' हिंदी मन की भाषा है; अपनी माटी की भाषा है...' जागरण संवादी में सीएम रेखा गुप्ता ने बताया मातृभाषा का महत्व
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने जागरण संवादी में मातृभाषा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हिंदी मन की भाषा है और इसका संरक्षण आवश्यक है। प्रो. योगेश सिंह ने हिंदी को ज्ञान और संस्कार की भाषा बताया। विष्णु प्रकाश त्रिपाठी ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बताते हुए आत्म-सम्मान का प्रतीक बताया। दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति 2025 की घोषणा की गई।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि हमें अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति गर्व होना चाहिए। हिंदी मन की भाषा है। यह अपनी माटी की भाषा है। अपनी मातृ भाषा में भाव व्यक्त करने का जो आनंद है, वह किसी और भाषा में संभव नहीं।
जिस तरह से मां जैसा प्यार कोई और नहीं दे सकता उसी तरह मातृ भाषा का स्थान कोई और नहीं ले सकता है। हिंदी हमारी जड़ है। अन्य भाषाएं इसकी शाखाएं हैं। जड़ से जुड़े होने से ही सभी फलेंगे-फूलेंगे।
सीएम रेखा गुप्ता मिरांडा हाउस कॉलेज में दैनिक जागरण की ओर से आयोजित -संवादी दिल्ली उत्सव अभिव्यक्ति का- कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं। यह उत्सव दो दिनों तक चलेगा।
उन्होंने कहा हिंदी का संरक्षण और संवर्धन हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। दैनिक जागरण हिंदी के प्रसार के लिए सराहनीय कार्य कर रहा है। हम सभी को अपनी मातृ भाषा का सम्मान करना चाहिए। अपनी भाषा को खोने का मतलब जड़ से कट जाना है।
हम जिस भी परिवेश में काम करते हैं उसकी भाषा का प्रयोग करना चाहिए परंतु अपनी मातृ भाषा का भी ध्यान रखना आवश्यक है। हमारी अभिव्यक्ति सबसे अच्छी तरह से अपनी मातृ भाषा में ही हो सकती है। इसे किसी को सिखाने की जरूरत नहीं होती है।
जर्मनी व अन्य देशों के लोग प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय मंच पर सिर्फ अपनी भाषा का प्रयोग करते हैं। हम सभी को जब भी मौका मिले विदेश में भी भारतीयता का प्रचार करना चाहिए। आज विश्व में लोग हाथ जोड़कर नमस्ते बोल रहे हैं।
इससे हम सभी को गर्व की अनुभूति होती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किला से पराधीनता के सभी प्रतीक को हटाने का आह्वान किया है। यह देश हमारा है। इस देश की भाषा, संस्कृति, विरासत को संभालना हमारा दायित्व है।
दिल्ली में रहने वाले उत्तराखंड के लोग अपने बच्चों को अपनी मातृ भाषा सिखाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण दिया था और पूरे विश्व ने उनकी प्रशंसा की थी। आज भी हिंदी विश्वभर में स्वीकार्यता और सम्मान प्राप्त कर रही है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो योगेश सिंह ने कहा, इकबाल ने हिंदी को हिंदुस्तान से जोड़ेते हुए लिखा था कि हिंदी हैं हम वतन की.. लेकिन स्वयं इसे स्वीकार करने की जगह उसने देश के विभाजन में जिन्ना का साथ दिया था।
देश तोड़ने वाले इकबाल से दिल्ली विश्वविद्यालय ने मुक्ति पा ली है, अन्य विश्वविद्यालयों को भी इस पर सोचना चाहिए। उन्होंने कहा, हिंदी का अपना स्थान है, किसी से इसकी तुलना न करें। भारत की मजबूती के साथ हिंदी भी आगे बढ़ती जाएगी।
संस्कृत ज्ञान, अंग्रेजी अभिमान की और हिंदी ज्ञान, व्यापार, संस्कार की भाषा है। हिंदी अन्वेषण और नवाचार की भाषा है। हिंदीवासी जहां भी जाएं वहां की भाषा अवश्य सीखें इससे उन्हें वहां प्यार मिलेगा और हिंदी का भी उस समाज में प्रसार होगा।
तेलुगु, मलयाली, कन्नड़ आदि भाषाओं में हिंदी के शब्दों के प्रयोग पर भी शोध की आवश्यकता है।प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुरूप भारत वर्ष 2047 विकसित राष्ट्र बनेगा और हिंदी भी इसके मुकुट पर होगा।
मिरांडा हाउस कालेज की प्रधानाचार्य प्रो विजयालक्ष्मी नंदा ने अतिथियों का स्वागत किया। कहा, सीएम रेखा गुप्ता महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं। मिरांडा हाउस हिंदी सहित सभी भाषाओं को बढ़ावा दे रहा है।
'हिंदी राष्ट्रभाषा घोषित करने की मोहताज नहीं'
दैनिक जागरण के कार्यकारी संपादक विष्णु प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा है। यह किसी सरकार या कैबिनेट के राष्ट्रभाषा घोषित करने की मोहताज नहीं है। यह आत्म सम्मान का प्रतीक है।
स्वाभिमान और सम्मान का प्रतीक है, परंतु हिंदी बोलने वालों में आत्म हीनता का बोध रहता है। इसे दूर करना होगा। दक्षिण के कुछ राजनीतिज्ञ व कई अन्य लोग कहते हैं कि हिंदी पूरे देश को एक सूत्र में नहीं बांध सकते हैं। उन्हें गोपाल कृष्ण गोखले द्वारा गांधी जी को दिए गए दो सूत्र को ध्यान रखना चाहिए।
गोखले ने गांधी को पूरे देश का भ्रमण करने और देश के लोगों के साथ हिंदी में बात करने का सूत्र दिया था। प्रतिष्ठान से उसकी भाषा में और अपने अनुष्ठान (स्वतंत्रता आंदोलन) की बात अपनी भाषा में करने की सलाह दी थी।
उन्होंने कहा, दैनिक जागरण संवाद में विश्वास करता है। संवाद से समाधान निकलता है। संवाद की अनुपस्थिति में सिर्फ युद्ध होता है। दो दिनों के संवाद के उत्सव में ज्ञान भी होगा, विज्ञान भी होगा और मनोरंजन भी।
उल्लेखनीय है कि दैनिक जागरण के -हिंदी हैं हम- अभियान के अंतर्गत संवादी का आयोजन, दैनिक जागरण हिंदी बेस्टसेलर का हर तिमाही प्रकाशन करने के साथ ही मौलिक शोध को बढ़ावा देने के लिए जागरण ज्ञानवृत्ति दी जाती है। कई अन्य कार्यक्रम आयोजित होते है।
दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति 2025 की घोषणा
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दैनिक जागरण 2025 की घोषणा की। इसके अंतर्रगत साहित्य व सिनेमा को छोड़कर अन्य किसी भी विषय में हिंदी में मौलिक शोध के लिए तीन शोधार्थियों का चयन करके उनको नौ माह तक 75, 000 रुपये प्रति माह ज्ञानवृत्ति दी जाती है।
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