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    दिल्ली हाई कोर्ट ने पूछा- दस्तावेज कहां है ? जिसे निरस्त करें... हिंदू से बौद्ध बने लोगों को आरक्षण पर उठाया था सवाल

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 07:53 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने हिंदू धर्म से बौद्ध धर्म अपनाने वालों को एससी/एसटी आरक्षण के लाभ पर सवाल उठाने वाली याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता समर्थन में दस्तावेज़ पेश करने में विफल रहे। अदालत ने याचिकाकर्ता को ठोस तथ्यों के साथ नई याचिका दायर करने की सलाह दी। भविष्य में दायर होने वाली याचिकाओं के लिए दस्तावेज़ और स्पष्ट प्रार्थनाएं प्रस्तुत करना अनिवार्य है।

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    एससी/एसटी आरक्षण पर सवाल उठाने वाली याचिका पर सुनवाई से हाई कोर्ट ने किया इनकार।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें हिंदू से बौद्ध धर्म अपनाने वाले लोगों को एससी/एसटी आरक्षण का लाभ देने की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया गया था।

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    अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता वह दस्तावेज ही पेश नहीं कर पाए, जिसके आधार पर यह दावा किया जा रहा है। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने मौखिक टिप्पणी में पूछा कि यह किस आदेश, अधिनियम या अधिसूचना से किया गया है।

    दस्तावेज कहां है ? जिसे हम निरस्त करें। पीठ ने कहा कि बिना दस्तावेज और ठोस तथ्यों के याचिका इस रूप में स्वीकार्य नहीं है।

    पीठ ने याचिकाकर्ता को सलाह दी कि वे किसी वरिष्ठ अधिवक्ता से परामर्श लेकर विधिवत नई याचिका तैयार करें। बाद में याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

    आदेश में स्पष्ट किया गया कि भविष्य में दायर होने वाली किसी भी नई याचिका पर तभी विचार होगा जब उसमें पर्याप्त तथ्य, दस्तावेज और स्पष्ट प्रार्थनाएं होंगी। दायर याचिका में प्राधिकरणों को इस मुद्दे पर पुनर्विचार का निर्देश देने की मांग की गई थी।

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