लालू प्रसाद यादव की याचिका का CBI ने दिल्ली हाईकोर्ट में किया विरोध, दलीलें सुनने के बाद क्या हुआ तय?
जमीन के बदले नौकरी मामले में लालू प्रसाद यादव की याचिका का सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट में विरोध किया है। सीबीआई ने याचिका की स्वीकार्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि देरी के आधार पर इसे खारिज किया जाना चाहिए। सीबीआई ने कहा कि लालू यादव को पहले सत्र न्यायालय जाना चाहिए था। कोर्ट ने अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को तय की।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जमीन के बदले नौकरी मामले से जुड़ी प्राथमिकी रद करने की मांग को लेकर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की याचिका का केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने दिल्ली हाईकोर्ट में विरोध किया है।
सीबीआई ने याचिका की स्वीकार्यता का मुद्दा उठाते हुए कहा कि देरी के आधार पर उनकी याचिका खारिज कर दी जानी चाहिए। न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा की पीठ ने सीबीआई की ओर से आंशिक दलीलें सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर के लिए तय कर दी।
सीबीआई की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने तर्क दिया कि लालू यादव को एफआइआर रद करने के लिए सीधे हाईकोर्ट आने के बजाय पहले सत्र न्यायालय का रुख करना चाहिए था।
एएसजी ने कहा कि कोई व्यक्ति पुनर्विचार याचिका दायर करने की 90 दिनों की समय सीमा को रद करने वाली याचिका या रिट याचिका दायर करके पार नहीं कर सकता। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस याचिका को देरी के आधार पर खारिज किया जाना चाहिए क्योंकि यह 90 दिनों की अवधि बीत जाने के बाद दायर की गई थी।
उन्होंने कहा कि आरोपपत्र पर संज्ञान लेने का आदेश निचली अदालत ने 27 फरवरी 2023 को पारित किया था। वहीं हाई कोर्ट में दो साल से ज्यादा समय बाद यानी 23 मई 2025 को दायर की गई थी। एएसजी ने लालू यादव की तरफ से पेश किए गए इस तर्क का भी विरोध किया कि अभियुक्तों पर मुकदमा चलाने के लिए अनिवार्य मंजूरी नहीं ली गई थी।
उन्होंने कहा कि लालू यादव पर मुकदमा चलाने के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उन्होंने जो किया है वह उनके आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन से संबंधित नहीं है।
यह भी पढ़ें- 1984 Sikh Riots Case: सुप्रीम कोर्ट में कब होगी सज्जन कुमार की अपील पर सुनवाई? सामने आया अपडेट
लालू यादव के वकील ने तर्क दिया है कि अभियोजन के लिए अनुमति आवश्यक थी क्योंकि उस समय वह रेल मंत्री के रूप में आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे थे।
18 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।