दिल्ली शोरूम अग्निकांड: संदीप का छूटा हाथ, पायल का छूट गया जिंदगी का साथ, खौफनाक था मंजर
पश्चिमी दिल्ली के राजा गार्डन स्थित इलेक्ट्रॉनिक्स शोरूम में आग लगने से हुई मौतों में एक व्यक्ति को बचाया जा सकता था अगर संदीप का हाथ पायल से नहीं छूटता। संदीप ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन वह असफल रहा। आग लगने के दौरान गोदाम में युवतियों ने धुंआ देखा और संदीप ने उन्हें बचाने की कोशिश की लेकिन पायल के अलावा बाकी सब बेहोश थे।

गौतम कुमार मिश्रा, पश्चिमी दिल्ली। पश्चिमी दिल्ली में राजा गार्डन स्थित इलेक्ट्रॉनिक्स शोरूम अग्निकांड में जान गंवाने वालों की संख्या चार से घटकर तीन हो सकती थी, अगर हादसे में एकमात्र बचे संदीप से पायल का हाथ नहीं छूटता। संदीप ने बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन पायल का हाथ उनसे छूट गया और पायल वहीं रह गई और दम घुटने से मौत हो गई।
हादसे में मारी गईं अमनदीप कौर के पारिवारिक मित्र सुनील सिंगला बताते हैं कि हादसे में घायल संदीप से उनकी बात हुई है। उन्हें पता चला कि दोपहर करीब ढाई बजे शोरूम में काम करने वाली तीनों युवतियां पायल, आयुषी, अमनदीप और रवि व संदीप दूसरी मंजिल के गोदाम में खाना खाने पहुंचे। सभी खाना खा रहे थे कि अचानक उनकी नजर सीढ़ी से ऊपर आते काले-गाढ़े धुएं पर पड़ी। धुआं सीढ़ियों के रास्ते ही ऊपर पहुंच रहा था।
बताया कि गोदाम में आने-जाने के लिए एकमात्र रास्ता यही सीढ़ी थी। सभी ने चिल्लाना शुरू कर दिया। संदीप ने उनसे कहा कि वे घबराएं नहीं। इसके बाद संदीप रास्ता ढूंढने पीछे की ओर भागे ताकि सभी को यहां से बाहर निकाला जा सके। लेकिन पीछे कोई रास्ता नहीं था।
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इसके बाद संदीप वापस आए तो देखा कि उनके चारों सहकर्मी बेसुध हैं। केवल पायल को थोड़ा होश था। संदीप ने पायल का हाथ पकड़ा और उसे घसीटते हुए सीढ़ी की ओर भागे। सीढ़ी पर पहुंचते ही पायल का हाथ उनसे छूट गया और वह खुद धुएं के बीच लुढ़कते हुए नीचे पहुंच गए। इसके बाद संदीप को होश नहीं रहा। बाद में बचाव दल पहुंचा तो उनको संदीप भूतल पर अचेत हालत में मिले।
अमनदीप की मौत से टूटा परिवार
अमनदीप की मौत से उनका परिवार गहरे सदमे में है। दो बहन व एक भाई में अमनदीप मंझली संतान थी। इनके पिता का कारोबार है। अमनदीप की मौत से इनके पिता गहरे सदमे में हैं। सुनील बताते हैं कि अमनदीप दूसरों की मदद करने वाली लड़की थी। काफी मेहनती भी थी।
सुनील बताते हैं कि अमनदीप अपने माता-पिता के साथ रघुबीर नगर में रहती थी। यह संयोग की बात है कि राजा गार्डन से उन्हें डीडीयू के बजाय रघुबीर नगर अस्पताल ही ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित किया गया।
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