'हम बंगले में बैठने वाले मंत्री नहीं हैं, सबको खेत में उतरना चाहिए', कृषि विज्ञान मेले में बोले शिवराज सिंह चौहान
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि विज्ञान मेले के उद्घाटन समारोह में कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को प्रयोगशाला में प्रयोग के साथ-साथ खेतों में जाकर किसानों को तकनीक का प्रदर्शन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों को उचित मूल्य दिलाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। किसान क्रेडिट कार्ड से अब 5 लाख तक का लोन मिल सकेगा।
गौतम कुमार मिश्रा, पश्चिमी दिल्ली। पूसा में आयोजित हो रहे तीन दिवसीय कृषि विज्ञान मेले के उदघाटन समारोह में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि की बेहतरी के लिए विज्ञानी प्रयोगशाला में प्रयोग जरुर करें लेकिन प्रयोग से हासिल तकनीक के प्रदर्शन के लिए वे खेत जाएं और किसानों को तकनीक दिखाएं। जब तक ऐसा नहीं होगा, तब तक कृषि का भला नहीं हो सकता।
कृषि मंत्री ने कहा कि मैं स्वयं ऐसा करता हूं। मुझे मखाना किसानों से मिलने 23 फरवरी को बिहार जाना है। पोखर में कंटीले पत्तों के नीचे मखाना होता है। इसकी खेती काफी श्रमसाध्य है। इसे समझने के लिए मैं किसानों के साथ पोखर में उतरुंगा। मखाना कैसे बोते हैं, देखेंगे, समझेंगे। मखाना बोर्ड कैसे बनेगा, इस पर चर्चा करेंगे। अपन कृषि भवन या बंगले में बैठने वाले कृषि मंत्री नहीं हैं।
आपका यह मंत्री बंगले में कैद नहीं रहेगा: शिवराज सिंह चौहान
कृषि मंत्री ने कहा कि आपका यह मंत्री बंगले में कैद नहीं रहेगा। आपके बीच जाएगा, आपके साथ बैठेगा। यह बात केवल मेरे लिए नहीं है, कृषि की बेहतरी से जुड़े हर विज्ञानी और अधिकारी पर यह बात लागू होती है। सभी को खेत में उतरना चाहिए। समारोह में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक व भारतीय कृषि अनुसंधान संस्था के निदेशक डॉ सीएच श्रीनिवास सहित अनेक व्यक्ति उपस्थित रहे।
किसानों को ठीक दाम मिलने के लिए कर रहे कार्य: शिवराज सिंह
कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि उत्पादों को तब तक नहीं बढ़ाया जा सकता, जब किसान को इनकी खेती लाभप्रद नहीं लगेगी। किसानों को उत्पादन का ठीक दाम मिले, इसके लिए हमलोग कार्य कर रहे हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य में लगातार बढ़ोतरी की जा रही है। किसान का गेहूं, चावल तो सरकार खरीदेगी ही, मसूर उड़द, तुअर पूरी खरीदी जाएगी। अभी यह देखा जा रहा है कि किसान जहां बेचता है वहां सस्ता बिकता है और दिल्ली मुंबई में आ जाए तो महंगा हो जाता है। अभी टमाटर के रेट कम हो गए।
किसान क्रेडिट कार्ड से पांच लाख तक का लोन मिलेगा: शिवराज सिंह
हमने योजना बनाई है कि नेफेड के माध्यम से ट्रांसपोर्टेशन का खर्च केंद्र सरकार चुकाएगी, जिससे किसान को ठीक दाम मिलें। किसानों को ठीक दाम मिले, इसके लिए कोई कसर नहीं छोडेंगे। सोयाबीन की कीमत घटी तो बाहर से आने वाले तेल पर इम्पोर्ट ड्यूटी 27.5 प्रतिशत कर दी। चावल के निर्यात पर प्रतिबंध था, हमने उसे हटाया और एक्सपोर्ट ड्यूटी कम की। बीच का मुनाफा जो है, वह घटना चाहिए, इसको लेकर हम वर्कआउट कर रहे हैं। किसानों को खेतीबाड़ी में दिक्कत नहीं हो, इसके लिए किसान क्रेडिट कार्ड से तीन लाख तक के ऋण की सीमा को बढ़ाकर पांच लाख कर दिया गया है।
हम सुझावों का करेंगे स्वागत: शिवराज सिंह चौहान
कृषि मंत्री ने कहा कि विकसित भारत के लक्ष्य को तब तक नहीं पाया जा सकता है जब तक कि कृषि को हम विकसित नहीं बनाते। इसके लिए किसान व विज्ञानी को साथ आना होगा। लेकिन हमें यह समझना होगा कि किसान खेती की आत्मा है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि खेती की भलाई के लिए मैं किसानों से आग्रह करता हूं कि आप मुझे सुझाव दें हम उन सुझावों पर अमल करेंगे। साथ काम करेंगे।
प्रसार दूत की कमी पर कृषि राज्य मंत्री ने जताई चिंता
समारोह में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने पुरानी यादें बयां करते हुए कहा कि एक समय था, जब विश्वविद्यालयों द्वारा विकसित उन्नत बीज, नई तकनीक की जानकारी देने कृषि प्रसार दूत गांवों का दौरा करते थे। उन्होंने कहा कि एक समय जब मेरे परिवार पर काफी कर्ज हो गया था, तब मैंने चार कट्ठे खेत में कद्दू की खेती करके कर्ज से मुक्ति पाई थी। ऐसा इसलिए संभव हुआ क्योंकि मेरे पास उन्नत बीज उपलब्ध थ। आज के दौर में ऐसा नहीं हो रहा है। हमें किसानों तक नई तकनीक व उन्नत बीज दोनों पहुंचाने की व्यवस्था करनी होगी।
एक देश एक चुनाव पर दिया जोर
समारोह में कृषि मंत्री ने देश में लोकसभा व विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की जरुरत पर बल देते हुए कहा कि अभी पूरे पांचों वर्ष, 12 महीने, 24 घंटे देश में कहीं न कहीं चुनाव की तैयारी चलती रहती है। दिल्ली के बाद अब बिहार के चुनाव होने हैं। चुनाव में प्रधानमंत्री हो या कोई मंत्री या अधिकारी सब व्यस्त रहते हैं। आचार संहिता लगने के कारण विकास कार्य ठप्प हो जाते हैं। चुनाव में काफी पैसा खर्च होता है। अगर संविधान में संशोधन करके पांच साल में लोकसभा व विधानसभा चुनाव एक साथ हो जाए तो काफी सुविधा होगी। चुनावी तैयारी के लिए अगर छह महीने छोड़ भी दें तो पूरे साढ़े चार साल तक का समय विकास के लिए होगा।
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