Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ' लेखक भाषा से नहीं, विचारों से जाने जाते हैं ' जागरण संवादी में चेतन भगत ने नए लेखकों को दिए टिप्स

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 09:28 PM (IST)

    उपन्यासकार चेतन भगत ने जागरण संवादी में कहा कि लेखक भाषा से नहीं विचारों से जाने जाते हैं। उन्होंने युवाओं को सरलता और सहजता से लिखने की सलाह दी। भगत ने स्क्रीनप्ले को कहानी का कसाईगिरी रूप बताया। उन्होंने अपनी पहली किताब के रिजेक्शन और आगामी पुस्तक 12 वर्ष के बारे में भी बात की। भगत ने कहा कि कोर्स से हटाने से विचार नहीं रुकते।

    Hero Image
    विद्वार्थियों के साथ सेल्फी लेते उपान्यासकार चेतन भगत । चंद्र प्रकाश मिश्र

    मुहम्मद रईस, नई दिल्ली। भाषा हिंदी हो या अंग्रेजी या फिर कोई और फर्क नहीं पड़ता। लेखकों को उसकी भाषा शैली की वजह से नहीं जाना जाता। न की भारी भरकम शब्द संग्रह से। लोग किसी रचना या साहित्य को लेखक के विचारों, सोच और समाज से जुड़ाव की वजह से याद रखते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मिरांडा हाउस में आयोजित जागरण संवादी कार्यक्रम में 'भगत जी की पाठशाला' सत्र में नए लेखकों, युवाओं ने यह पाठ सीधे-सीधे प्रसिद्ध उपन्यासकार चेतन भगत से सीखे।

    उन्होंने सरलता और सहजता को साहित्य की विशेषता बताया। कहा, इन्हें अपने साहित्य सृजन में बनाए रखना आसान भी नहीं है। कहानी लेखन से लेकर स्क्रीनप्ले राइटिंग पर भी बात की।

    चेतन भगत ने कहा कि कहानी से नोच-नोच कर जो ढांचा बचता है, वही स्क्रीनप्ले है। यह विशुद्ध रूप से कहानी के साथ कसाईगिरी करना है। सीन और परिस्थिति निर्देशक अपने हिसाब से तैयार करते हैं।

    डायलाग राइटर पात्रों के लिए मजबूत डायलाग लिखता है, पंच लिखता है। वहीं कलाकार अपनी अदाकारी, उपस्थिति से सीन गढ़ता है। मुझे भी नहीं आता था। खूब किताबें पढ़ी, सीखा। उसके बाद कर पाया। इसके लिए 2014 में फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला।

    पहली किताब ''फाइव प्वाइंट समवन'' 2004 में लिखी तो कई रिजेक्शन भी झेले। इसे कामयाबी मिली। वर्ष 2005 में ''वन नाइट एट द काॅल सेंटर'' लिखी। उस समय काॅल सेंटर कल्चर का दौर था। पर एक रात पर केंद्रित होकर पूरी कहानी लिखना बहुत ही चुनौतीभरा रहा।

    उन्होंने आईआईटी दिल्ली से पढ़ाई, संघर्ष के दिन, लेखन शैली से लेकर निजी जीवन की घटनाओं को हल्के-फुल्के अंदाज में अभिव्यक्त किया। उन्होंने अपनी आगामी पुस्तक ''12 वर्ष'' पर भी बात की, जो 21 वर्ष की लड़की और 33 वर्ष के तलाकशुदा पुरुष के प्रेम पर आधारित है।

    इसमें रोमांस भी है, चुटीले संवादों की झड़ी है। क्योंकि इसमें नायक स्टैंपअप काॅमेडियन है। ब्रेकअप के बाद लड़कियां ही नहीं लड़के भी डिस्टर्ब होते हैं।

    जब भी आप रिलेशन में थे, तब कुछ न कुछ नजरअंदाज किया होगा। दोस्तों को या पढ़ाई को नजरअंदाज किया होगा। मां-बाप से दूरी बनाई होगी। अब वक्त है फिर से इन पर फोकस करने का। जिन्हें नजरअंदाज किया, उनपर दोबारा ध्यान दें।

    यह भी पढ़ें- ' हिंदी मन की भाषा है; अपनी माटी की भाषा है...' जागरण संवादी में सीएम रेखा गुप्ता ने बताया मातृभाषा का महत्व

    कोर्स से हटाने से विचार नहीं रुकते

    वर्ष 2017 में मेरी पुस्तक को अंग्रेजी साहित्य पाठ्यक्रम में शामिल करने के प्रस्ताव बना, फिर हटा दिया गया। बात भारतीय साहित्य की थी, उसे सीखने वालों की थी।

    कोर्स में रखने या हटाने से विचार नहीं रुकते। ''फाइव प्वाइंट समवन'' को आज 21 वर्ष हो गए हैं। थ्री इडियट्स की बात अब भी होती है। क्योंकि ये लोगों को कनेक्ट कर रहा है। साहित्य जबतक लोगों तक नहीं पहुंचेगा, लोग विचार से वाकिफ नहीं होंगे।

    यह भी पढ़ें- सिनेमा का एजेंडा सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि सवाल उठाना भी होना चाहिए: विवेक अग्निहोत्री

    रील के जमाने में किताबें पढ़ाना चुनौती

    किताबों को पढ़ने के लिए लोग बाध्य हों, इसके लिए साहित्य भी ऐसा होना चाहिए जो उन्हें अंत तक बांध सके। सरल हो, सहज हो और मनोरंजक भी। इससे पाठक जुड़ेगा।

    मेरा पास संपादकों की पूरी एक टीम है। हम सब मिलकर एक-एक लाइन पर विमर्श करते हैं। ताकि शुरू से अंत तक कहानी का प्रवाह कहीं बाधित न हो। कहानी में केवल संदेश नहीं, मनोरंजन का पूरा संतुलित तड़का भी होता है।

    यह भी पढ़ें- आज के जेन-जी के प्यार की भाषा वही है, पर बदल गई रिश्तों की परिभाषा: रवीन्द्र सिंह