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    वादों और दावों के बीच दिल्ली में जाम की समस्या लाइलाज, कैसे बढ़े विकास की रफ्तार? रिपोर्ट में पढ़िए सबकुछ

    Updated: Thu, 19 Dec 2024 11:06 AM (IST)

    दिल्ली में ट्रैफिक जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए कई योजनाएं बनाई गईं लेकिन पांच साल बाद भी स्थिति जस की तस है। अप्सरा बॉर्डर से आनंद विहार सिग्नल फ्री कॉरिडोर और पंजाबी बाग फ्लाईओवर का काम पूरा होने को है लेकिन नंद नगरी फ्लाईओवर और मुकरबा चौक अंडरपास अभी भी निर्माणाधीन हैं। आगे विस्तार से पढ़िए पूरी रिपोर्ट।

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    पंजाबी बाग फ्लाईओवर का काम पूरा होने को है। फाइल फोटो

    दावों और वादों के पांच वर्ष और बीत गए, लेकिन दिल्ली में जाम लाइलाज ही रहा। दिल्ली को जाम मुक्त करने के प्रयास नाकाफी साबित हो गए। सरकार योजनाओं पर उस तेजी से काम नहीं कर सकी, जैसी की योजना के अनुसार उम्मीद की गई थी। जाम मुक्त दिल्ली की दिशा में चार बड़ी परियोजनाओं पर काम जरूर शुरू हुआ। इसमें से अप्सरा बार्डर से आनंद विहार सिग्नल फ्री कॉरिडोर और पंजाबी बाग फ्लाईओवर का काम पूरा होने को है।

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    वहीं नंद नगरी फ्लाईओवर और मुकरबा चौक अंडरपास निर्माणाधीन हैं। भजनपुरा, दक्षिणी दिल्ली और आजादपुर में मेट्रो की साझेदारी में तीन डबलडेकर फ्लाईओवर भी बनाए जा रहे हैं। जो अगले साल तक मिल सकेंगे। इसके बावजूद दिल्ली में जाम की स्थित जस की तस है। प्रयासों की कहीं कमी रह गई। दिल्ली की जनता के लिए जाम से मुक्ति प्राथमिकता हैं और आगामी चुनाव में उनके लिए यह एक बड़ा मुद्दा है।

    वीके शुक्ला, नई दिल्ली। दिल्ली को जाम से निजात मिलने में सबसे बड़ी दिक्कत योजनाओं का हकीकत में न उतर पाना है। बीते पांच वर्ष में हालात ये रहे कि कई योजनाएं कागजों से आगे ही नहीं बढ़ सकीं। ईस्ट-वेस्ट व नार्थ-साउथ कारिडोर और सिग्नेचर ब्रिज से डीएनडी तक सिग्नल फ्री कारिडोर योजना पर काम पूरा नहीं हो सका। सरकार की ओर से फंड उपलब्ध नहीं कराने से दक्षिणी दिल्ली में मोदी मिल से आइआइटी तक मार्ग को सिग्नल फ्री करने की योजना भी जमीन पर नहीं उतर पाई। विशेषज्ञों की मानें तो ये योजनाएं जमीन पर उतरतीं तो जनता को बहुत लाभ मिलता। उनके अनुसार दिल्ली की जरूरत देखते हुए अब फ्लाईओवर की जगह कारिडोर बनाए जाने की जरूरत है।

    सरकार का दावा, नौ वर्षों में 38 नए कॉरिडोर, फ्लाईओवर और अंडरपास बनाए

    दिल्ली में लोक निर्माण विभाग के पास करीब 1,400 किलोमीटर सड़कें हैं। जनता को जाम से निजात दिलाने के लिए इसी विभाग पर दारोमदार है। मार्च में पेश किए गए बजट में दिल्ली सरकार ने शहर में यातायात को सुगम बनाने के लिए पिछले नौ वर्षों के दौरान 38 नए कॉरिडोर, फ्लाईओवर, पुल और अंडरपास के निर्माण का दावा किया था। उसके अनुसार नौ परियोजनाओं पर काम चल रहा है। इसके लिए बजट में 1,768 करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा गया था। दिल्ली सरकार के अनुसार बीते 10 वर्ष में दिल्ली में फ्लाईओवरों का एक विशाल नेटवर्क तैयार हुआ है। सरकार भी मानना है कि जितना ज्यादा सरकार सड़कों पर खर्च करती है। उतना ही ज्यादा आम आदमी के लिए समय और पैसों की बचत मुमकिन होती है।

    आगे बढ़ी नहीं बढ़ सकी नजफगढ़ सिग्नल फ्री योजना

    परिवहन मंत्री रहे कैलाश गहलोत जिस नजफगढ़ फिरनी सिग्नल फ्री योजना को शुरू कराकर नजफगढ़ को जाममुक्त करना चाहते थे, वह योजना आगे नहीं बढ़ सकी। इस योजना के तहत वहां 4.8 किमी लंबे एलिवेटेड कारिडोर का निर्माण किया जाना था। इस कारिडोर के बनने से दिल्ली के नजफगढ़ क्षेत्र की करीब 200 कालोनियों के हजारों लोगों से लेकर हरियाणा तक के लोगों को लाभ मिलता। इसके साथ ही दिल्ली और हरियाणा के बीच की दूरी भी कम होती। विभाग ने करीब दो साल पहले परियोजना को मंजूरी के लिए यूटिपैक यानी एकीकृत यातायात एवं परिवहन (योजना एवं अभियांत्रिकी) केंद्र में चर्चा के लिए भेज दिया था, मगर योजना इससे आगे नहीं बढ़ सकी।

    मां आनंदमई एलिवेटेड कॉरिडोर पर नहीं शुरू हो सका काम

    मां आनंदमई एलिवेटेड कॉरिडोर पर काम शुरू नहीं हो सका है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के तहत इस परियोजना पर मां आनंदमई मार्ग पर सिग्नल फ्री एलिवेटेड कॉरिडोर बनेगा। इसके बाद इस मार्ग पर करीब साढ़े पांच किलामीटर लंबाई में आ रहे 12 कट आदि बत्तियां बंद हो जाएंगी। मां आनंदमई मार्ग बाहरी रिंग रोड पर कालकाजी मंदिर के पास से शुरू होता है और लालकुआं के पास महरौली-बदरपुर रोड में मिलता है। दक्षिणी दिल्ली के लोगों के लिए यह महत्वपूर्ण मार्ग है।

    इस मार्ग के यातायात को सुगम बनाने के लिए कई साल पहले एकीकृत ट्रांजिट कारिडोर विकास और स्ट्रीट कनेक्टिविटी की योजना बनाई गई थी। विभाग ने एक सर्वे में पाया था कि भीड़भाड़ वाली इस सड़क पर खराब डिजाइन, मार्ग पर लालबत्तियां हैं और पैदल चलने वालों के लिए क्रासिंग की कमी के कारण लोगों को परेशानी होती है।

    ढांचागत विकास की चार बड़ी परियोजनाओं से सरकार ने पीछे खींचे कदम

    आगे बढ़ने की जगह ढांचागत विकास की चार महत्वाकांक्षी परियोजनाओं से सरकार ने कदम पीछे खींच लिए। पीडब्ल्यूडी के अनुसार फंड की कमी के चलते सरकार ने फिलहाल इन परियोजनाओं को आगे बढ़ाने की योजना टाल दी, जबकि दिल्ली की जनता को इन परियोजनाओं की बहुत जरूत है। दिल्ली को जाम से निजात दिलाने में ये परियोजनाएं बड़ी भूमिका निभा सकती थीं। इनमें ईस्ट वेस्ट कारिडोर, नार्थ साउथ कारिडोर, सिग्नेजर ब्रिज से डीएनडी तक बनने वाला रिंग रोड हाइवे व अरबिंदो मार्ग पर आइआइटी से महरौली तक बनने वाला पौने तीन किलोमीटर लंबा फ्लाईओवर शामिल हैं।

    पंजाबी बाग एलिवेटेड कॉरिडोर

    इस परियोजना के तहत 500 मीटर लंबे मोती नगर फ्लाईओवर का काम पूरा हो गया है, लेकिन करीब डेढ़ किलोमीटर लंबे पंजाबी बाग फ्लाईओवर का काम 97 प्रतिशत पूरा होने के बाद भी 33 पेड़ों को हटाने को लेकर अटका है। इन पेड़ों को लेकर कुछ लोग दिल्ली हाईकोर्ट चले गए। ऐसे में वन विभाग ने पेड़ों को हटाने के लिए एनओसी जारी नहीं की। अगर पेड़ों को हटाने की मंजूरी मिल जाती है तो इसका काम अगले वर्ष अगस्त तक पूरा हो जाएगा। यहां रोहतक रोड (एनएच -10) का उपयोग करके हरियाणा का यातायात आता है। साथ ही, यह उत्तरी दिल्ली को दक्षिणी दिल्ली, गुरुग्राम व एनसीआर के अन्य हिस्से से जोड़ने का भी काम करता है।

    अप्सरा बॉर्डर कॉरिडोर

    अप्सरा बॉर्डर से आनंद विहार सिग्नल फ्री कॉरिडोर-इस परियोजना के बीच 113 हरे पेड़ आ रहे हैं। इन पेड़ो को हटाने के लिए लोक निर्माण विभाग को वन विभाग से दो साल बाद भी एनओसी नहीं मिल पाई है। अब पीडब्ल्यूडी ने पेड़ों वाले हिस्सों को बेरीकेडिंग कर इसे अलग कर देने की योजना बनाई है और परियोजना को अगले माह जनता को समर्पित करने की योजना है। करीब 1,440 मीटर लंबे छह लेन के इस फ्लाईओवर से तीन लालबत्ती बंद हो जाएंगी। इस पर यातायात चालू भी है, मगर बीच में आ रहे एक पेड़ के चलते इसका शुभारंभ नहीं हो पा रहा है।

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    नंद नगरी फ्लाईओवर

    नंद नगरी-गगन सिनेमा फ्लाईओवर-इस परियोजना के बीच आ रहे छोटे बड़े मिलाकर 118 पेड़ हटाए जाने हैं। पेड़ हटाने के लिए पीडब्ल्यूडी ने करीब दो साल पहले अनुमति के लिए वन विभाग में आवेदन किया था, मगर अनुमति नहीं मिल सकी है। ऐसे में, समयसीमा गुजर जाने के बाद भी नंद नगरी और गगन सिनेमा जंक्शन के बीच इस 1.3 किलोमीटर लंबे फ्लाईओवर का निर्माण 70 प्रतिशत ही पूरा हो सका है।

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    बारापुला एलिवेटेड कॉरिडोर फेज

    बारापुला एलिवेटेड कारिडोर फेज-तीन की इस परियोजना के बीच में 274 पेड़ आ रहे हैं। परियोजना का 20 प्रतिशत काम ही पूरा होना बाकी है। पीडब्ल्यूडी ने करीब डेढ़ साल पहले पेड़ों को हटाने की अनुमति वन विभाग से मांगी थी, लेकिन अभी तक अनुमति नहीं मिली है। जिसके चलते काम में और देरी हो रही है। इसके पूरा होने से लोग मयूर विहार से लेकर एम्स तक लालबत्ती के बिना आसानी से अपना सफर पूरा कर सकेंगे। परियोजना पर 2014 से काम चल रहा है।

    ये हैं फ्लाईओवर और एलिवेटेड कॉरिडोर

    परियोजना वर्तमान स्थिति

    • रानी झांसी रोड जंक्शन से आजादपुर कॉरिडोर पर मेट्रो के साथ डबल डेकर फ्लाईओवर - काम शुरू होना बाकी
    • करावल नगर-घोंडा-बृजपुरी जंक्शन पर मेट्रो के साथ डबल डेकर फ्लाईओवर - अगले साल काम पूरा होगा
    • बारापुला फेज-तीन एलिवेटेड कारिडोर का निर्माण - अगले साल काम पूरा होगा
    • नंद नगरी से गगन सिनेमा जंक्शन पर फ्लाईओवर - अगले साल काम पूरा होगा
    • आनंद विहार आरओबी से अप्सरा बॉर्डर आरओबी तक का फ्लाईओवर - लगभग तैयार पर पेड़ बीच में आने से अटका
    • मुकरबा चौक आउटर रिंग रोड पर अंडरपास का निर्माण - अगले साल पूरा होगा

    किसी भी शहर के लिए सड़क परिवहन एक महत्वपूर्ण मुद्दा होता है, अगर शहर की सड़कें अच्छी और जाम मुक्त होंगी तो यह उस शहर की तरक्की में योगदान देती हैं। दिल्ली को जाम मुक्त करने के लिए वैसे तो बहुत काम हुआ है, मगर जाम की समस्या बढ़ती ही गई है। फ्लाईओवर की जगह कारिडोर बनाने की जरूरत है। इसके लिए विस्तार से अध्ययन करने की जरूरत है। - दिनेश कुमार, पूर्व प्रमुख अभियंता, लोक निर्माण विभाग

    दिल्ली को जाम मुक्त करने में सिग्नल फ्री कारिडोर की उपयोगिता अधिक सिद्ध हुई है, मगर दिल्ली को जाम मुक्त करने के लिए निरंतर काम करने की जरूरत है यह काम रुकेगा तो समस्या बढ़ेगी। मेरा मानना है कि जहां पर भी कारिडोर समाप्त होते हैं या शुरू होते हैं उन प्वाइंट पर सड़कों को ठीक करने पर भी अधिक ध्यान देने की जरूरत है। - डा. एस वेलमुरुगन, वरिष्ठ वैज्ञानिक, केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान