कॉरपोरेट ठगी का भंडाफोड़: CSR निवेश के नाम पर 69 लाख की ठगी, अहमदाबाद से जालसाज गिरफ्तार
दिल्ली पुलिस ने सीएसआर फंड में निवेश के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। आरोप है कि गिरोह ने एक कंपनी से 69 लाख रुपये की ठगी की। पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है और मामले की जांच कर रही है। आरोपी ने स्वीकार किया कि उसने पहले भी कई लोगों को इसी तरह ठगा है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) फंड में निवेश करने का झांसा देकर उच्च रिटर्न का वादा कर ठगने वाले गिरोह का भंडाफोड़ कर मध्य जिले की साइबर थाना पुलिस की टीम ने एक जालसाज को दबोचा है। आराेपित ने अपने साथियों के साथ मिलकर दरिया गंज स्थित कंपनी के मुख्य परिचालन अधिकारी से 69 लाख की ठगी की थी।
पूछताछ में और खुलासा होने की उम्मीद
पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपित मीरा रोड, मुंबई के जितेंद्र पांडे को अहमदाबाद से गिरफ्तार किया, जिसके कब्जे से 43.20 लाख नकद, एंडेवर कार और दो महंगे मोबाइल फोन बरामद किए हैं। पुलिस इससे पूछताछ कर गिरोह में शामिल अन्य जालसाजों के बारे में पूछताछ कर रही है।
निवेश प्रस्ताव के लिए संपर्क किया
उपायुक्त निधिन वल्सन के मुताबिक, आठ जुलाई को शिकायतकर्ता दरियागंज स्थित कंपनी के मुख्य परिचालन अधिकारी ने जालसाजी का मामला दर्ज कराते हुए बताया था कि इसी वर्ष जनवरी में महाराष्ट्र के आशीष, अपूर्व, विनायक, विजय और तुषार नामक व्यक्तियों के एक समूह ने शिकायतकर्ता की कंपनी से निवेश प्रस्ताव के लिए संपर्क किया।
"सेवा शुल्क" का भुगतान
उक्त व्यक्तियों ने कंपनी के लिए धन की व्यवस्था करने के बहाने शिकायतकर्ता से परियोजना रिपोर्ट, वित्तीय विवरण, क्रास्ड चेक और अन्य दस्तावेज मांगे। आरोपितों और शिकायतकर्ता की कंपनी के प्रतिनिधियों के बीच कई जूम मीटिंग हुईं, जिनमें खुद शिकायतकर्ता और कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) शामिल थे। 24 फरवरी को आरोपित विजय ने तीन अतिरिक्त प्रतिनिधियों, हुबली के शोएब, कोल्हापुर के सईद और प्रकाश का परिचय कराते हुए शिकायतकर्ता को बताया कि दिल्ली में एक निर्दिष्ट स्थान पर तुरंत नकद में "सेवा शुल्क" का भुगतान करना होगा।
लेनदेन दिखाया गया
बदले में उन्होंने आश्वासन दिया कि निवेश राशि उसी समय शिकायतकर्ता की कंपनी के बैंक खाते में स्थानांतरित कर दी जाएगी। अगले ही दिन शिकायतकर्ता की कंपनी के दो प्रतिनिधियों ने आरोपितों के निर्देशानुसार करोल बाग स्थित गोल्ड प्लाजा में 69 लाख की नकद राशि पहुंचाई। इसके बाद आरोपितों ने शिकायतकर्ता से रियल टाइम ग्रास सेटलमेंट (आरटीजीएस) के जरिये कंपनी के बैंक खाते में निवेश राशि स्थानांतरित करवा ली और बदले में फर्जी एनईएफटी/आरटीजीएस स्क्रीनशाॅट भेजे, जिसमें 49 लाख का का डेबिट लेनदेन दिखाया गया था।
अहमदाबाद से गिरफ्तार कर लिया
हालांकि, शिकायतकर्ता की कंपनी के बैंक खाते में रकम नहीं पहुंची। इसके बाद आरोपित फरार हो गए और नंबर भी ब्लाक कर दिए। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। आरोपितों को पकड़ने के लिए एसीपी सुलेखा जगरवार की देखरेख में और इंस्पेक्टर संदीप पंवार के नेतृत्व में टीम गठित की गई।
जांच के दौरान टीम ने आरोपित की तलाश में अहमदाबाद और मुंबई में लगभग 15 दिनों तक लगातार छापेमारी की लेकिन वह बार-बार अपने ठिकाने बदल रहा था। इसके बाद, लगातार तकनीकी निगरानी के माध्यम से आरोपित को 15 सितंबर को अहमदाबाद से गिरफ्तार कर लिया गया।
आगे की जांच से पता चला कि गिरोह का एक जालसाज गुजरात में इसी तरह के धोखाधड़ी के एक मामले में शामिल था, जिसमें मास्टरमाइंड मोनीश बदानी को अहमदाबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
मुंबई में एक डाॅक्टर से ठगे थे तीन करोड़
पूछताछ में आरोपित जितेंद्रने बताया कि उसने अपने साथियों मोनीश बदानी, विक्रम, पिंटू, भूपेश और पारस के साथ मिलकर अलग-अलग शहरों में अस्थायी कार्यालय खोले, व्यापारियों को सीएसआर निधि में निवेश करने का लालच दिया और फर्जी आरटीजीएस पुष्टिकरण भेजकर उन्हें ठगा।
अपराध करने के बाद, वे कार्यालय बंद कर शहर से भाग जाते थे। इसके अलावा आरोपित ने बताया किया कि उन्होंने मुंबई में एक डाॅक्टर के साथ तीन करोड़ की इसी तरह की धोखाधड़ी की थी।
गिरोह में यह थी आरोपित की भूमिका
आरोपित मास्टरमाइंड मोनीश बदानी के ड्राइवर के रूप में काम करता था और नकदी को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने का काम करता था। ठगी की गई रकम में से उसे 8.7 लाख मिले थे, जबकि बाकी 60.3 लाख उसने अपने साथियों में बांट लिए।
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