केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय ने आईआईटी हैदराबाद से मिलाया हाथ, मिलकर करेंगे संस्कृत का संरक्षण
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय और आईआईटी हैदराबाद ने संस्कृत भाषा को आधुनिक तकनीक से जोड़ने के लिए MOU साइन किया है। इसके तहत संस्कृत में तकनीकी शब्दावली विकसित की जाएगी डिजिटल पाठ्यसामग्री बनाई जाएगी और संयुक्त अनुसंधान किए जाएंगे। इस समझौते का उद्देश्य प्राचीन ज्ञान को आधुनिक विज्ञान से जोड़ना है।

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली: प्राचीन भाषा संस्कृत और भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक संदर्भों से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय और आईआईटी हैदराबाद के बीच एमओयू साइन किया गया है।
दोनों संस्थान मिलकर न केवल संस्कृत भाषा का संरक्षण करेंगे। इसे तकनीकी, वैज्ञानिक और शोध के आधुनिक क्षेत्रों से जोड़ेंगे।
दोनों संस्थान संस्कृत भाषा में तकनीकी शब्दावली का विकास, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से संस्कृत ग्रंथों का विश्लेषण, डिजिटल पाठ्यसामग्री का निर्माण, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक सम्मेलन आदि की योजनाएं भी बनाएंगे।
प्राचीन ज्ञान परंपराओं और विज्ञान एवं तकनीक के बीच बना एक पुल
संयुक्त अनुसंधान, शैक्षणिक सहयोग, तकनीकी प्रशिक्षण और आधुनिक कौशल विकास पर कार्य करेंगे। दोनों पक्षों के बीच हुआ एमओयू प्राचीन ज्ञान परंपराओं और समकालीन विज्ञान एवं तकनीक के बीच एक पुल का कार्य करेगा।
एमओयू पर हस्ताक्षर की प्रक्रिया एक औपचारिक बैठक में हुई, जिसमें आईआईटी हैदराबाद के निदेशक प्रो. बीएस. मूर्ति के साथ प्रो मोहन राघवन और केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
भविष्य में संयुक्त कार्यशालाएं होंगी, अनुसंधान भी किया जाएगा
दोनों संस्थानों ने साझा रूप से भविष्य की कार्ययोजना पर भी चर्चा की, जिसमें भारतीय ज्ञान परंपरा आधारित पाठ्यक्रम, संयुक्त कार्यशालाएं और अनुसंधान परियोजनाएं शामिल हैं।
कुलपति प्रो. वरखेड़ी ने कहा कि यह एमओयू भारत के ज्ञान-संस्कार को पुनः जीवंत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। हम संस्कृत को केवल एक भाषा नहीं, बल्कि एक विज्ञान, दर्शन और संस्कृति की वाहक के रूप में देख रहे हैं।
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