DU के PG सिलेबस में बदलाव को लेकर टकराव, अर्थशास्त्र में घरेलू हिंसा और महिला अपराध शामिल करने पर सवाल
दिल्ली विश्वविद्यालय की स्थायी अकादमिक मामलों की समिति की बैठक में पीजी पाठ्यक्रम के कुछ वैकल्पिक विषयों में संशोधन को लेकर चर्चा हुई। ‘इकोनाॅमिक्स एं ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय की स्थायी अकादमिक मामलों की समिति (स्टैंडिंग कमेटी ऑन एकेदमिक मैटर्स) की सोमवार को हुई बैठक में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम (पीजी) के कुछ वैकल्पिक विषयों में संशोधन को लेकर व्यापक चर्चा हुई। यह बैठक पीजी करिकुलम फ्रेमवर्क (पीजीसीएफ) के तहत दूसरे सेमेस्टर के लिए प्रस्तावित पाठ्यक्रमों पर विचार के लिए आयोजित की गई थी।
बैठक के दौरान अर्थशास्त्र और इतिहास के कुछ वैकल्पिक विषयों को लेकर आपत्तियां सामने आईं। विशेष रूप से ‘इकोनाॅमिक्स एंड जेंडर’ के वैकल्पिक विषय में यूनिट-तीन के तहत घरेलू हिंसा, साथी द्वारा हिंसा, कार्यस्थल पर हिंसा और महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे विषयों को शामिल करने के प्रस्ताव पर समिति में मतभेद देखने को मिला।
कुछ सदस्यों ने तर्क दिया कि ये विषय सीधे तौर पर अर्थशास्त्र से संबंधित नहीं हैं। हालांकि, समिति की एक सदस्य ने बताया कि अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष ने इस पर स्पष्ट किया कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा का आर्थिक लागत, विकास और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव को लेकर व्यापक शोध और सैद्धांतिक साहित्य उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि यह विषय आर्थिक अध्ययन का महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
इतिहास विषय के सिलेबस पर चर्चा के दौरान भी कुछ सदस्यों ने वैश्विक इतिहास को अत्यधिक महत्व दिए जाने पर सवाल उठाए। इस दौरान शिरीन मूस्वी की पुस्तक ‘वर्क एंड जेंडर इन मुगल इंडिया’ जैसी कुछ रचनाओं को सिलेबस से हटाने का प्रस्ताव भी सामने आया।
गौरतलब है कि प्रारंभिक सिलेबस संबंधित विभागों की समिति द्वारा तैयार किए जाते हैं, जिन्हें स्थायी समिति के माध्यम से अकादमिक परिषद के समक्ष मंजूरी के लिए भेजा जाता है। ये प्रस्ताव राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत लागू पीजीसीएफ के अंतर्गत हैं और नए स्नातक पाठ्यक्रम ढांचे के अनुरूप बनाए जा रहे हैं। यह पहला वर्ष है जब छात्र इस नई व्यवस्था के तहत पढ़ाई कर रहे हैं और अब वे दूसरे सेमेस्टर में प्रवेश करने जा रहे हैं।

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