दिल्ली HC ने NHAI की अधिसूचना को किया रद, क्लैट-पीजी के अंकों को सरकारी भर्ती में नहीं माना जा सकता
दिल्ली हाई कोर्ट ने एनएचएआई की अधिसूचना रद करते हुए कहा कि सरकारी नौकरी के लिए क्लैट-पीजी के अंक मान्य नहीं होंगे। कोर्ट ने माना कि स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों और सरकारी नौकरी के मानदंडों को बराबर नहीं माना जा सकता। यह फैसला एनएचएआई की उस अधिसूचना के खिलाफ आया है जिसमें वकीलों की भर्ती के लिए क्लैट-पीजी के अंकों को आधार बनाया गया था।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। भारतीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की 11 अगस्त की अधिसूचना को रद करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया कि काॅमन लाॅ एडमिशन टेस्ट (क्लैट) पीजी के अंकों को सरकारी नौकरी देने के लिए नहीं अपनाया जा सकता।
मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि उच्चतर पाठ्यक्रमों (स्नातकोत्तर) के लिए पात्रता निर्धारित करने वाले मानदंड और सरकारी नौकरी के लिए उपयुक्तता निर्धारित करने वाले मानदंडों को एक-दूसरे के बराबर नहीं माना जा सकता।
क्लैट-पीजी के अंकों को आधार बनाया
पीठ ने कहा कि भले ही क्लैट-पीजी के पाठ्यक्रम में विभिन्न मूलभूत प्रक्रियात्मक कानून शामिल हों, फिर भी अदालत की राय में क्लैट-पीजी परीक्षा के अंकों को नौकरी देने के उद्देश्य से अपनाने का औचित्य नहीं बनता।
पीठ ने यह टिप्पणी एनएचएआई की 11 अगस्त की अधिसूचना को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए की। यह याचिका छह अधिवक्ताओं ने दायर की थी। इसमें वकीलों की भर्ती के लिए क्लैट-पीजी के अंकों को आधार बनाया गया था।
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अभ्यर्थियों के प्रति भेदभावपूर्ण होगा
पीठ ने कहा कि एनएचएआई द्वारा संबंधित पद पर भर्ती के लिए क्लैट (पीजी) स्कोर को आधार बनाने के लिए दिए गए कारण कानूनी रूप से उनके रुख को उचित नहीं ठहराते।
पीठ ने कहा कि अगर विवादित भर्ती मानदंड को बरकरार रखा जाता है तो यह उन अभ्यर्थियों के प्रति भेदभावपूर्ण होगा जो क्लैट-पीजी परीक्षा नहीं देते हैं, लेकिन अन्य केंद्रीय या राज्य विश्वविद्यालयों द्वारा अपनाई गई चयन प्रक्रिया में भाग लेते हैं।
अनुच्छेद 14 और 16 के विरुद्ध
पीठ ने कहा कि क्लैट पीजी एक राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त परीक्षा है, लेकिन इसका आयोजन सरकारी नौकरियों के बजाय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए किया जाता है।
पीठ ने कहा कि क्लैट पीजी स्कोर में योग्यता के आधार पर एनएचएआइ के भर्ती मानदंडों से संबंधित निर्धारण का कोई तर्कसंगत आधार नहीं है और यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के विरुद्ध भी है।
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