क्या AAP की बढ़ेंगी और मुश्किलें? आज सदन में पेश की जाएगी CAG की दूसरी रिपोर्ट
दिल्ली विधानसभा सत्र का आज चौथा दिन है। आज सदन में सीएजी की दूसरी रिपोर्ट पेश की जाएगी। इस रिपोर्ट को पेश करके भाजपा सरकार आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग से संबंधित है और इसमें अस्पतालों मोहल्ला क्लीनिक में दवाइयों की खरीद स्टाफ की कमी और भर्ती से लेकर विभिन्न तरीके के मामलों की जांच की गई है।

मोहल्ला क्लीनिक में थर्मामीटर और बीपी मशीन तक नहीं
आम आदमी पार्टी की सरकार ने आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक को स्वास्थ्य का एक नायाब मॉडल बताकर न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरीं। वैसे तो मोहल्ला क्लीनिक की बदहाली की बातें पहले भी सामने आती रही हैं, लेकिन कैग रिपोर्ट ने आप सरकार के दावों की पोल खोल दी है।
मरीजों के इलाज में सामने आई भारी अनियमितता
कैग की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं चरमरा चुकी हैं। मोहल्ला क्लीनिक, डिस्पेंसरी सहित सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र डॉक्टरों, कर्मचारियों, दवाओं व बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं। मोहल्ला क्लीनिकों में बुखार की जांच करने के लिए थर्मामीटर, ब्लड प्रेशर मापने की बीपी मशीन, शुगर जांच के लिए ग्लूकोमीटर जैसे उपकरण भी नहीं हैं। ऐसे में मोहल्ला क्लीनिकों में मरीजों के इलाज में भारी अनियमितता सामने आई हैं।
स्थिति यह है कि इन मोहल्ला क्लीनिकों में मरीजों को देखने के लिए डॉक्टर एक मिनट भी समय नहीं देते हैं। बिना जांच किए दवा दे दी जाती है। कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2016-17 से 2021-22 के बीच प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण के लिए 35.16 करोड़ आवंटित किया गया था। जिसमें 9.78 करोड़ (28 प्रतिशत) ही खर्च हो सका। मोहल्ला क्लीनिक के लिए आवंटित 31.44 से 86.36 प्रतिशत बजट इस्तेमाल नहीं हो सका।
मोहल्ला क्लीनिक की प्लानिंग में क्या रहीं कमियां
यह साबित करता है कि मोहल्ला क्लीनिक की प्लानिंग और उसके पालन में कमियां रहीं। मार्च 2017 तक एक हजार मोहल्ला क्लीनिक बनाए जाने थे, जबकि मार्च 2023 तक 523 मोहल्ला क्लीनिक ही खुल पाए। इसमें शाम की पाली में चलने वाले 31 मोहल्ला क्लीनिक भी शामिल हैं। 31 मार्च 2020 के बाद तीन वर्षों में सिर्फ 38 ही मोहल्ला क्लीनिक बन पाए। कैग ने चार जिलों के 218 मोहल्ला क्लीनिकों का ऑडिट किया।
कैग ने 74 मोहल्ला क्लीनिक का संयुक्त रूप से निरीक्षण किया गया। जिसमें पाया गया कि 53 प्रतिशत (39) मोहल्ला क्लीनिक में 75 प्रतिशत से भी कम आवश्यक दवाएं थीं। अक्टूबर 2022 से मार्च 2023 के बीच मोहल्ला क्लीनिक में इलाज के लिए पहुंचने वाले 70 प्रतिशत मरीजों को देखने के लिए एक मिनट से भी कम समय दिया गया।
100 दवाओं में से 76 दवाएं उपलब्ध ही नहीं
वहीं, मोहल्ला क्लीनिक मोबाइल हेल्थ योजना, डॉक्टरों, एनएनएम, फार्मासिस्ट इत्यादि कर्मचारियों की कमी से जूझ रही है और इन दोनों योजनाओं के लिए आवश्यक सूची में दर्ज सौ दवाओं में से 76 दवाएं भी सेंट्रल स्टोर में उपलब्ध नहीं थी। इस वजह से आवश्यक दवाओं के बगैर मोबाइल हेल्थ योजना चल रही है। वर्ष 2016 से 2020 के बीच करीब 17 लाख स्कूली छात्रों में से सिर्फ 2.81 लाख से 3.51 लाख छात्रों की स्वास्थ्य जांच हो पाई। जिलों के दवा भंडार केंद्र में दवा रखने के लिए जगह की कमी है।
यह भी पढ़ें- Delhi Assembly Session: AAP की पूर्व सरकार पर उठ रहे सवाल, कैग रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे
दक्षिणी दिल्ली का दवा भंडार केंद्र बेसमेंट में बनाया गया है, जिसमें एयर कंडीशन व वेंटिलेशन की भी व्यवस्था नहीं है। दवाओं का बाक्स जमीन पर, शौचालय परिसर व सीढ़ियों पर रखे पाए गए। जनवरी 2022 से अप्रैल 2023 के बीच उत्तर पूर्वी जिले के दवा स्टोर में एक से 16 माह तक 26 आवश्यक दवाएं उपलब्ध नहीं थी। इस तरह से जिलों के स्टोर में डिस्पेंसरियों के लिए दस से 37 प्रतिशत दवाएं नहीं थीं।
मोहल्ला क्लीनिकों की निगरानी में कैसे बरती गई लापरवाही
मोहल्ला क्लीनिकों की निगरानी में भी लापरवाही बरती गई। इनका निरीक्षण न के बराबर हुआ। मार्च 2018 से मार्च 2023 के बीच 218 मोहल्ला क्लीनिकों के 11,191 निरीक्षण हो जाने चाहिए थे, जबकि महज 175 निरीक्षण किए गए। आयुष की डिस्पेंसरियां भी बदहाल डॉक्टरों व बुनियादी सुविधाओं की कमी से आयुष की डिस्पेंसरियां भी बदहाल हैं। इस वजह से 68 प्रतिशत आयुर्वेदिक, 72 प्रतिशत युनानी व 17 प्रतिशत होम्योपैथी डिस्पेंसरियों में सप्ताह में छह दिन ओपीडी नहीं चल पाती हैं। इससे इनमें मरीजों की संख्या 19 प्रतिशत कम हो गई।
यह भी पढ़ें- 'शराब नीति में हुआ भ्रष्टाचार उजागर, जनता की आंखें खोल देगा ये सच'; CAG रिपोर्ट में और क्या-क्या?
वर्ष 2016-17 में इन डिस्पेंसरियों में करीब 34.72 लाख मरीजों ने इलाज कराया था जो वर्ष 2022-23 में घटकर 28.13 लाख रह गया। 42 प्रतिशत आयुर्वेदिक दवाएं व 56 प्रतिशत यूनानी दवाएं डिस्पेंसरियों में उपलब्ध नहीं थी।
कैग रिपोर्ट में ये प्रमुख बातें आईं सामने
- 41 मोहल्ला क्लीनिक डॉक्टरों की छुट्टी, इस्तीफा व पैनल से उन्हें हटाए जाने के कारण महीने में 15 से 23 दिन तक बंद रहते हैं।
- 74 मोहल्ला क्लीनिक में से 10 में पेयजल की व्यवस्था और 21 में शौचालय नहीं था।
- 12 मोहल्ला क्लीनिक दिव्यांगों के लिए अनुकूल नहीं पाए गए।
- 31 मोहल्ला क्लीनिक में दवा रखने के लिए प्रर्याप्त जगह नहीं है।
- पल्स आक्सीमीटर, ग्लूकोमीटर, एक्सरे व्यूअर, थर्मामीटर और ब्लड प्रेशर जांच करने वाले उपकरण भी नहीं था।
- 150 पालीक्लीनिक शुरू किए जाने थे लेकिन सिर्फ 28 ही शुरू हो सके।
- डिस्पेंसरियों में 23 प्रतिशत डॉक्टरों, 16 प्रतिशत नर्सिंग कर्मचारियों और 37 प्रतिशत पैरामेडिकल कर्मचारियों की कमी पाई गई।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।