Delhi Chunav में टूटा सत्ता का मिथक, हार कर भी AAP ने कैसे बनाया नया रिकॉर्ड
दिल्ली के विधानसभा चुनाव (Delhi Election 2025) में आम आदमी पार्टी (AAP) को भले ही हार का सामना करना पड़ा लेकिन आप के नाम एक नया रिकॉर्ड भी दर्ज हो गया है। दरअसल 1993 से दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक मिथक काम कर रहा है कि अधिकतर आरक्षित सीटों पर जीत दर्ज करने वाली पार्टी ही दिल्ली में सरकार बनाती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। पढ़िए पूरी रिपोर्ट।

अनूप कुमार सिंह, नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Election 2025) में चली भाजपा की लहर में आम आदमी पार्टी (आप, AAP) के कई मजबूत किले ढह गए लेकिन, अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित सीटों ने आप की लाज बचा ली।
दिल्ली की 12 आरक्षित सीटों में आठ में आप प्रत्याशी विजयी हुए हैं, जबकि भाजपा की लहर में आरक्षित सीटों पर चार ही प्रत्याशी जीत दर्ज कर पाए हैं। इससे दिल्ली की राजनीति का वह मिथक टूट गया है कि जो ज्यादा आरक्षित सीटें जीतेगा, वही दिल्ली की सत्ता में पहुंचेगा।
1993 से काम कर रहा था यह मिथक
दिल्ली विधानसभा चुनाव में वर्ष 1993 से एक मिथक काम कर रहा था कि जिस भी राजनीतिक दल ने यहां की 12 आरक्षित विधानसभा सीटों में सभी पर या ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की, दिल्ली में उसी की सरकार बनी है। 1993 से लेकर 2020 तक हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम इस बात को सही ठहराते हैं। पर, इस बार भाजपा ने इस मिथक को तोड़ दिया।
आठ सीट जीत कर भी सत्ता से बाहर हुई आप
आम आदमी पार्टी आरक्षित 12 में से आठ सीट जीत कर भी सत्ता से बाहर हो गई है। जबकि भाजपा मात्र चार आरक्षित सीट पर जीत हासिल कर सरकार बनाने जा रही है। आरक्षित सीटों को लेकर बने इस मिथक का प्रमुख कारण यहां वंचित वर्ग के मतदाताओं का प्रभुत्व होना माना जाता है।
2011 की जनगणना के हिसाब से वर्तमान में वंचित वर्ग के मतदाताओं की संख्या 18 से 20 प्रतिशत आंकी जाती है। 12 आरक्षित विधानसभा सीटों के साथ 18 अन्य विधानसभा सीटों पर भी उनका गहरा प्रभाव रहता है। पिछले तीन विधानसभा चुनाव में यह वर्ग आप का प्रमुख वोट बैंक रहा, उससे पहले यह कांग्रेस के साथ था।
भाजपा ने वंचित वर्ग में भी अपनी पैठ बनाई
दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Chunav 2025) के इतिहास को देखें तो पाएंगे कि भाजपा की इस वर्ग में कभी मजबूत पहुंच नहीं बन पाई थी। वर्ष 1998 से लेकर 2020 तक भाजपा के लगातार विस छह चुनाव तक दिल्ली की सत्ता से दूर रहने का इसे प्रमुख कारण माना जाता था। 2025 के विधानसभा चुनाव परिणाम बताते हैं कि भाजपा ने न सिर्फ इस बार आरक्षित सीटों को लेकर बने मिथक को तोड़ा, बल्कि वंचित वर्ग में भी अपनी पैठ बना ली।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी से भाजपा ने दिल्ली के वंचित वर्ग का विश्वास भी हासिल कर लिया। यह आप के साथ-साथ कांग्रेस के लिए भी बड़ी चिंता का विषय है। मतदान बाद सामने आए रुझान में भाजपा मजबूत नजर आ रही थी। इसका प्रमुख कारण मध्य वर्ग के साथ-साथ निम्न आय और वंचित वर्ग के प्रभाव वाले क्षेत्रों में भाजपा की मजबूती उपस्थिति रही।

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