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    1984 Sikh Riots Case: सुप्रीम कोर्ट में कब होगी सज्जन कुमार की अपील पर सुनवाई? सामने आया अपडेट

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 08:12 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में सज्जन कुमार की आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ अपील पर दिवाली के बाद सुनवाई करेगा। जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की पीठ ने पक्षकारों के वकीलों से आरोपों और गवाहों के बयानों पर स्पष्टीकरण देने को कहा। हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलट दिया था।

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    सज्जन कुमार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट में दिवाली के बाद सुनवाई होगी।

    नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार की 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में सजा और आजीवन कारावास के खिलाफ अपील दिवाली की छुट्टियों के बाद सुनेगा। शीर्ष कोर्ट की छुट्टियां 20 अक्टूबर से शुरू होंगी। अवकाश के बाद 27 अक्टूबर को फिर से अदालती कामकाज शुरू होगा।

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    जस्टिस जेके महेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की पीठ ने पक्षकारों के वकीलों से कहा कि वे आरोपों, गवाहों के बयानों और ट्रायल कोर्ट एवं दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दिए गए निष्कर्षों को विस्तार से स्पष्ट करें।

    पीठ ने कहा- 'जब उलटफेर हुआ तो आखिर किस आधार पर हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलट दिया?'हाई कोर्ट ने 2010 में ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को रद कर दिया था, जिसमें सज्जन कुमार को मामले में बरी किया गया था।

    इस मामले में सीबीआइ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस चीमा और सज्जन कुमार की ओर से गोपाल शंकरनारायणन पेश हुए। सह-दोषी बलवान खोखर और गिरधारी लाल की अपीलें भी सज्जन कुमार की अपील के साथ सूचीबद्ध की गई हैं।

    यह मामला दिल्ली छावनी के राज नगर क्षेत्र में 1984 में एक-दो नवबंर को पांच सिखों की हत्या और एक गुरुद्वारे को जलाने से जुड़ा है। 1984 के दंगे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर को उनके ही सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या के बाद भड़के थे।

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    दिसंबर 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद सज्जन कुमार ने अदालत में आत्मसमर्पण किया था। हाई कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अदालत ने उन्हें आपराधिक षड्यंत्र, हत्या के अपराधों में उकसाने, धर्म के आधार पर वैमनस्य फैलाने और गुरुद्वारे को नष्ट करने का दोषी ठहराया था। दोषसिद्धि के बाद सज्जन कुमार ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।

    हाईकोर्ट ने फैसले में कहा था कि 1984 के दंगे बड़े पैमाने पर नरसंहार था। राष्ट्रीय राजधानी में ही 2,700 से अधिक सिखों की हत्या हुई।यह मानवता के खिलाफ अपराध था, जिसे राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था। इसे उदासीन कानून व्यवस्था तंत्र ने और बढ़ावा दिया।