अपने शोधों को पेटेंट कराने और बाजार में उपलब्ध कराने की नीति में जुटा AIIMS
शुरुआती परीक्षण के सफलता के बाद शोध बीच में रूक जाता है या फिर जांच व इलाज की कोई नई तकनीक ढूंढने के बावजूद वह बाजार व दूसरे अस्पतालों तक नहीं पहुंच पाता।
नई दिल्ली [ रणविजय सिंह ] । एम्स देश का अग्रणी चिकित्सा संस्थान हीं नहीं बल्कि प्रमुख चिकित्सा शोध संस्थान भी है। अमेरिका के बाद एम्स में सर्वाधिक चिकित्सा शोध होते हैं। लेकिन दिक्कत यह है कि इस संस्थान में शोध तो बहुत होते हैं, पर दिक्कत यह है कि वह परवान नहीं चढ़ पाता।
शुरुआती परीक्षण के सफलता के बाद शोध बीच में रूक जाता है या फिर जांच व इलाज की कोई नई तकनीक ढूंढने के बावजूद वह बाजार व दूसरे अस्पतालों तक नहीं पहुंच पाता। यही वजह है कि एम्स इन दिनों अपने शोधों को पेटेंट कराने और उसे बाजार में उपलब्ध कराने की नीति तैयार करने में जुटा है।
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इसका मकसद चिकित्सा शोधों को अंजाम तक पहुंचाना है, ताकि लोगों को उन चिकित्सा शोधों का फायदा मिल सके। एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि एक महीने में पेटेंट ऑफ टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पॉलिसी तैयार हो जाएगी।
ऐसे शोधों को पेटेंट कराया जाएगा, जिसके इस्तेमाल से मरीजों को फायदा होगा और इलाज के तरीकों में बदलाव आने की उम्मीद हो। पेटेंट कराने के बाद कंपनियों से करार किया जाएगा, ताकि वह तकनीक दूसरे अस्पतालों व मरीजों तक पहुंच सके। इससे संस्थान को राजस्व भी मिल सकेगा। तभी शोध का असली फायदा है।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका के बाद एम्स में सबसे अधिक चिकित्सा शोध होता है। पिछले साल मेडिसिन रिसर्च एंड प्रैक्टिस नामक मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह दवा किया गया था कि दुनिया भर में अमेरिका के दो मेडिकल संस्थानों के बाद एम्स में सबसे अधिक 11,377 रिसर्च पेपर प्रकाशित किए गए हैं।
यह आंकड़ा वर्ष 2004-14 के बीच दुनिया भर के 10 चिकित्सा संस्थानों द्वारा किए गए शोध व प्रकाशित किए रिसर्च पेपर के आधार पर तैयार किया गया था। हाल ही में एम्स के डॉक्टरों ने नैनो टेक्नोलॉजी से हेपेटाइटिस बी का टीका विकसित किया है, जिसका चूहों पर सफल परीक्षण किया जा चुका है।
इसका फायदा यह है कि हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए सिर्फ एक डोज टीका लगाना पड़ेगा। अभी तीन डोज टीके लगाने पड़ते हैं। ऐसे और भी शोध हैं जो लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं पर शुरूआती सफलता के बाद आगे नहीं बढ़ पाते।
एम्स उन्नतशील शोध को बढ़ावा देने के लिए युवा शोधार्थियों को प्रोत्साहित भी करेगा। ताकि शोध में आर्थिक कमी आड़े न आने पाए।
अगले सत्र से ऑनलाइन होगा एम्स का काउंसलिंग
दिल्ली सहित देश के सभी सात एम्स के एमबीबीएस में दाखिले के लिए अगले शैक्षणिक सत्र से काउंसलिंग की व्यवस्था ऑनलाइन होगी। इसलिए एम्स प्रवेश परीक्षा में सफल होने वाले छात्र दाखिले के लिए घर बैठे ऑनलाइन काउंसलिंग में हिस्सा ले सकेंगे।
उन्हें दिल्ली आने की जरूरत नहीं होगी। मुख्य एम्स ही देश भर के सातों एम्स (दिल्ली, भुवनेश्वर, जोधपुर, पटना, रायपुर, ऋषिकेश व भोपाल) में एमबीबीएस की 700 सीटों पर दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करता है।
प्रवेश परीक्षा में सफल रहने वाले छात्रों को काउंसलिंग के लिए दिल्ली स्थिति एम्स में पहुंचना पड़ता है। ट्रेन लेट होने के कारण कई छात्र समय से काउंसलिंग में नहीं पहुंच पाते। इस वजह से वे दाखिले से महरूम रह जाते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए अगले सत्र 2018-19 से ऑनलाइन काउंसलिंग की व्यवस्था शुरू की जाएगी।
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