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    बुरे फंसे AAP नेता सत्येंद्र जैन, 571 करोड़ के भ्रष्टाचार का लगा आरोप; ACB ने शुरू की जांच

    Updated: Wed, 19 Mar 2025 02:32 PM (IST)

    दिल्ली सरकार ने पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। उन पर दिल्ली में 571 करोड़ रुपये की सीसीटीवी परियोजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप है। वहीं इस कार्रवाई से आम आदमी पार्टी (AAP) नेताओं में हड़कंप मचा हुआ है। आगे विस्तार से जानिए आखिर पूरा मामला क्या है और क्यों एफआईआर दर्ज की गई है।

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    र्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। 571 करोड़ रुपये की सीसीटीवी परियोजना में करोड़ों का घोटाला करने के आरोप में दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने राज्य सरकार के पूर्व पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) मंत्री व आप नेता सत्येंद्र जैन के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। 

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    दरअसल, 70 विधानसभा क्षेत्रों में 1.4 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने थे। परियोजना में देरी के कारण भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (बीईएल) पर लगाए गए 16 करोड़ रुपये के जुर्माने के मामले में सत्येंद्र जैन ने बीईएल के अधिकारी जितेंद्र कुमार से सात करोड़ रुपये रिश्वत लेकर मनमाने ढंग से 16 करोड़ रुपये की पेनल्टी माफ कर दी थी। 

    मंत्री पद से दे दिया था इस्तीफा

    मनमोहन पांडेय की शिकायत पर सक्षम प्राधिकारी से अनुमति मिलने के बाद एसीबी ने भ्रष्टाचार अधिनियम व आपराधिक साजिश रचने की धाराओं में केस दर्ज कर लिया है। जैन को मई 2022 में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था। वह फिलहाल जमानत पर हैं। फरवरी, 2023 में उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

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    उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत मामले को केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजने के सतर्कता निदेशालय के प्रस्ताव पर सहमति जताई थी, ताकि एसीबी को जैन के खिलाफ केस दर्ज करने व जांच करने की मंजूरी मिल सके। एसीबी के संयुक्त आयुक्त मधुर कुमार वर्मा का कहना है कि अभी जैन पर सात करोड़ रिश्वत लेकर 16 करोड़ की पेनल्टी माफ करने का आरोप है। जांच में कई अन्य घोटालों का पता लग सकता है। 

    ऐसे खुला मामला

    इस परियोजना के नोडल अधिकारी सत्येंद्र जैन थे। एसीबी को शिकायत मिलने पर पहले बीईएल के अधिकारी जितेंद्र कुमार से पूछताछ की गई। 23 अगस्त, 2019 को मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि तत्कालीन दिल्ली सरकार ने सीसीटीवी कैमरों को लगाने में देरी के लिए बीईएल और उसके ठेकेदारों के खिलाफ 16 करोड़ रुपये का हर्जाना लगाया है। उसी के बाद मामला खुला। बीईएल को अतिरिक्त 1.4 लाख कैमरे लगाने के बार-बार आदेश दिए जा रहे थे। सात करोड़ रुपये की रिश्वत उन्हीं ठेकेदारों के माध्यम से दी गई, जिन्हें 1.4 लाख सीसीटीवी कैमरों का आर्डर मिला था।

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    ऐसी कई अन्य शिकायतें भी हैं, जिनमें कहा गया है कि सीसीटीवी कैमरे लगाने का पूरा प्रोजेक्ट घटिया तरीके से किया गया था। विभिन्न ठेकेदारों के माध्यम से रिश्वत दी गई थी, जिसके बाद ठेकेदारों को दिए ऑर्डर को भी बढ़ा दिया गया। मधुर वर्मा का कहना है कि घोटाले से संबंधित दस्तावेज प्राप्त किए जा रहे हैं। तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री व बीईएल के अधिकारियों की भूमिका की जांच शुरू कर दी गई है।