मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी को विदेश जाने की अनुमति, दिल्ली HC बोला- छोटी-छोटी खुशियों से नहीं किया जा सकता वंचित
दिल्ली हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपित को विदेश जाने की अनुमति दे दी है। अदालत ने कहा कि भले ही व्यक्ति मुकदमे का सामाना क्यों न कर रहा हो लेकिन उसे जीवन में छोटी-छोटी खुशियों के विशेष क्षणों से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। अदालत ने परिवीन जुनेजा को अपने बेटे का दाखिला कराने के लिए सशर्त 15 दिनोें की कनाडा यात्रा करने की अनुमति दे दी है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। मनी लांड्रिंग मामले में आरोपित को दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए विदेश जाने की अनुमति दे दी कि भले ही व्यक्ति मुकदमे का सामाना क्यों न कर रहा हो, लेकिन उसे जीवन में छोटी-छोटी खुशियों के विशेष क्षणों से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
बच्चे को दाखिला दिलाने के लिए विदेश यात्रा करने की अनुमति देते हुए अदालत ने कहा कि बच्चे का दाखिला चाहे वह स्कूल में हो या कॉलेज/विश्वविद्यालय में, माता-पिता के साथ बच्चा इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं।
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि एक माता-पिता के रूप में याचिकाकर्ता की उपस्थिति, सहायता और समर्थन बच्चे के साथ ही परिवार के लिए एक अनमोल अधिकार और क्षण है। उक्त टिप्पणी के साथ अदालत ने आरोपित परिवीन जुनेजा को अपने बेटे का दाखिला कराने के लिए सशर्त 15 दिनोें की कनाडा यात्रा करने की अनुमति दे दी।
पीठ ने कहा कि यह अदालत अपनी पसंद के विश्वविद्यालय में प्रवेश के समय बेटे के साथ पिता की एकजुटता के क्षण से इन्कार नहीं करेगी। एक लाख रुपये की एफडीआर जमा करने के साथ ही अदालत ने जुनेजा को कनाडा यात्रा का पूरा कार्यक्रम और ठहरने का विवरण उपलब्ध कराना होगा।
हाईकोर्ट ने यह निर्णय जुनेजा की याचिका पर दिया। जुनेजा ने 26 अगस्त से 19 सितंबर तक कनाडा, नार्वे और लंदन की यात्रा करने की अनुमति देने से इनकार करने निचली अदालत के 20 जुलाई के निर्णय के खिलाफ याचिका दायर की थी।
निचली अदालत ने यात्रा की अनुमति देने से किया था इनकार
निचली अदालत ने यात्रा की अनुमति देने से इनकार करते हुए कहा कि जुनेजा ऐसा कोई दस्तावेज नहीं पेश कर सके कि उनके बेटे के प्रवेश के लिए उनकी उपस्थिति अनिवार्य थी।
हाई कोर्ट ने अनुमति देते हुए नोट किया कि जुनेजा ने कभी भी विदेश जाने की स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं किया था और विदेश जाने की अनुमति की शर्तों का उल्लंघन किए बगैर भारत लौट आए थे।
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