MCD चुनावः कांग्रेस-AAP का गणित बिगाड़ सकती है ओवैसी की AIMIM
पिछले महीने महाराष्ट्र में हुए नगर निगमों के चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया था। कहा जा रहा है कि AIMIM की वजह से कांग्रेस व राकांपा को खासा नुकसान हुआ था।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली नगर निगम चुनाव 2017 की तैयारी में जुटी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असद्दीन ओवैसी बुरी खबर लेकर आए हैं।
महाराष्ट्र में निकाय चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करने वाली AIMIM अब दिल्ली नगर निगम के चुनाव में भी कदम रखने जा रही है। पार्टी के मुताबिक, वह 50 ऐसी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर रही है जहां मुस्लिम आबादी ज्यादा या फिर अच्छी खासी है। ऐसे में पहले कांग्रेस और अब AAP के परंपरागत वोट बैंक बन चुका मुस्लिम समुदाय बंट सकता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि दिल्ली विधानसभा चुनाव 2015 में आम आदमी पार्टी को मुस्लिम तबके ने जमकर वोट किया था।
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AIMIM की मानें तो पार्टी ने पहले दिल्ली के तीनों निगमों की सभी 272 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का मन बनाया था, लेकिन अब अपने ही सर्वे के आधार पर सिर्फ 50 सीटों पर लड़ने का इरादा किया है।
AIMIM की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष इरफानुल्ला खान के मुताबिक, पहले पार्टी ने सभी 272 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का फैसला किया था, लेकिन जब हमने अपने सर्वे में पाया कि हम 50 सीटों पर मजबूत स्थिति में हैं। ऐसे में अब हमने इन 50 सीटों पर मजबूती के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
ओवैसी की पार्टी ने दिल्ली नगर निगम के चुनाव में जिन 50 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है उनमें ओखला, सीलमपुर, मुस्तफाबाद, पुरानी दिल्ली और संगम विहार जैसे इलाके शामिल हैं। बता दें कि ये वो क्षेत्र हैं जहां अच्छी खासी तादात में मुस्लिम आबादी है, जिसे लक्ष्य बनाकर एआईएमआईएम चुनाव लड़ रही है।
AIMIM ने यह भी किया दावा
इरफानुल्ला खान का कहना है कि पार्टी सिर्फ मुस्लिम बहुल इलाकों में ही चुनाव नहीं लड़ रही, बल्कि हम कालका जी और बवाना जैसे हिंदू बहुल इलाकों में अपने उम्मीदवार उतार रहे हैं। उन्होंने बताया कि इन दोनों इलाकों में हमें वहां अच्छे उम्मीदवार मिले हैं और हमारा संगठन भी मजबूत है।
यहां पर बता दें कि पिछले महीने महाराष्ट्र में हुए नगर निगमों के चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया था। उसने बीएमसी में तीन और सोलापुर नगर निगम में पांच सीटें जीतीं। ऐसे में कहा जा रहा है कि उनकी पार्टी की वजह से कांग्रेस और राकांपा जैसी पार्टियों को खासा नुकसान हुआ।