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    आज के जेन-जी के प्यार की भाषा वही है, पर बदल गई रिश्तों की परिभाषा: रवीन्द्र सिंह

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 09:19 PM (IST)

    बेस्ट सेलर लेखक रवीन्द्र सिंह ने कहा कि आज के युवाओं के प्यार की भाषा वही है जो पहले थी पर रिश्तों की परिभाषा बदल गई है। इंटरनेट मीडिया के कारण रिश्ते बनाना आसान है पर निभाना मुश्किल है। युवाओं के सामने यह सवाल है कि वे प्यार में त्याग और समझौता क्यों करें? उन्होंने साहित्य और रोमांस के अंतर्संबंधों पर भी बात की।

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    साहित्य और रोमांस विषय आधारित परिचर्चा में विचार रखते बेस्ट सेलर लेखक रवीन्द्र सिंह। चंद्र प्रकाश मिश्र

    नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। प्यार की भावनाओं, संवेदनाओं और वेदनाओं को शब्दों में पिरोकर रोमांस के बेस्ट सेलर लेखक बने रवीन्द्र सिंह की नजर में आज के जेन-जी के प्यार की भाषा वही है, जो 90 के दशक में थी। बदली है तो रिश्तों की परिभाषा।

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    इंटरनेट मीडिया के दौर में अब एक साथ रिश्ते कई से है। इन रिश्तों में विचलन ज्यादा है। एक रिश्ता ठीक से गहराई तक पनप भी नहीं पाता कि तब तक इंटरनेट मीडिया पर दूसरे रिश्ते की पेशकश आ जाती है।

    आज रिश्ते बनाना आसान है, लेकिन उसे निभाना मुश्किल है, क्योंकि हम तकनीक पर आ गए हैं। दूसरे, यह वैश्वीकरण का दौर है, जिसमें प्रेम के मामले में युवाओं के सामने सबसे बड़ा सवाल यहीं है कि वह त्याग और समझौता क्यों करें?

    मौका, जब संवादी के मंच पर ''साहित्य और रोमांस'' के अंर्तसंबंधों की धागाएं खोलनी हो तो युवा पाठकों में लाेकप्रिय लेखक रवीन्द्र सिंह से बेहतर पीढ़ियों के साथ रोमांस के तरीके में आ रहे बदलाव को करीब से परिचित नहीं करा सकता था।

    मंच का संचालन स्तंभकार वत्सला श्रीवास्तव ने किया। इसी तरह, एकतरफा प्यार तथा निस्वार्थ प्रेम को बेमानी बताकर रवीन्द्र सिंह ने नए विमर्श का आधार रखा तो जोर, तलाकशुदा व विधवा प्रेम की सामाजिक स्वीकारता पर दिया। समलैंगिक रिश्ते के बढ़ते चलन में भविष्य में रोबोट से प्रेम की तलाश होने तक की कल्पना की यात्रा कराई।

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    वैसे, इश्क उम्र और कैंपस सीमाओं में बंधा नहीं होता। पर रूमानियत का एहसास तो यहीं से आरंभ होता है। रवीन्द्र सिंह ने कहा, 90 के दशक में रोमांस के लिए किशोर व युवा उम्र के लिए काॅलेज विशिष्ट था, लेकिन अब स्कूल से ही रिश्ते बनने लगे हैं।

    अब साइकिल से कई किमी का सफर तय कर प्रेमिका को देखने भर का सुकून इंटरनेट मीडिया ने छिन लिया है। प्रेम की तलाश में वेबसाइट तक पर भटकने फिर उसे पारिवारिक स्वीकृति से विवाह की दहलीज तक ले जाने के पूर्व ही प्रेमिका की दुर्घटना में मौत से पैदा हुए अवसाद से एक साफ्टवेयर इंजीनियर के बेस्टसेलर लेखक बन जाने के सफर को रवीन्द्र सिंह ने बेहद खुबसूरती से रखा।

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