Delhi में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कृत्रिम वर्षा के परीक्षण का प्रस्ताव तैयार, आएगा डेढ़ करोड़ का खर्च
दिल्ली का पर्यावरण विभाग कृत्रिम वर्षा का परीक्षण कराने के लिए मंत्रिमंडल में प्रस्ताव पेश कर सकता है। प्रत्येक परीक्षण पर लगभग 1.5 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। सरकार IIT कानपुर को धन देगी जो इस पहल का नेतृत्व करेगा। IIT कानपुर योजना से क्रियान्वयन तक का पूरा काम करेगा।

राज्य ब्यूराे, जागरण.नई दिल्ली: दिल्ली का पर्यावरण विभाग मंत्रिमंडल की अगली बैठक में कृत्रिम वर्षा (Cloud Seeding) का परीक्षण कराने के लिए एक प्रस्ताव पेश कर सकता है। प्रत्येक परीक्षण पर लगभग 1.5 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान लगाया जा रहा है।
दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यदि प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है, तो सरकार की ओर से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) Kanpur को धनराशि हस्तांतरित किए जाने की उम्मीद है, जो इस पहल का नेतृत्व करेगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि योजना से लेकर क्रियान्वयन तक का पूरा काम IIT Kanpur करेगा, जिसमें विमान, रसायन और अन्य साजो-सामान संबंधी जरूरतें शामिल हैं। सरकार केवल परीक्षणों के लिए धन मुहैया कराएगी।
उन्होंने कहा कि प्रायोगिक पद्धति पर आगे बढ़ने का निर्णय IIT Kanpur द्वारा किए गए व्यापक अध्ययन और तैयारियों के बाद लिया गया है। अधिकारी ने बताया कि वे पहले ही तकनीकी पहलुओं पर काम कर चुके हैं। यदि प्रस्ताव को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल जाती है, तो रक्षा, गृह, उड्डयन, वन और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण सहित उन 13 विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) मांगी जाएगी, जिनकी अनुमति परीक्षण के लिए आवश्यक है।
क्या होती है क्लाउड सीडिंग
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा एवं अधिकारियों के साथ पूर्व में हुई बैठक में IIT Kanpur की टीम ने बताया कि Cloud Seeding एक वैज्ञानिक तकनीक है, जो बादलों में विशिष्ट रासायनिक पदार्थ फैलाकर वर्षा को बढ़ावा देती है। ये पदार्थ Cloud condensation nuclei के रूप में कार्य करते हैं, जिससे पानी की बूंदें बनने और बढ़ने लगती हैं, जिससे पानी की बूंदें बनकर आकार लेने लगती हैं और बारिश के रूप में धरती पर गिरती हैं।
स्थिर Artificial Rain System भी हो सकता है स्थापित
दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने के लिए Natural Ionization Technique का उपयोग करके एक स्थिर Artificial Rain System स्थापित करने के प्रस्ताव पर भी विचार हो सकता है, इसके एक अलग प्रेजेंटेशन की दिल्ली सरकार समीक्षा कर चुकी है।
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