दिल्ली HC ने की स्वास्थ्य विभाग की खिंचाई, कहा- अदालतों को सरकारी एजेंसियों के साथ नहीं करना चाहिए अलग व्यवहार
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग की खिंचाई करते हुए न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह की पीठ ने कहा कि देरी माफ करना एक अपवाद है लेकिन इसका उपयोग सरकारी विभागों की सुविधा के अनुसार नहीं किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा देरी की माफी के लिए आवेदनों पर निर्णय लेते समय अदालतों को एजेंसियों के साथ अलग व्यवहार नहीं करना चाहिएसुनिश्चित किया जा सके कि कर्तव्यों का ठीक से पालन किया जाए।

नई दिल्ली, विनीत त्रिपाठी। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि यह एक सर्वविदित तथ्य है कि सरकारी एजेंसियों में लालफीताशाही के कारण कभी-कभी आवेदन दाखिल करने में देरी होती है, लेकिन याचिका बहाल करने की मांग को लेकर बिना उचित औचित्य के 691 दिनों की देरी की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
वर्ष 2017 में डिफॉल्ट रूप से खारिज की जा चुकी याचिका की बहाली के लिए 691 दिनों की देरी की अनुमति देने से अदालत ने इनकार कर दिया। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग की खिंचाई करते हुए न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह की पीठ ने कहा कि देरी माफ करना एक अपवाद है, लेकिन इसका उपयोग सरकारी विभागों की सुविधा के अनुसार नहीं किया जाना चाहिए।
अदालत ने कहा देरी की माफी के लिए आवेदनों पर निर्णय लेते समय अदालतों को सरकारी एजेंसियों के साथ अलग व्यवहार नहीं करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कर्तव्यों का ठीक से पालन किया जाए। देरी के लिए माफी से जुड़े आवेदन को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि यह स्थापित सिद्धांत है कि परिश्रम और प्रतिबद्धता के साथ कर्तव्यों का पालन करना सरकार का विशेष दायित्व है।
मूल याचिका को न केवल दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से किसी के उपस्थित न होने के साथ ही अदालत के निर्देशों का पालन न करने के कारण भी खारिज कर दिया गया था। यह है मामला पूरा मामला दिल्ली विकास प्राधिकरण में संविदा पर नियुक्त हुए एक कर्मचारी से जुड़ा है।
कर्मचारी को डीडीए द्वारा संचालित डिस्पेंसरी में सहायक नर्स के रूप में नियुक्त किया गया था, इसे बाद में स्वास्थ्य विभाग ने ले लिया था। अप्रैल 1978 में कर्मचारी को नियमित कर दिया और आंतरिक व्यवस्था के कारण कर्मचारी को ओपीडी में स्टाफ नर्स और फिर फिजियोथेरिपी विभाग में लगाया गया।
कर्मचारी ने वर्ष 1995 में ए ग्रेड स्टाफ नर्स पद पर प्रदोत्ति को लेकर श्रम न्यायालय में वाद दाखिल किया, जोकि कर्मचारी के हक में रहा।
इसे दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन लंबे समय तक दिल्ली सरकार की तरफ से किसी अधिवक्ता के पेश नहीं होने के कारण इसे वर्ष 2017 में डिफाल्ट रूप से खारिज कर दिया था।
उक्त याचिका को बहाल करने के लिए याचिका दायर करने में हुई देरी के लिए दिल्ली सरकार ने 691 दिनों के बाद आवेदन दाखिल किया था। हालांकि, अदालत ने देरी के कारण राहत देने से इन्कार कर दिया।
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