दिल्ली सरकार के विभागाध्यक्षों के वित्तीय अधिकार बढ़े, अब तेजी से होंगे काम; पेशेवर लोगों की हो सकेगी नियुक्ति
दिल्ली सरकार ने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में देरी कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। कैबिनेट मंजूरी के बाद वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई। विभागाध्यक्षों के वित्तीय अधिकार बढ़ाए गए जिससे वे सलाहकार नियुक्त कर सकते हैं और आईटी वस्तुओं की खरीद कर सकते हैं। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का कहना है कि इससे सरकारी योजनाओं को समय पर पूरा करने में मदद मिलेगी

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकारी काम और आधारभूत ढांचे से संबंधित परियोजनाओं के निर्माण में होने वाली देरी को दूर करने के लिए दिल्ली सरकार कई कदम उठा रही है। दो माह पहले आदेश जारी कर किसी प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद उसे वित्त विभाग के पास भेजने की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई थी। विभागाध्यक्ष उसके लिए फंड जारी कर सकते हैं। जुलाई में दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों के वित्तीय अधिकार बढ़ाए गए थे। अब दिल्ली सरकार के विभागाध्यक्षों के वित्तीय अधिकार बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का कहना है कि इस निर्णय से सरकारी योजनाओं को समय पर पूरा करने में मदद मिलेगी। इससे पहले 07 अगस्त, 2019 को वित्तीय शक्ति में वृद्धि की गई थी। इस दौरान महंगाई, तकनीकी प्रगति, जन कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत की गई है। उस समय दिल्ली सरकार का बजट 54,800 करोड़ रुपये का था। इस बार बजट एक लाख करोड़ रुपये का हो गया है। इसे ध्यान में रखकर वरिष्ठ अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों को बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
कई मामलों में विभागाध्यक्ष/प्रशासनिक सचिवों को पूर्ण वित्तीय अधिकार प्रदान किए गए हैं। वह अावश्यकता अनुसार सलाहकार, पेशेवर, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) आदि की नियुक्ति कर सकते हैं। आइटी संबंधी वस्तुओं की खरीद, मरम्मत, रखरखाव, किराये पर लेना, मानव संसाधन की नियुक्ति, उपकरणों की खरीद व अनुपयोगी वाहनों के स्थान पर नये वाहनों की खरीद का भी अधिकार दिया गया है। अन्य मामलों में भी अब पहले से अधिक राशि खर्च करने का अधिकार होगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।