राजधानी में क्यों हो रहे इतने हादसे? बड़ी वजह आई सामने; वाहन चलाते समय जरूर ध्यान रखें ये नियम
Delhi Accident Update राजधानी दिल्ली में सड़क दुर्घटनाएं कम नहीं हो रही है। राजधानी में लगातार बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं के पीछे एक बड़ी वजह भी सामने आई है। बताया गया कि हाईवे पर संकेतक नहीं होने की वजह से घटनाएं बढ़ रही हैं। अगर रोड पर संकेतक होते हैं तो चालक पहले ही अलर्ट हो जाता है। आगे विस्तार से पढ़िए पूरी खबर।

अजय राय, नई दिल्ली। राजधानी में बिना संकेतकों वाली सड़कें और यातायात नियमों का उल्लंघन लोगों के जीवन पर भारी पड़ रहा है। क्षतिग्रस्त सड़कें, संकेतकों के अभाव से दिल्ली की सड़कें और ज्यादा असुरक्षित होती जा रही हैं।
वहीं, दुर्घटना से बचाने वाले छोटे-छोटे मानकों का उल्लंघन भी बड़े-बड़े खतरे का कारण बन रहे हैं। इसमें सड़कों पर रिफलेक्टर, डार्क स्पाट, थर्मोप्लास्टिक रोड मार्किंग, वाहनों में बैक लाइट और आइने का अभाव सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ा रहे हैं।
परिवहन विभाग भी इसे लेकर गंभीर नहीं
लोगों के साथ ही यातायात पुलिस और परिवहन विभाग भी इसे लेकर गंभीर नहीं है। किसी भी शहर में सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए संकेतकों की अहम भूमिका होती है। सफर करने के दौरान संकेतक हमें पहले से ही बता देते हैं कि आगे स्कूल है, अस्पताल है, सड़क पर कोई खतरनाक मोड़ है, क्रासिंग है। इससे बड़ा लाभ यह होता है कि चालक सतर्क हो जाता है और वाहन की गति उसी हिसाब से नियंत्रित करते हुए खुद को सुरक्षित करता है।
वहीं, मोटर वाहन एक्ट में भी इसे लेकर निर्देश है, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है। सड़कों की लेन पर रिफलेक्टर भी नहीं हैं, जिससे अक्सर लोग रात में दुघर्टनाग्रस्त होते हैं। शायद यही कारण है कि दिल्ली में दिन की अपेक्षा रात में दुर्घटनाएं अधिक होती हैं।
चेतावनी देने वाले संकेतकों की कमी
बताया गया कि सड़कों पर गति कम करने की चेतावनी देने वाले संकेतकों की कमी है। उचित रोशनी और रोड ब्लिंकर्स, थर्मोप्लास्टिक रोड मार्किंग, रिफ्लेक्टिव बोलार्ड्स कई जगह नजर नहीं आते हैं। खासकर सर्दियों में जब कोहरा होता है तो ये लाइटें सुरक्षित यातायात के लिए काफी सहायक होती हैं।
दिल्ली यातायात पुलिस ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि वाहनों की संख्या के हिसाब से ढांचागत विकास अपर्याप्त है और यातायात का घनत्व बहुत अधिक है। पैदल चलने वालों के लिए सुविधाओं की कमी के साथ यातायात निमयों को सख्ती से लागू नहीं किया जा रहा है।
कई हिस्सों में यातायात नियमों का उल्लंघन ज्यादा
लुटियंस दिल्ली को छोड़ दें तो दिल्ली के अन्य हिस्से में यातायात नियमों का उल्लंघन ज्यादा है और सड़कों पर डार्क स्पॉट, रिफ्लेक्टर जैसी कमियां हर तरफ हैं। चूंकि दिल्ली में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं रात में होती हैं, ऐसे में यह और भी आवश्यक है कि छोटी दिखने वाली समस्या लोगों के जीवन पर भारी पड़ रही है।
मुबारका चौक से सिंघु बॉर्डर तक हाईवे खस्ता
पूर्वी दिल्ली स्थित गीता कॉलोनी समेत कई जगह लगे रिफ्लेक्टर पर रंग रोबन कर दिया गया है। दिल्ली सहारनपुर हाइवे पर रिफ्लेक्टर ठीक से नहीं लगे हैं। पश्चिमी दिल्ली स्थित नजफगढ़-नांगलोई सड़क पर कहीं रेड लाइट बंद है तो कहीं टूटी सड़क खतरा बढ़ा रही है। बाहरी दिल्ली में मुबारका चौक से सिंघु बॉर्डर तक हाईवे खस्ता है।
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केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान के मुख्य विज्ञानी डॉ. एस वेलुमुरुगन ने कहा कि रात में सड़कों पर सुरक्षित यातायात के लिए संकेतक, थर्मोप्लास्टिक व बोलार्ड मार्किंग बेहद सहायक होते हैं। इससे वाहन चालकों को अपना रास्ता तय करने में आसानी होती है और दुर्घटना का खतरा भी कम होता है।
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उन्होंने कहा कि फ्लाईओवर के लिए 250 मीटर पहले संकेतक लगने चाहिए। उतरने के दौरान भी होना चाहिए, ताकि वाहन चालक को अपने रास्ते लेकर दुविधा न हो।
सड़क सुरक्षा के लिए गतिविधियां
457 स्कूलों में सड़क सुरक्षा संबंधी गतिविधियां आयोजित की गईं। इसमें 125612 विद्यार्थियों व 4705 शिक्षकों व अभिभावकों ने भाग लिया।
40455 साइकिल व ई-रिक्शा पर रेफ्लेक्टिव टेप लगाए गए।
300 हेलमेट का वितरण महिलाओं में किया गया।
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