CBSE में यूं ही नहीं पढ़ाई जाएंगी विदेशी भाषाएं, बाजार में रोजगार की कसौटी परखने के बाद कराएंगे अध्ययन
सीबीएसई ने अपने संबद्ध स्कूलों में विदेशी भाषाओं को कौशल विषय के रूप में शुरू करने का प्रस्ताव रोक दिया है। यह फैसला गवर्निंग बॉडी की बैठक में लिया गया जहाँ रोजगार की संभावनाओं और आवश्यकताओं का मूल्यांकन करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। योजना में छात्रों की संचार क्षमता और रोजगार योग्यता को बढ़ाना शामिल था लेकिन शिक्षकों की उपलब्धता और पाठ्यक्रम पर विचार किया जाना बाकी है।

रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने अपने संबद्ध स्कूलों में फिलहाल विदेशी भाषाओं यानि कोरियन, स्पैनिश, जर्मन, मंदारिन, जापानी और फ्रेंच को कौशल विषय के रूप में शुरू करने के प्रस्ताव को स्थगित कर दिया है। यह निर्णय बोर्ड ने गवर्निंग बाडी की 141वीं बैठक में लिया है।
योग्यता को बढ़ावा देने पर जोर
प्रस्ताव के तहत छठवीं से 12 तक चरणबद्ध तरीके से विदेशी भाषाओं को कौशल शिक्षा का हिस्सा बनाने की योजना थी। इसमें विद्यार्थियों की संचार दक्षता, अंतर-सांस्कृतिक समझ और वैश्विक रोजगार योग्यता को बढ़ावा देने पर जोर था।
पाठ्यक्रम को राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढांचे (एनएसक्यूएफ) से जोड़ने और अंतरराष्ट्रीय प्रमाणपत्र जैसे फ्रेंच के लिए डीईएलएफ, जापानी के लिए जेएलपीटी, और मंदारिन के लिए एचएसके उपलब्ध कराने का प्रविधान था। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे कुछ चुनिंदा स्कूलों में लागू करने की रूपरेखा भी बनी थी।
रोजगार पर होगा ध्यान
बैठक में सीबीएसई अध्यक्ष राहुल सिंह ने सवाल उठाया कि तीन-भाषा सूत्र के परिप्रेक्ष्य में विदेशी भाषा को कौशल कोर्स के रूप में शामिल करना कितना व्यावहारिक और रोजगार-उन्मुख होगा। उन्होंने कहा कि किसी भी नए कौशल विषय की शुरुआत से पहले उसकी रोजगार बाजार में प्रासंगिकता का ठोस मूल्यांकन होना जरूरी है।
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रिपोर्ट अब तक नहीं मिली
कौशल शिक्षा कमेटी के सदस्य और एनसीवीईटी निदेशक कर्नल गुंजन ने बताया कि दो साल पहले अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय (ईएफएलयू) से भी इसी तरह का प्रस्ताव आया था और एक पायलट मंजूर हुआ था, लेकिन उसकी रिपोर्ट अब तक नहीं मिली।
वास्तविक जरूरत का रखें ख्याल
इस वजह से संबंधित प्रस्ताव को अभी स्थगित किया है। बैठक में यह भी चर्चा हुई कि विदेशी भाषाओं को कौशल विषय के रूप में शुरू करने से पहले शिक्षकों की उपलब्धता, पाठ्यक्रम निर्माण, मूल्यांकन प्रक्रिया और छात्रों की वास्तविक आवश्यकता जैसे पहलुओं का गहन अध्ययन किया जाना चाहिए।
सभी बिंदुओं पर विचार-विमर्श के बाद समिति ने इस प्रस्ताव को फिलहाल के लिए स्थगित करने की सिफारिश की, जिसे गवर्निंग बाडी ने मंजूरी दे दी।
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