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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी के सपने को पूरा किया : डॉ. बिंदेश्वर पाठक

सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने वेबिनार का शुभारंभ करते हुए कहा कि विश्व शौचालय दिवस उन सभी लोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का दिन है जिनके पास शौचालय की पहुंच अभी तक नहीं हुई है।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 09:04 AM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 09:04 AM (IST)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी के सपने को पूरा किया : डॉ. बिंदेश्वर पाठक
सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वर पाठक की फाइल फोटो।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। स्वच्छता विशेषज्ञों और समाजशास्त्रियों ने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय के उपयोग के प्रति और अधिक जागरूकता की वकालत की है। साथ ही उन्होंने 'स्वच्छ भारत अभियान' की शानदार सफलता के लिए प्रधानमंत्री के प्रयासों की सराहना की। विद्वानों और स्वच्छता विशेषज्ञों ने विश्व शौचालय दिवस के उपलक्ष्य में स्वच्छता क्षेत्र की अग्रणी संस्था सुलभ इंटरनेशनल द्वारा 'सतत जलवायु और स्वच्छता' पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया।

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सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने वेबिनार का शुभारंभ करते हुए कहा कि विश्व शौचालय दिवस उन सभी लोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का दिन है, जिनके पास शौचालय की पहुंच अभी तक नहीं हुई है। प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए प्रमुख कार्यक्रम की सराहना करते हुए सुलभ संस्थापक ने दावा किया कि इसने आम लोगों पर काफी प्रभाव डाला। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी के सपने को पूरा किया।

डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने कहा कि एक शौचालय सिर्फ एक शौचालय नहीं है। यह एक जीवन रक्षक, गरिमा-रक्षक और अवसर-निर्माता है। हम जहां भी हैं, स्वच्छता हमारा मानव अधिकार है।” उन्होंने ध्यान दिलाया कि स्वच्छता के बिना कोई भी खुद को गरीबी से बाहर कैसे निकाल सकता है? हमें सुरक्षित शौचालयों तक पहुंच का विस्तार करना चाहिए और किसी को भी पीछे नहीं छोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर सुलभ परिवार का मानना है कि यह निश्चित रूप से उपलब्धियों के जश्न मनाने का एक अच्छा अवसर है और साथ ही इस तथ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। दुनिया में 2.6 बिलियन लोगों को अभी भी उचित स्वच्छता तक पहुंच की कमी है। विश्व शौचालय दिवस भारत में एक महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि यह देश में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है। इस तरह के आयोजनों से स्वच्छता स्वयंसेवकों और सामाजिक कार्यों और छात्रों को स्वच्छता के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने का एक सुनहरा अवसर मिलता है और जो लोग अभी भी पीछे रह गए हैं, उन तक पहुंचने के उद्देश्य से गति को प्रोत्साहित करते हैं।

वेबिनार में भाग लेते हुए समाजशास्त्रियों ने शौचालय के उपयोग के प्रति मानसिकता और मानव व्यवहार को बदलने की आवश्यकता पर बल दिया। एचओडी, समाजशास्त्र विभाग, सेंट अलॉयसियस कॉलेज, मैंगलोर विश्वविद्यालय, कर्नाटक प्रोफेसर रिचर्ड पाईस ने स्वच्छता पर सुलभ द्वारा शैक्षिक जोर विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। समाजशास्त्र के प्रसिद्ध विशेषज्ञ, प्रो नील रतन ने स्वच्छता के क्षेत्र में सामाजिक अध्ययन की भूमिका पर केंद्रित विषय का परिचय दिया।

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