Indigo Crisis: एक दिसंबर से लागू IROPS ने बढ़ाई इंडिगो की परेशानी, रोस्टर न बदलने से 1000 उड़ानें रद
इंडिगो एयरलाइन 1 दिसंबर से लागू हुए IROPS के कारण संकट में है। कर्मचारियों के रोस्टर में बदलाव न होने से लगभग 1000 उड़ानें रद्द हो गई हैं, जिससे यात्र ...और पढ़ें

मुकेश ठाकुर, नई दिल्ली। पिछले पांच दिनों इंडिगो की उड़ानों पर आए मौजूदा संकट को गहराने में इरेगुलर आपरेशंस (आइआरओपीएस) नियमों की सबसे बड़ी भूमिका रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि एक दिसंबर से देश भर में आइआरओपीएस के सख्त नियम लागू होने और एयरलाइन द्वारा समय पर रोस्टर (ड्यूटी चार्ट) में बदलाव न करने के कारण परिचालन ठप हुआ, जिसने एफडीटीएल (फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशंस) के कारण क्रू की कमी को और भी विकराल बना दिया।
क्या है आईआरओपीएस?
यह सर्दी के मौसम में कोहरे से निपटने का सख्त सुरक्षा कवच है जो हवाई यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए बनाया गया है। आइआरओपीएस नियम हर साल सर्दी के मौसम को ध्यान में रखते हुए एक दिसंबर से लागू किया जाता है। यह उन स्थितियों के लिए है जब उड़ानें सामान्य कार्यक्रम के अनुसार नहीं चल पाती हैं, जैसे कोहरे के कारण उड़ान में देरी, उड़ान रद्द होना या उड़ानों का रास्ता बदलना। यह नियम उत्तर, उत्तर पूर्वी और दक्षिण भारत के बेंगलुरु जैसे शहरों पर खास तौर पर लागू होता है, जहां सुबह और देर रात के समय घना कोहरा छाया रहता है।
नियम की सख्ती, सुरक्षा प्राथमिकता
डीजीसीए के नियम के अनुसार, कोहरा प्रभावित क्षेत्रों में विमान उड़ाने के लिए पायलटों की विशेष ट्रेनिंग अनिवार्य है। इसके अनुसार केवल उन्हीं पायलट व को-पायलट (सेकेंड इन कमांड) को विमान उड़ाने की अनुमति होती है, जिन्होंने घने कोहरे में विमान की लैंडिंग और टेक-ऑफ का विशेष प्रशिक्षण (आमतौर पर कैट 2 व 3 प्रशिक्षण) लिया हो। यह सख्त नियम है कि दोनों ही पायलटों (कमांडर और को-पायलट) को प्रशिक्षित होना आवश्यक है। यदि दोनों में से कोई भी एक पायलट अप्रशिक्षित है, तो उड़ान संचालन नहीं किया जा सकता।
रोस्टर प्रबंधन की चूक, 30 प्रतिशत पायलटों पर ब्रेक
इंडिगो एयरलाइन में वर्तमान में कुल पायलटों में से लगभग 70 प्रतिशत पायलट कैट 2 व 3 प्रशिक्षित हैं। इसका मतलब है कि शेष 30 प्रतिशत पायलट ऐसे हैं जो आईआरओपीएस के लागू होते ही कोहरे प्रभावित क्षेत्रों में उड़ान भरने के लिए अपात्र हो जाते हैं। आइआरओपीएस के लागू होते ही, एयरलाइन को रोस्टर में बदलाव करना होता है ताकि कैट 2 व 3 में अप्रशिक्षित पायलटों को कोहरे से अप्रभावित इलाकों में उड़ान के लिए भेजा जा सके।
हालांकि, एयरलाइन द्वारा एफडीटीएल में अचानक आए बदलाव को देखते हुए, रोस्टर में किसी प्रकार का बड़ा बदलाव नहीं किया गया। नतीजा यह हुआ कि एक दिसंबर से आइआरओपीएस लागू होते ही बड़ी संख्या में प्रशिक्षित पायलटों की कमी हो गई, और रोस्टर में बदलाव करने का पर्याप्त समय नहीं मिल पाया, जिससे उड़ानों में भारी देरी आई और 1000 से अधिक उड़ानें रद करनी पड़ीं।

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