'कोलकाता एयरपोर्ट के पास टावर ऊंचाई सीमित करने का फैसला सही', दिल्ली HC ने खारिज की बिल्डर की याचिका
दिल्ली हाई कोर्ट ने कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास कमर्शियल प्रोजेक्ट में टावर की ऊंचाई को सीमित करने के एएआइ के फैसले को ...और पढ़ें

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास एक कमर्शियल प्रोजेक्ट में टावर की ऊंचाई को सीमित करने के भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के निर्णय को दिल्ली हाई कोर्ट ने सही ठहराया है।
न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल व न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर पीठ ने कहा कि अदालतें स्पेशलाइज्ड एविएशन अथाॅरिटी की ओर से लिए गए तकनीकी फैसलों का फिर से आकलन नहीं कर सकती है।
पीठ ने एएआई की अपील को मंजूर करते हुए आठ मार्च 2019 के उसके कम्युनिकेशन को बहाल कर दिया। इसमें सृष्टि इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड को टावर-दो के लिए अतिरिक्त ऊंचाई देने से मना किया गया था।
कोर्ट ने कहा कि एएआई ने एयरक्राफ्ट आपरेशंस की सुरक्षा के लिए ऊंचाई प्रतिबंध नियम-2015 के तहत टावर-एक और टावर-दो को एक साथ बड़ी संरचना मानने में सही किया था।
पीठ ने कहा कि कानून की अदालत को एक तकनीकी अपीलीय ट्रिब्यूनल में नहीं बदला जा सकता है ताकि सक्षम प्राधिकरण द्वारा निकाले गए निष्कर्षों का फिर से आकलन किया जा सके या उन्हें बदला जा सके। पीठ ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में अदालत की भूमिका बदलने वाली नहीं बल्कि सुपरवाइजरी होती है।
सृष्टि इंफ्रास्ट्रक्चर ने कोलकाता एयरपोर्ट से लगभग सात किमी दूर न्यू टाउन राजारहाट में एक दो-टावर प्रोजेक्ट डेवलप किया था। इसके लिए एएआइ से ऊंचाई की मंजूरी लेना अनिवार्य था, जबकि 2006 के अनापत्ति प्रमाण पत्र ने दोनों टावरों को समुद्र तल से 144.53 मीटर ऊपर तक बनाने की अनुमति दी थी।
निर्माण में देरी और अन्य प्रशासनिक मुद्दों के कारण बाद के एविएशन सुरक्षा नियमों के तहत फिर से आकलन किया गया। इसके परिणामस्वरूप टावर-दो के लिए अनुमत ऊंचाई कम हो गई।
इससे पहले एकल पीठ ने भी एएआई के तकनीकी निष्कर्षों को सही ठहराया था, लेकिन मार्च 2019 के कम्युनिकेशन को बिना कारण बताए खारिज कर दिया था।
इस फैसले को पलटते हुए दो सदस्यीय पीठ ने कारण रिकार्ड से साफ तौर पर पता चल रहे थे और अंतिम कम्युनिकेशन का विस्तृत होना जरूरी नहीं था। इसके साथ पीठ ने एएआई के फैसले को बहाल कर दिया और सृष्टि इंफ्रास्ट्रक्चर की अपील को खारिज कर दिया।

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