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    आयुर्वेदिक डॉक्टरों के विरोध में क्यों उतरा IMA? आंध्र प्रदेश सरकार के फैसले पर भड़के एलोपैथिक डॉक्टर

    Updated: Thu, 25 Dec 2025 07:40 PM (IST)

    इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने आंध्र प्रदेश में आयुर्वेदिक डाॅक्टरों को सर्जिकल प्रक्रियाएं करने की अनुमति पर चिंता जताई है। IMA का कहना है कि यह फैस ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने आंध्र प्रदेश में आयुर्वेदिक डाॅक्टरों को सर्जिकल प्रक्रियाएं करने की अनुमति दिए जाने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए गहरी चिंता व्यक्त की है।

    बृहस्पतिवार को IMA ने लिखित बयान जारी कर कहा कि यह फैसला मरीजों की सुरक्षा और देश की स्वास्थ्य सेवाओं के मानकों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।

    IMA के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दिलीप भानुशाली ने आईएमए की ओर से जारी लिखित बयान में इस मुद्दे पर कहा कि संगठन हमेशा से चिकित्सा पेशेवरों के कल्याण के साथ-साथ आम जनता की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहा है।

    उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और अन्य पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की निवारक और प्रोमोटिव स्वास्थ्य देखभाल में अहम भूमिका है, लेकिन सर्जरी के लिए वर्षों का कठोर, संरचित और विशेष प्रशिक्षण आवश्यक होता है, जो आधुनिक मेडिकल शिक्षा प्रणाली का अभिन्न हिस्सा है।

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    आईएमए के मानद महासचिव डाॅ. सरबारी दत्ता ने कहा कि सर्जरी केवल एक तकनीकी प्रक्रिया नहीं है। इसमें मानव शरीर रचना, फिजियोलाजी, पैथोलाजी, एनेस्थीसिया, आपातकालीन प्रबंधन और आपरेशन के बाद की गहन देखभाल की समग्र समझ आवश्यक होती है।

    स्पष्ट किया कि एमबीबीएस और पोस्टग्रेजुएट सर्जिकल प्रशिक्षण के बिना सर्जरी की अनुमति देना मरीजों की सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा करता है। आईएमए के बयान में कहा गया है कि ऐसे फैसलों से स्वास्थ्य सेवाओं में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, कानूनी जटिलताएं बढ़ सकती हैं और मरीजों का चिकित्सा व्यवस्था पर भरोसा कमजोर हो सकता है।

    संगठन ने सरकार से अपील की है कि मरीजों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए इस नीति की पुनर्समीक्षा की जाए और विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के बीच स्पष्ट सीमाएं बनाए रखी जाएं।

    आईएमए ने यह भी कहा कि मानकों को कमजोर करने के बजाय आधुनिक चिकित्सा में सीटें, प्रशिक्षण और अवसर बढ़ाकर स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत किया जाना चाहिए। संगठन ने नैतिक चिकित्सा पद्धति, साक्ष्य-आधारित उपचार और राष्ट्र की स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि मरीजों की सुरक्षा सर्वोपरि रहनी चाहिए।

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