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Nirbhaya Case: दिल्ली पुलिस की बेहतरीन तफ्तीश का नजीर बना निर्भया कांड, ऐसे जुटाए गए सबूत

Nirbhaya Case दिल्ली पुलिस के इतिहास में निर्भया पहला ऐसा मामला है जिसमें पुलिस ने अपने पेशेवर होने का बेहतरीन परिचय दिया

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 19 Mar 2020 09:45 PM (IST)Updated: Thu, 19 Mar 2020 09:45 PM (IST)
Nirbhaya Case: दिल्ली पुलिस की बेहतरीन तफ्तीश का नजीर बना निर्भया कांड, ऐसे जुटाए गए सबूत
Nirbhaya Case: दिल्ली पुलिस की बेहतरीन तफ्तीश का नजीर बना निर्भया कांड, ऐसे जुटाए गए सबूत

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। लोगों को झकझोर देने वाले निर्भया मामले में दिल्ली पुलिस की बेहतरीन तफ्तीश की वजह से यह घटना पूरे देश के लिए नजीर बनी। त्वरित कार्रवाई करते हुए दिल्ली पुलिस ने 24 घंटे के अंदर कुछ द¨रदों को गिरफ्तार कर केस को सुलझा लिया था। बेहतरीन तफ्तीश के जरिए पर्याप्त साक्ष्य जुटाए गए।

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महज 27 दिन के अंदर दोषियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दायर की गई। कोर्ट में पर्याप्त सुबूत पेश किए गए। जिससे निर्भया के दरिंदों को अंतत: सवा सात साल बाद फांसी के फंदे तक पहुंचाया गया।

देश के बाहर के एक्सपर्ट से मदद ली गई

दिल्ली पुलिस के इतिहास में निर्भया पहला ऐसा मामला है जिसमें पुलिस ने अपने पेशेवर होने का बेहतरीन परिचय दिया। सुबूत जुटाने में देश व देश के बाहर के एक्सपर्ट से मदद ली गई। पर्याप्त सुबूतों की वजह से ही 10 सितंबर 2013 को साकेत की फास्ट ट्रेक कोर्ट ने चारों दोषियों मुकेश सिंह, विनय शर्मा, पवन गुप्ता व अक्षय कुमार सिंह को डकैती, हत्या, सामूहिक दुष्कर्म व साक्ष्य मिटाने जैसी संगीन आपराधिक मामले में फांसी की सजा सुनाई थी। फैसला सुनाते वक्त निचली अदालत ने दिल्ली पुलिस के पेशेवर होने की तारीफ की थी।

दिल्ली पुलिस ने पेश किए थे वैज्ञानिक साक्ष्य

कोर्ट ने दिल्ली पुलिस द्वारा वैज्ञानिक साक्ष्य पेश किए जाने की भी तारीफ की थी और कहा था कि इस तरह के प्रयास अन्य केसों में किए जाने की आवश्कता है। अगर बड़े मामलों में इस तरह की तफ्तीश की जाए तब आरोपितों का बच पाना संभव नहीं होगा।चार तरह से जुटाए गए थे साक्ष्य निर्भया मामले में चार तरह से साक्ष्य जुटाए गए थे जिनमें फिजिकल एविडेंस, मजिस्टि्यल एविडेंस, टेक्निकल डेटा व साइंटिफिक एविडेंस शामिल थे। पहली बार किसी केस में इस तरह से साक्ष्य जुटाए गए थे। जांच में कई तरह का प्रयोग पहली बार किया गया।

राम सिंह व अक्षय ठाकुर ने पीड़िता को दांत से भी काटा था। इसलिए दांत काटने का साक्ष्य जुटाने के लिए टीथ बाइट इंप्रेशन टेस्ट की आवश्यकता पड़ी। सिंगापुर के अस्पताल में ही पीड़िता के शरीर पर पड़े दांतों के निशान के नमूने लिए गए और नमूने को जांच के लिए हैदराबाद के लैब में भेजा गया। रिपोर्ट में इन दोनों के निशान मैच कर गए।

पहली बार बनी थी बड़े अधिकारियों की टीम

पहली बार किसी केस की जांच में एक दर्जन से अधिक बड़े अधिकारियों की टीम बनाई गई। जांच अधिकारी 24 घंटे वसंत विहार थाने में रहकर तफ्तीश करते रहे। तत्कालीन डीसीपी छाया शर्मा भी जांच पूरी होने तक वहां मौजूद रहीं। तफ्तीश में जिले के सभी काबिल अफसरों को लगाया गया।

पहली बार दुष्कर्म पीड़िता को इलाज के लिए विदेश भेजा

पहली बार किसी केस की पीड़िता को इलाज के लिए विदेश भेजा गया। निर्भया केस ने महिला सुरक्षा के मामले में देश का कानून बदल दिया। गृह मंत्रालय व विदेश मंत्रालय के सहयोग से विदेश से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पीड़िता का इलाज करने व पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों की गवाही करवाई गई। उसे भी अहम साक्ष्य के तौर पर पेश किया गया। साइंटिफिक लैब ने भी पुलिस को जांच में भरपूर सहायता की।

इन अफसरों ने निभाई अहम भूमिका

पर्याप्त सुबूतों के बदौलत निचली अदालत ने दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने पर तत्कालीन पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने केस की तफ्तीश करने वाले इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह, नरेश सोलंकी, अनिल शर्मा, नीरज चौधरी, विजय सिंह की सराहना की थी।

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