अजय माकन का कद रहा बरकरार, अलका लांबा को मिला पुरस्कार; CWC से दिल्ली कांग्रेस के इस नेता का कटा पत्ता
लोकसभा चुनाव से पहले रविवार को घोषित कांग्रेस की कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) में पार्टी नेता अजय माकन का कद इस बार भी बरकरार रखा गया है। वहीं वरिष्ठ नेत्री अलका लांबा को पहली बार इसमें जगह दी गई है। किसी जमाने में भले दिल्ली से एक से एक दिग्गज नेता इस समिति का हिस्सा रहे हों लेकिन अब ऐसा देखने में नहीं आता है।

नई दिल्ली, संजीव गुप्ता। रविवार को घोषित कांग्रेस की कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) में पार्टी नेता अजय माकन का कद इस बार भी बरकरार रखा गया है। वहीं, वरिष्ठ नेत्री अलका लांबा को पहली बार इसमें जगह दी गई है।
किसी जमाने में भले दिल्ली से एक से एक दिग्गज नेता इस समिति का हिस्सा रहे हों, लेकिन अब ऐसा देखने में नहीं आता। पूर्व केंद्रीय मंत्री जगदीश टाइटलर, कृष्णा तीरथ, वरिष्ठ नेता अरविंद सिंह लवली एवं संदीप दीक्षित जैसे नेताओं को भी कुल 84 सदस्यीय कार्यसमिति के लायक नहीं समझा गया।
सीडब्ल्यूसी के 39 निर्वाचित सदस्यों में माकन राजधानी से अकेले नेता हैं। सूची में उनका नंबर 16वां हैं। 32 स्थायी आमंत्रित सदस्यों में राज्य प्रभारी के तौर पर दिल्ली से देवेंद्र यादव और मनीष चतरथ को स्थान मिला है। मालूम हो कि देवेंद्र उत्तराखंड के प्रभारी हैं तो मनीष मेघालय प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। स्थायी आमंत्रित सदस्यों की सूची में इनका नंबर क्रमश: 31वां व 32वां है।
अलका का बयान पार्टी की रणनीति का हिस्सा?
विशेष आमंत्रित सदस्यों में राजधानी से अकेले पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता अलका लांबा को स्थान मिला है। उनको भी पहली बार यह सम्मान मिला है। खास बात यह कि अलका को यह पुरस्कार भी तब मिला है जब हाल ही में आम आदमी पार्टी के साथ सियासी गठबंधन को लेकर दिए गए उनके बयान से पार्टी ने किनारा कर लिया था। इससे पता चलता है कि अलका का वह बयान पार्टी की रणनीति का भी हिस्सा हो सकता है।
अलका लांबा ने किया भावुक ट्वीट
कांग्रेस सीडब्ल्यूसी का हिस्सा बनने पर अलका ने भावुक होकर एक ट्वीट भी किया है- मेरी आखों में इस समय ख़ुशी के आंसुओं का सैलाब है। मन में सुकून है। 30 साल के राजनैतिक संघर्ष और सफर में आज एक बार फिर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का भरोसा जीतने में क़ामयाब जो हुई हूं।
दूसरी तरफ दिल्ली से पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल जब मध्य प्रदेश के प्रभारी बने तो सीडब्ल्यूसी का भी हिस्सा बन गए थे, लेकिन पहली जिम्मेदारी से इन्हें हटाया गया तो सीडब्ल्यूसी से भी स्वाभाविक ताैर पर अलग हो गए।उक्त चार नेताओं के अतिरिक्त दिल्ली से किसी भी अन्य को सीडब्ल्यूसी में शामिल नहीं किया गया।
रिपोर्ट इनपुट- संजीव
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