काम पूरा नहीं हुआ, जिसके कारण भी लागत में वृद्धि हुई।

    पता चला कि मामले में मुख्य तकनीकी परीक्षक, केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की जांच रिपोर्ट सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी से 17 फरवरी, 2020 को जारी की गई थी। इस रिपोर्ट को तीन वर्षों तक दबा दिया गया।

    उल्लेखनीय है पहले से आबकारी नीति घोटाला मामले में मनीष सिसोदिया और मनी लॉन्ड्रिंग केस में सत्येंद्र जैन जांच का सामना कर रहे हैं। इन मामलों में दोनों नेता जेल भी जा चुके हैं, लेकिन फिलहाल दोनों जमानत पर बाहर हैं।