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    दोहरी मुसीबत में CM अरविंद केजरीवाल! शराब घोटाले में AAP को लेकर दिल्ली HC ने की बड़ी टिप्पणी

    Updated: Wed, 10 Apr 2024 09:33 AM (IST)

    अरविंद केजरीवाल की शराब घोटाले में व्यक्तिगत के साथ-साथ पार्टी संजोयक के तौर पर मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। मंगलवार को हाई कोर्ट ने केजरीवाल की याचिका पर अपने फैसले में बड़ी टिप्पणी की थी। केजरीवाल आबकारी घोटाले की साजिश में आंतरिक रूप से शामिल रहे हैं जिसमें अपराध की कमाई का इस्तेमाल आम आदमी के गाेवा चुनाव प्रचार में किया गया।

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    अरविंद केजरीवाल पार्टी मामलों के लिए जिम्मेदार

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। आबकारी घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें व्यक्तिगत के साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के तौर पर बढ़ने वाली हैं। धन-शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) -2002 की धारा-70 के तहत राजनीतिक पार्टियों को कंपनी तरह मानने के जांच एजेंसी के तर्क को दिल्ली हाई कोर्ट ने स्वीकार किया है।

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    केजरीवाल AAP के काम के जिम्मेदार- HC

    न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि इस स्तर पर पीएमएलए की धारा-50 के तहत आप राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष एनडी गुप्ता द्वारा दिए गए बयान व ईडी द्वारा जारी समन पर केजरीवाल के 18 जनवरी 2024 के जवाब से प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट है कि केजरीवाल आम आदमी पार्टी के प्रभारी व इसके काम के लिए जिम्मेदार हैं।

    अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया पीएमएलए की धारा- 70(1) के तहत केजरीवाल पार्टी के मामलों के लिए उत्तरदायी होंगे। अदालत ने स्पष्ट किया कि उचित समय पर केजरीवाल के पास यह साबित करने का अधिकार होगा कि पीएमएलए के प्रविधानों के तहत उनकी पार्टी द्वारा किए गए उल्लंघन की कोई जानकारी नहीं थी या उन्होंने इसे रोकने की कोशिश की थी।

    राजनीतिक पार्टियां एक कंपनी हैं- हाई कोर्ट

    दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय के तर्कों पर गौर करने के बाद माना कि पीएमएलए की धारा-70 के तहत राजनीतिक पार्टियां एक कंपनी की हैं। अदालत ने कहा कि अदालत की राय है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-2(एफ) के अनुसार राजनीतिक दल की परिभाषा यह है कि राजनीतिक दल संघ या व्यक्तिगत निकाय निकाय है और पीएमएलए की धारा 70 के अनुसार यह एक एक कंपनी का अर्थ व्यक्तियों का संघ भी है।

    अदालत ने कहा कि ईडी का तर्क है कि केजरीवाल राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के प्रभारी होने के साथ ही पार्टी के पीछे मुख्य प्रेरक शक्ति व इसकी सभी प्रमुख गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं। ऐसे में केजरीवाल ही चुनाव के लिए फंड के सृजन व खर्च के लिए जिम्मेदार हैं। अदालत ने कहा कि ईडी का मामला यह है कि केजरीवाल आबकारी घोटाले की साजिश में आंतरिक रूप से शामिल रहे हैं, जिसमें अपराध की कमाई का इस्तेमाल आम आदमी के गाेवा चुनाव प्रचार में किया गया।

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    यह न सिर्फ सोच समझकर, बल्कि केजरीवाल की सक्रिय मिलीभगत से भी किया गया। ईडी के तर्कों व सामग्री को देखते हुए अदालत ने कहा कि इतना कहना पर्याप्त है कि केजरीवाल के संबंध में रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री है। प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत के समक्ष जिरह की कि पीएमएलए की धारा 70 के दायरे में एक कंपनी भी शामिल है। 

    ED ने AAP को लेकर दिया तर्क

    लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 के अनुसार एक राजनीतिक दल व्यक्तियों/नागरिकों का एक संघ है। एजेंसी ने तर्क दिया था कि पीएमएलए की धारा-70 के तहत आम आदमी पार्टी को एक कंपनी माना जाएगा और याचिकाकर्ता इसका राष्ट्रीय संयोजक होने के नाते इसके तहत होने के वाले कामकाज का प्रभारी और जिम्मेदार होगा। साथ ही पीएमएलए की धारा 70(1) के तहत उत्तरदायी है। वहीं, केजरीवाल की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जांच एजेंसी का यह तर्क गलत है और अस्वीकार किए जाने योग्य है।

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