चांदनी चौक के रेनोवेशन की लागत 65 से पहुंच गई 145 करोड़, कैबिनेट मंजूरी भी नहीं ली; अब होगी जांच
दिल्ली के चांदनी चौक पुनर्वास परियोजना में अनियमितताएं सामने आई हैं। परियोजना की लागत 65 करोड़ से बढ़कर 145 करोड़ हो गई। आरोप है कि कैबिनेट की मंजूरी और टेंडर प्रक्रिया का उल्लंघन किया गया। आप सरकार ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उपराज्यपाल भ्रष्ट अधिकारियों को दंडित करने में विफल रहे। भाजपा ने इसे जनता के पैसे का दुरुपयोग बताया है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। चांदनी चौक पुनर्वास परियोजना को लेकर बड़ी अनियमिताएं सामने आई हैं। लोक निर्माण विभाग की आंतरित जांच में पता चला है कि परियोजना की कुल लागत 65 करोड़ थी, वह बढ़कर 145 करोड़ पर पहुंच गई।
इसमें सिविल और बिजली का काम जो 27 करोड़ का था, वह बढ़कर 105 करोड़ पर पहुंच गया, मगर इसके लिए न तो फिर से टेंडर किया गया और ना ही इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी ली गई। जबकि 100 करोड़ से अधिक लागत होने पर कैबिनेट की मंजूरी अनिवार्य है।
आरोपों का जवाब देते हुए आम आदमी पार्टी ने कहा कि दिल्ली की जनता अच्छी तरह जानती है कि पिछले 10 सालों से विजिलेंस और एसीबी भाजपा के उपराज्यपाल के अधीन थे, और भ्रष्ट अधिकारियों को दंडित करना उपराज्यपाल का कर्तव्य था।
आप ने कहा कि भाजपा के उपराज्यपाल ही विभिन्न पदों पर अधिकारियों की नियुक्ति कर रहे थे। पुराने मामलों की जांच शुरू करना उनके उपराज्यपाल की अक्षमता को ही दर्शाती है।
इस पुनर्विकसित मार्ग का उद्घाटन 2021 में उस समय के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किया था, 1.3 किलोमीटर लंबे इस मार्ग के सिविल और विद्युत कार्यों की लागत अनुमानित से लगभग चार गुना बढ़ कर 105.93 करोड़ रुपये हो गई।
अधिकारियों ने कहा कि स्थापित मानदंडों के अनुसार जब परियोजना की लागत स्वीकृत सीमा से अधिक हो जाती है, तो संशोधित मंजूरी लेनी होती है, लेकिन पीडब्ल्यूडी ने अनिवार्य संशोधित मंजूरी प्राप्त किए बिना स्वीकृत 99.68 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करना जारी रखा।
आरोप है कि उसने कैबिनेट की जांच से बचने के लिए 100 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं के लिए आवश्यक 145 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान के बजाय केवल 40 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रारंभिक अनुमान प्रस्तुत किया।
आंतरिक रिपोर्ट में सह भी पाया गया कि परियोजना को नए टेंडर जारी किए बिना उसी ठेकेदार के माध्यम से क्रियान्वित किया गया, जो खरीद मानदंडों का सीधा उल्लंघन है।
इसी तरह खर्च किए गए कुल 145.72 करोड़ रुपये में से 70 करोड़ रुपये से अधिक का उपयोग अतिरिक्त मदों के लिए किया गया, जो मूल दायरे का हिस्सा नहीं थे।
रिपोट में कहा गया है कि ऐसा प्रतीत होता है कि यह कदम कैबिनेट के समक्ष पूर्ण प्रस्ताव प्रस्तुत करने से बचने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास था, जो 100 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं के लिए अनिवार्य है।
एक अन्य उल्लंघन में वित्त विभाग से अनिवार्य सहमति प्राप्त किए बिना लोक निर्माण विभाग के रखरखाव मद से 30 करोड़ रुपये एसआरडीसी को हस्तांतरित कर दिए गए।
इतना ही नहीं मुख्य अभियंता ने विभाग के प्रभारी सचिव और वित्त विभाग की सहमति, दोनों को दरकिनार करते हुए सीधे प्रभारी मंत्री को फ़ाइल सौंप दी, जो नियमों और विनियमों का गंभीर उल्लंघन है। अधिकारी ने कहा कि ये खामियां वित्तीय नियंत्रण में गहरी कमियों की ओर इशारा करती हैं।
जनता के पैसे के दुरुपयोग के प्रमाण मौजूद: प्रवेश वर्मा
चांदनी चौक पुनर्विकास परियोजना इस बात का एक उदाहरण है कि नियमों को ताक पर रखकर और प्रक्रियाओं को दरकिनार करके जनता के पैसे का दुरुपयोग कैसे किया जा सकता है।
कहा कि 2019 में, तत्कालीन प्रभारी मंत्री के कार्यकाल में लागत में भारी वृद्धि हुई, निविदाओं की अनदेखी की गई और करोड़ों रुपये का गबन किया गया।
कहा कि यह सब बिना किसी अनिवार्य मंज़ूरी के हुआ है। दिल्ली इससे बेहतर की हक़दार है। कहा कि मेरे कार्यकाल में लोक निर्माण विभाग अनियमितताओं का अड्डा नहीं, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही का गढ़ बनेगा, जहां निजी हितों के लिए नहीं, हर पैसा जनता के काम आएगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।