CBSE लाएगा बायोटेक्नोलॉजी और एक्शन रिसर्च पर ट्रेनिंग मैनुअल, आधुनिक तरीके जानेंगे शिक्षक
सीबीएसई ने शिक्षकों के लिए बायोटेक्नोलॉजी और एक्शन रिसर्च पर विशेष प्रशिक्षण मैनुअल तैयार करने का निर्णय लिया है। इसका उद्देश्य शिक्षकों को शोध-आधारित और छात्र-केंद्रित शिक्षण के आधुनिक तरीकों से लैस करना है। यह फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप है और इसका लक्ष्य विज्ञान शिक्षा को अधिक प्रायोगिक बनाना है। मैनुअल 31 अक्टूबर 2025 तक तैयार हो जाएगा।

रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। शिक्षण पद्धतियों में नवाचार और शिक्षकों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने के उद्देश्य से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने महत्वपूर्ण फैसला लिया है। बोर्ड की गवर्निंग बाॅडी ने प्रशिक्षण सलाहकार समिति की सिफारिशों को मंजूरी देते हुए बायोटेक्नोलाॅजी और शिक्षण एवं अधिगम में क्रियात्मक अनुसंधान (एक्शन रिसर्च) पर विशेष प्रशिक्षण मैनुअल तैयार करने का निर्णय लिया है। इन मैनुअल के जरिए शिक्षकों को शोध-आधारित, व्यावहारिक और छात्र-केंद्रित शिक्षण के आधुनिक तरीकों से लैस करने की योजना है।
बायोटेक्नोलाजी मैनुअल का उद्देश्य
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ-एसई) 2023 में विज्ञान शिक्षा में नवाचार और उभरते विषयों को शामिल करने पर जोर दिया गया है।
इसी दृष्टिकोण से बायोटेक्नोलाॅजी मैनुअल तैयार किया जाएगा। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना, शोध-आधारित सोच को प्रोत्साहित करना और प्रयोगात्मक शिक्षा को बढ़ावा देना है।
मैनुअल में मुख्य अवधारणाएं, विषय की गहन समझ विकसित करने वाली शिक्षण पद्धतियां, प्रयोगात्मक एवं अनुप्रयुक्त गतिविधियां और मूल्यांकन की प्रभावी रणनीतियां शामिल होंगी। इससे विज्ञान विषयों की पढ़ाई केवल सैद्धांतिक न रहकर अधिक प्रायोगिक और जीवन से जुड़ी होगी।
सीबीएसई अधिकारियों का कहना है कि यह पहल शिक्षण की गुणवत्ता को नई ऊंचाई देगी और शिक्षा को भविष्य की मांगों के अनुरूप बनाएगी।
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एक्शन रिसर्च मैनुअल की अहमियत
एक्शन रिसर्च मैनुअल शिक्षकों को कक्षा-आधारित शोध करने के लिए चरणबद्ध ढांचा प्रदान करेगा। इस मैनुअल के जरिए शिक्षक अपनी कक्षाओं में आने वाली स्थानीय चुनौतियों का साक्ष्य-आधारित समाधान निकाल सकेंगे।
इसमें शोध प्रक्रिया की योजना बनाना, डाटा संग्रह और विश्लेषण, प्रभाव का मूल्यांकन व रिपोर्ट लेखन जैसे पहलुओं पर विस्तृत दिशा-निर्देश दिए जाएंगे। इससे शिक्षकों में निरंतर सुधार की प्रवृत्ति विकसित होगी और शिक्षण-सीखने की गुणवत्ता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
विकास प्रक्रिया और समयसीमा
दोनों मैनुअल को तैयार करने के लिए विशेषज्ञों की सलाह, फीडबैक सत्र और पायलट परीक्षण किए जाएंगे ताकि सामग्री प्रासंगिक और व्यावहारिक हो।
योजना के अनुसार 31 अक्टूबर, 2025 तक दोनों मैनुअल का अंतिम संस्करण तैयार कर लिया जाएगा। इन्हें डिजिटल स्वरूप में उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे देशभर के शिक्षक आसानी से इनका उपयोग कर सकें।
शिक्षकों और छात्रों को लाभ
सीबीएसई अधिकारियों का मानना है कि ये मैनुअल न केवल शिक्षकों की विषयगत दक्षता और शोध क्षमता को बढ़ाएंगे, बल्कि छात्रों की सीखने की प्रक्रिया को भी अधिक प्रभावी बनाएंगे।
बायोटेक्नोलाजी जैसे उभरते विषयों में प्रशिक्षित शिक्षक छात्रों को विज्ञान, शोध और नवाचार के क्षेत्र में नए अवसरों से जोड़ पाएंगे।
वहीं, एक्शन रिसर्च की विधा अपनाने से शिक्षक अपनी शिक्षण पद्धति में सुधार कर सकेंगे, जिससे विद्यार्थियों की भागीदारी और सीखने के नतीजे बेहतर होंगे।
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